ये सभी प्रक्रिया करनी होती हैं पूरी: ऐसे ही नहीं बनता है नया जिला, कई चरणों के बाद मिलती है स्वीकृति, जानें इसकी प्रक्रिया

ऐसे ही नहीं बनता है नया जिला, कई चरणों के बाद मिलती है स्वीकृति, जानें इसकी प्रक्रिया
Ashok gehlot new district
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नये जिले का निर्माण करने की प्रक्रिया के दौरान कई चरणों से गुजरना होता है। ये प्रक्रिया एक राज्य से दूसरे राज्य में थोड़ी भिन्न भी हो सकती है। इसी के साथ राज्य सरकार कुछ मामलों में केंद्र सरकार की स्वीकृति भी ले सकती है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में एक साथ 19 नए जिले बनाने का ऐलान कर दिया है। जिसके बाद से क्षेत्र के नेताओं और लोगों में खुशी की लहर छाई हुई। किसी भी नए जिले की घोषणा के बाद जिले का निर्माण ऐसे ही नहीं हो जाता है। उसके लिए पूरी रूपरेखा तैयार की जाती है उसके बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद उसे जमीनी हकीकत में बदला जाता है। 

नया जिला बनाने के लिए गुजरना होता है कई चरणों से

भारत में नया जिला बनाने की प्रक्रिया में कई चरणों को शामिल किया गया है। जिनका अधिकार राज्य सरकारों के पास होता है। नये जिले का निर्माण करने की प्रक्रिया के दौरान कई चरणों से गुजरना होता है। ये प्रक्रिया एक राज्य से दूसरे राज्य में थोड़ी भिन्न भी हो सकती है। इसी के साथ राज्य सरकार कुछ मामलों में केंद्र सरकार की स्वीकृति भी ले सकती है।

ये सभी प्रक्रिया करनी होती हैं पूरी

प्रस्तावः
नया जिला बनाने के लिए सबसे पहला कदम नए जिले के निर्माण का प्रस्ताव करना है। ऐसे में नए जिला का प्रस्ताव स्थानीय प्रशासन, निर्वाचित प्रतिनिधियों या अन्य संगठनों से आ सकता है। जिस तरह से राजस्थान में भी लंबे समय से नए जिलों को लेकर प्रस्ताव आते रहे।

व्यवहार्यता अध्ययनः 
किसी भी राज्य सरकार को नया जिला बनाने के लिए जिले के प्रस्ताव का आंकलन करना होता है। जिसमें नए जिले की आवश्यकता का व्यवहार्यता अध्ययन किया जाता है। इस चरण में क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व, भौगोलिक क्षेत्र, प्रशासनिक सुविधा और संसाधनों की उपलब्धता के अलावा वहां के सामाजिक विश्लेषण  जैसे कारकों पर भी गंभीरता से विचार किया जाता है।

परामर्श: 
राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित नए जिले पर व्यवहार्यता अध्ययन के बाद क्षेत्र के स्थानीय जन प्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों जैसे विभिन्न सामाजिक संठनों के साथ भी राय-मशविरा किया जाता है। 

अधिसूचना:
इन सभी पहलुओं पर परामर्श के बाद राज्य सरकार की और से नया जिला बनाने का निर्णय लिया जाता है और इसके लिए  आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना जारी करनी होती है। जिसमें नए जिले के निर्माण की घोषणा के साथ ही जिले की सीमाओं को भी समाविष्ट किया जाता है।

अधोसंरचना विकासः 
नया जिला बनाने के लिए क्षेत्र की सीमाए तय करने के बाद राज्य सरकार का अगला कदम जिले के लिए आवश्यक अधोसंरचना विकसित करना होता है। इस चरण में नए जिले में प्रशासनिक कार्यालय, पुलिस स्टेशन, अस्पताल, स्कूल और अन्य आवश्यक सेवाएं और जन सुविधाएं स्थापित करना मुख्य उद्देष्य होता है।

संपत्ति और संसाधनों का बंटवाराः
जिस तरह से एक परिवार में सदस्यों के बीच संपत्ति का बंटवारा किया जाता है। उसी तरह से राज्य सरकार को भी नए जिले और पुराने जिले के बीच पैतृक जिले की संपत्ति और संसाधनों का बंटवारा करना होता है। 

राज्यपाल से स्वीकृतिः
राज्य सरकार द्वारा इन सभी चरणों को पूरा करने के बाद  राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त करना जरूरी होता है। ऐसे में जब तक राज्यपाल द्वारा नया जिला बनाने के लिए आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना जारी नहीं कर दी जाती है तब तक ये संभव नहीं हो पाता है।

कार्यान्वयनः
राज्यपाल की मुहर लगने के साथ ही नया जिला बनने का मार्ग पूरी तरह से खुल जाता है और एक क्षेत्र में अलग प्रशासनिक इकाई के रूप में काम शुरू हो जाता है साथ ही स्थानीय प्रशासन लोगों को सेवाएं प्रदान करना शुरू कर देता है।

इन सभी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद कोई भी राज्य अपने जिलों को बांटकर नया जिला बना सकता है। 

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