Highlights
- नक्की झील में राज्यपाल और कलेक्टर बिना लाइफ जैकेट के नौकायन करते दिखे।
- आबूरोड दौरे के दौरान राज्यपाल की सुरक्षा में गंभीर चूक, एसपी की नेम प्लेट टूटी।
- वीवीआईपी सुरक्षा नियमों पर उठे सवाल, क्या नियम सभी के लिए समान हैं?
- प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया का इंतजार।
माउंट आबू/सिरोही: राज्यपाल (Governor) हरिभाऊ बागड़े (Haribhau Bagde) की सुरक्षा पर नक्की झील (Nakki Lake) और आबूरोड (Abu Road) में गंभीर सवाल उठे। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की सुरक्षा व्यवस्था पर हाल ही में हुई दो अलग-अलग घटनाओं ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन घटनाओं ने न केवल आम जनता बल्कि सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच भी गहरी चिंता पैदा की है। यह सवाल उठ रहा है कि क्या वीवीआईपी प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा नियमों की अनदेखी की जा सकती है, या यह केवल प्रशासनिक लापरवाही का मामला है।
नक्की झील में सुरक्षा नियमों की अनदेखी
पहली घटना माउंट आबू की प्रसिद्ध नक्की झील से संबंधित है। यहां राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े और सिरोही कलेक्टर बिना लाइफ जैकेट पहने नौकायन करते हुए दिखाई दिए। यह दृश्य सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। गौरतलब है कि इसी दौरान आमजन पर सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन कराया जा रहा था और उन्हें लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य था।
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब सामान्य नागरिकों के लिए नियम इतने सख्त हैं, तो प्रदेश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की सुरक्षा में यह प्रशासनिक चूक क्यों ?
आबूरोड दौरे में सुरक्षा में गंभीर चूक
दूसरी घटना सिरोही जिले के आबूरोड स्थित शांतिवन, ब्रह्माकुमारी के डायमंड हॉल में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े के दौरे के दौरान सामने आई। यहां राज्यपाल की सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक देखी गई। महाराष्ट्र से आए दर्जनों लोग राज्यपाल के साथ फोटो खिंचवाने की होड़ में हॉल के बाहर एक्जिट गेट पर जमा हो गए।
जब राज्यपाल हॉल से बाहर आ रहे थे, तो उन्हें इस अनियंत्रित भीड़ से निकालने में सुरक्षाकर्मियों को भारी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान हुई धक्कम-धक्का में सिरोही एसपी डॉ. प्यारेलाल शिवरान की वर्दी पर लगी नेम प्लेट भी टूट गई। पास खड़े डिप्टी पुष्पेन्द्र वर्मा ने टूटी हुई नेम प्लेट उठाकर डी.एस.बी. इंचार्ज ए.एस.आई. महावीरसिंह को सौंपी।
यह घटना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि राज्यपाल के बाहर निकलने के समय तैनात पुलिसकर्मी लापरवाह रहे और उन्होंने इतनी बड़ी भीड़ को एक्जिट गेट पर जमा होने की अनुमति क्यों दी, जबकि यह स्पष्ट रूप से सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।
ये दोनों प्रकरण राजस्थान के राज्यपाल की सुरक्षा व्यवस्था में बड़े अंतराल और नियमों की गंभीर अनदेखी की ओर इशारा करते हैं। आम जनता और सुरक्षा विशेषज्ञ इस पर गंभीर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। यह समय है जब प्रशासन और पुलिस को इन घटनाओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वीवीआईपी अधिकारियों के लिए सुरक्षा नियम अलग हैं, या यह केवल लापरवाही का मामला है। इन मामलों पर प्रशासन और पुलिस की ओर से ठोस प्रतिक्रिया और उचित कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी चूक न हो।