Jalore Rajasthan: प्रभारी मंत्री के बुलाने पर भी नहीं आए किसान, बिना वार्ता ही लौटे

प्रभारी मंत्री के बुलाने पर भी नहीं आए किसान, बिना वार्ता ही लौटे
किसान वार्ता से इनकार, मंत्री बिना मिले लौटे
Ad

Highlights

  • मंत्री ने मीडिया के सामने किसानों से बात करने से इनकार किया।
  • किसान बंद कमरे में वार्ता के लिए तैयार नहीं हुए।
  • जवाई बांध के पानी की मांग को लेकर किसान मंत्री से मिलने पहुंचे थे।
  • प्रभारी मंत्री और उनके ड्राइवर बिना सीट बेल्ट के नजर आए।

जालोर: जालोर (Jalore) में प्रभारी मंत्री के.के. विश्नोई (K.K. Bishnoi) ने किसानों (Farmers) को बुलाया। मीडिया देख सार्वजनिक वार्ता से मना किया। किसानों ने बंद कमरे में बात से इनकार किया, मंत्री बिना मिले लौट गए।

प्रभारी मंत्री का जालोर दौरा और किसानों की नाराजगी

राजस्थान में भाजपा सरकार के दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद शनिवार को जालोर के प्रभारी मंत्री के.के. विश्नोई जालोर पहुंचे थे। उनका यह दौरा विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए था, जिसमें सड़क सुरक्षा की शपथ और एक प्रेस वार्ता भी शामिल थी।

इस दौरान, जालोर विधायक और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग प्रेस वार्ता में झपकी लेते हुए स्पष्ट रूप से नजर आए, जिसने कई लोगों का ध्यान खींचा। बाद में, भारतीय किसान संघ के बैनर तले अपनी मांगों को लेकर आए किसानों को वार्ता के लिए बुलाया गया।

मीडिया की मौजूदगी पर मंत्री का इनकार

किसानों को कलेक्टर सभागार भवन में वार्ता के लिए बुलाया गया था। किसानों के साथ मीडियाकर्मी भी सभागार भवन में पहुंच गए।

मीडिया को देखते ही प्रभारी मंत्री के.के. विश्नोई ने तुरंत कहा कि वे मीडिया के सामने किसानों से बात नहीं करेंगे। उन्होंने किसानों से कहा कि केवल 4-5 प्रतिनिधि बंद कमरे में आकर उनसे बात कर सकते हैं।

हालांकि, किसानों ने बंद कमरे में वार्ता करने से साफ इनकार कर दिया। उनका स्पष्ट मत था कि यह आमजन के हित का मुद्दा है और इस पर कोई भी चर्चा सार्वजनिक रूप से ही होनी चाहिए।

जवाई बांध के पानी को लेकर किसानों की मुख्य मांग

जालोर जिले के किसान जवाई बांध के पानी को लेकर अपनी मांगों को लेकर मंत्री से मिलने पहुंचे थे। उनकी प्रमुख चिंता जालोर के हक के पानी को 2280 करोड़ रुपए का टेंडर कर जोधपुर ले जाने की तैयारी थी।

किसानों ने बताया कि इस मुद्दे पर पिछले करीब 27 दिनों तक जालोर जिला कलेक्ट्रेट के सामने महा पड़ाव डालकर धरना दिया गया था। उस समय सरकार की ओर से इस योजना को बंद करने का आश्वासन दिया गया था।

इसके बावजूद, सरकार ने अंदर ही अंदर सर्वे और टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर जालोर के हक का पानी जोधपुर ले जाने की तैयारी शुरू कर दी। इसी अन्यायपूर्ण कदम के खिलाफ किसान मंत्री से ज्ञापन देकर वार्ता करने पहुंचे थे।

समझाइश बेअसर, किसान अपनी बात पर अड़े

जब किसानों ने बंद कमरे में बात करने से मना कर दिया, तो आहोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। उन्होंने किसानों को बंद कमरे में वार्ता के लिए मनाने की कोशिश की।

लेकिन किसानों ने विधायक की बात नहीं मानी। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि वे उसी मुद्दे पर बात करना चाहते हैं जो मीडिया में पहले ही छप चुका है और यह मुद्दा आम जनता से जुड़ा है।

किसानों की इस दृढ़ता के बाद, आहोर विधायक के कहने पर मंत्री फिर से सभागार में आए। उन्होंने किसानों का ज्ञापन लिया और उनसे पूछा कि वे उनसे बात करना चाहते हैं या मीडिया से।

किसानों ने एक स्वर में कहा कि जो भी बात होगी, वह सबके सामने होगी, किसी बंद कमरे में नहीं।

मंत्री बिना वार्ता किए ही लौटे, आंदोलन की चेतावनी

मंत्री ने किसानों का ज्ञापन तो ले लिया, लेकिन उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वे 5-7 दिन में इसका जवाब देंगे। इसके बाद, प्रभारी मंत्री के.के. विश्नोई, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग और आहोर विधायक किसानों को वहीं छोड़कर बिना किसी ठोस वार्ता के ही निकल गए।

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष रतन सिंह कानीवाड़ा ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार 7 दिन के भीतर कोई सकारात्मक जवाब नहीं देती है और उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो वे फिर से बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।

कानीवाड़ा ने यह भी बताया कि इस संभावित आंदोलन की तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई हैं, ताकि किसानों के हक के लिए मजबूती से लड़ा जा सके।

प्रेस वार्ता में अन्य विवाद: स्वास्थ्य और सड़क सुरक्षा

प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया ने जालोर की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि जालोर के सरकारी अस्पताल से मरीजों को संभाग स्तर पर रेफर करने की बजाय पाली क्यों भेजा जा रहा है, जिससे मरीजों को अतिरिक्त परेशानी होती है।

प्रभारी मंत्री ने इस सवाल का सीधा जवाब देने से बचते हुए सांचौर के निजी अस्पतालों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जालोर जिले में स्थित सांचौर अब एक मेडिकल हब बन गया है।

मीडिया ने इस पर आपत्ति जताई और पूछा कि जालोर का गरीब व्यक्ति सरकारी अस्पतालों की जगह सांचौर के महंगे निजी अस्पतालों में इलाज कैसे कराएगा। मंत्री ने इस संवेदनशील सवाल को भी टाल दिया।

एक अन्य घटना में, नगर परिषद में नर्सिंग स्टाफ, छात्र-छात्राओं और कर्मचारियों को सड़क नियमों की पालना की शपथ दिलाने के बाद मंत्री विश्नोई अपनी कार में रवाना हुए। इस दौरान उनकी कार का ड्राइवर और खुद मंत्री दोनों बिना सीट बेल्ट के नजर आए।

नगर परिषद के गेट के बाहर खड़े कुछ लोगों ने इस घटना का वीडियो बना लिया, जिससे नियमों की अनदेखी उजागर हुई। ड्राइवर ने कहा कि वह अभी चला है और सीट बेल्ट लगा रहा है। हालांकि, मंत्री ने तो सीट बेल्ट लगा लिया, लेकिन ड्राइवर ने नहीं लगाया, जो सड़क सुरक्षा शपथ के ठीक बाद नियमों के उल्लंघन का एक उदाहरण था।

Must Read: कार और ट्रक की जोरदार भिड़ंत 4 श्रद्धालुओं की मौत, कैलादेवी के दर्शन को जा रहे थे

पढें राज्य खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :