Highlights
- पाली में ट्रीटमेंट प्लांट बंद होने से औद्योगिक कचरा सीधे नदी में जा रहा है।
- रात के अंधेरे में बिना नंबर के टैंकरों से फैक्ट्रियों का रंगीन पानी सीवरेज में डाला जा रहा है।
- भास्कर टीम की पड़ताल में बांडी नदी में रंगीन प्रदूषित पानी बहता मिला।
- प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है।
पाली: राजस्थान के पाली में बांडी नदी को दूषित करने की साजिश सामने आई है। उद्यमियों की खींचतान के चलते ट्रीटमेंट प्लांट बंद हैं। रात में बिना नंबर के टैंकरों से फैक्ट्रियों का रंगीन पानी सीवरेज में डाला जा रहा है, जो सीधे नदी में मिल रहा है।
पाली में उद्यमियों की आपसी खींचतान के कारण पिछले करीब एक महीने से कई फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। बकाया रुपयों का भुगतान नहीं होने से शहर के ट्रीटमेंट प्लांट भी बंद कर दिए गए हैं।
इन ट्रीटमेंट प्लांटों के बंद होने से औद्योगिक कचरा सीधे पर्यावरण में छोड़ा जा रहा है। यह स्थिति पाली की इंडस्ट्रीज को खतरे में डाल रही है और बांडी नदी को गंभीर रूप से प्रदूषित कर रही है।
ट्रीटमेंट प्लांट बंद होने का कारण
ट्रीटमेंट प्लांट संख्या 6 का संचालन स्वराष्ट्र कंपनी द्वारा किया जाता है। इस प्लांट पर मंडिया रोड और इंडस्ट्रीज फेज 1-2 का अनुपचारित पानी आता था।
कंपनी के अनुसार, CITP प्रोजेक्ट का 8 करोड़ रुपए और ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का 3 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है। इस कारण प्लांट पर 10 नवंबर से फैक्ट्रियों का अनुपचारित पानी लेना बंद कर दिया गया है।
फिलहाल, ट्रीटमेंट प्लांट संख्या 4 भी बंद पड़ा है। प्लांट की क्षमता 12 MLD है, जबकि पहले करीब 7 MLD अनुपचारित पानी आता था।
रात के अंधेरे में दूषित पानी का खेल
बिना नंबर के टैंकरों का इस्तेमाल
कई बैठकों के बावजूद इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया है। हालांकि, अभी भी रात के समय कुछ फैक्ट्रियों का संचालन चोरी-छिपे किया जा रहा है।
इन फैक्ट्रियों का रंगीन और प्रदूषित पानी बिना नंबर के टैंकरों के जरिए रात को ही सीवरेज की होदियों में डाला जा रहा है। यह गंदा पानी फिर नालों से होकर सीधे बांडी नदी में मिल रहा है।
भास्कर टीम की पड़ताल
भास्कर टीम ने शनिवार और रविवार की रात को पूनायता और मंडिया रोड इंडस्ट्रीज का जायजा लिया। इस दौरान पूनायता औद्योगिक एरिया से ट्रीटमेंट प्लांट 6 से कुछ दूरी पर स्थित एक फैक्ट्री से प्रदूषित पानी से भरा एक बिना नंबर का टैंकर नजर आया।
रविवार रात करीब 11:30 बजे यह टैंकर पूनायता औद्योगिक एरिया से होते हुए लोहार बस्ती पहुंचा। वहां नाले पर बने पुल को पार कर एक मकान के बाहर खड़ा हुआ।
ड्राइवर ने टैंकर से पाइप निकालकर सीवरेज की होदी में डाला। करीब 20-25 मिनट में टैंकर खाली हो गया और फिर से पूनायता औद्योगिक एरिया में लौट गया।
वहां से एक और फैक्ट्री से रंगीन पानी भरकर वह फिर उसी स्थान पर आया और रंगीन पानी खाली किया। टैंकरों और कभी-कभी ट्रैक्टर के टैंकरों से फैक्ट्रियों का रंगीन पानी खाली करने का यह सिलसिला रात भर जारी रहा।
नाले से नदी तक प्रदूषण का सफर
सीधा नदी में जा रहा गंदा पानी
जिस नाले में सीवरेज होदी के जरिए रंगीन पानी डाला जा रहा था, उसकी दिन में जांच की गई। जांच में नाले में एक पाइप नजर आया।
संभवतः यह पाइप सीवरेज होदी से सीधे नाले तक लाया गया है। इससे फैक्ट्रियों का रंगीन पानी नाले से होकर सीधे बांडी नदी में जाकर उसे दूषित कर रहा है।
बांडी नदी की स्थिति का जायजा लेने पर नदी में भी रंगीन पानी बहता हुआ साफ नजर आया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि चोरी-छिपे रंगीन पानी छोड़कर नदी को प्रदूषित किया जा रहा है।
मंडिया रोड औद्योगिक एरिया का जायजा लेने पर वहां भी एक नाले में रंगीन पानी भरा हुआ मिला। यहां भी रंगीन पानी डालने का सिलसिला लगातार जारी है।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल का रुख
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) अमित सोनी ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि यह आरटीओ विभाग का काम है।
वे आरटीओ विभाग को इस संबंध में कार्रवाई के लिए लिखेंगे। साथ ही, जहां नाले में पाइप लगा है, वहां जाकर मौका देखेंगे कि वह पाइप कहां से आ रहा है।
आरओ सोनी ने आश्वासन दिया है कि इस पूरे मामले की गहन जांच की जाएगी। यह कदम पर्यावरण को बचाने और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण है।
पाली के उद्योगों पर खतरा
उद्यमियों की यह हरकत न केवल बांडी नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि पाली के औद्योगिक क्षेत्र की साख को भी धूमिल कर रही है। पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने से भविष्य में उद्योगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों को इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। बांडी नदी को बचाने और औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना अनिवार्य है।
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