पुष्कर का अनोखा मंदिर: धनतेरस पर खुलता है पुष्कर का कुबेर मंदिर, जानें महत्व और पूजा विधि

धनतेरस पर खुलता है पुष्कर का कुबेर मंदिर, जानें महत्व और पूजा विधि
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Highlights

  • धनतेरस पर देशभर में भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती है।
  • पुष्कर में भगवान कुबेर का एक ऐसा मंदिर है जो साल में सिर्फ एक बार धनतेरस पर खुलता है।
  • इस मंदिर में भगवान कुबेर, ब्रह्मा जी के साथ विराजमान हैं।
  • स्थिर लग्न में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।

पुष्कर: आज पूरे देश में धनतेरस (Dhanteras) का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। राजस्थान (Rajasthan) के पुष्कर (Pushkar) में भगवान कुबेर (Lord Kubera) का एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक बार धनतेरस पर खुलता है।

धनतेरस का महत्व और पूजा

पूरे देश में आज धूमधाम से धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है।

आज के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती है।

धनतेरस के दिन इनकी पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती है।

साथ ही परिवार के लोगों की सेहत भी सही बनीं रहती है।

पुष्कर का अनोखा कुबेर मंदिर

देशभर में कई ऐसे मंदिर हैं, जो धन के देवता कुबेर को समर्पित हैं।

लेकिन पुष्कर में भगवान कुबेर का ऐसा मंदिर है, जो साल भर में सिर्फ एक बार खुलता है।

राजस्थान का पुष्कर ब्रह्मा मंदिर सिर्फ भगवान ब्रह्मा को नहीं, बल्कि भगवान कुबेर को भी समर्पित है।

देश के अलग-अलग राज्यों में भगवान कुबेर के मंदिर हैं, लेकिन पुष्कर में भगवान कुबेर ब्रह्मा जी के साथ विराजमान हैं।

ज्यादातर मंदिरों में भगवान कुबेर को भगवान शिव के साथ देखा गया है, जो सुख और संपत्ति दोनों का आशीर्वाद देते हैं।

लेकिन पुष्कर ब्रह्मा मंदिर इस मामले में अलग है।

खास बात ये है कि मंदिर साल भर खुला रहता है, लेकिन भगवान कुबेर साल में एक दिन धनतेरस के मौके पर ही दर्शन देते हैं।

उनके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र

यह पर्व त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में मनाया जाता है।

प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है।

इस समय स्थिर लग्न, खासकर वृषभ लग्न, में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।

क्योंकि इससे मां लक्ष्मी घर में स्थायी रूप से विराजमान होती हैं।

धनतेरस पर शाम को 13 दीपक जलाकर भगवान कुबेर की पूजा करें।

पूजा के दौरान मंत्र "यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा" का जाप करें।

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