सिरोही | प्रकाश प्रजापति लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। अब तक तेरह सौ से अधिक अंतिम संस्कार कर चुके हैं, लेकिन इनकी चाह है कि यह आंकड़ा किसी भी तरह बढ़े नहीं। प्रकाश चाहते हैं कि जिंदगी और मौत के बीच में जो जीवन रूपी मानवीयता की डगर है, उसमें सभी इंसान बनकर रहें।
कोविड का वो दौर याद करते हुए प्रकाश प्रजापति भावुक होते हैं और कहते हैं कि उस दौर ने हमें बताया कि हम इंसान के तौर पर कितने भावों से खाली हो चुके।
एक दिन में सात—सात शवों का अंतिम संस्कार करके लौटते प्रकाश बताते हैं कि फिक्र तो मुझे भी होती थी, लेकिन कर्म नहीं छोड़ा प्रकाश प्रजापति का यह साक्षात्कार आपके हृदय को भावों से भर देगा