Highlights
- किरायानामा का रजिस्ट्रेशन अब 1 साल से कम अवधि के लिए भी अनिवार्य।
- 11 माह तक के एग्रीमेंट पर संपत्ति के बाजार मूल्य का 0.02% स्टाम्प ड्यूटी।
- रजिस्ट्रेशन फीस स्टाम्प ड्यूटी का 20% होगी।
- 30 साल या उससे अधिक के लिए सामान्य प्रॉपर्टी रजिस्ट्री जैसे चार्ज।
जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) में अब मकान, दुकान या जमीन किराए पर लेने के लिए किरायानामा रजिस्टर्ड करवाना अनिवार्य होगा, भले ही अवधि एक साल से कम हो। इससे राज्य सरकार को राजस्व हानि रुकेगी और कानूनी विवादों से बचा जा सकेगा।
राज्य सरकार ने हाल ही में रजिस्ट्रीकरण नियम में संशोधन कर यह महत्वपूर्ण प्रावधान किया है। इस बदलाव से अब संपत्ति के मालिक और किराएदार दोनों को कानूनी रूप से अधिक जवाबदेह होना पड़ेगा, जिससे भविष्य में होने वाले विवादों की संभावना कम होगी।
क्यों बदला गया किरायानामा रजिस्ट्री का नियम?
पहले के नियमों के अनुसार, किरायानामे का रजिस्ट्रेशन केवल तभी किया जाता था जब उसकी अवधि एक साल या उससे अधिक होती थी। इस प्रावधान का लाभ उठाते हुए, कई संपत्ति मालिक और किराएदार रजिस्ट्री शुल्क से बचने के लिए 11 महीने के एग्रीमेंट बनवा लेते थे।
इस तरीके से जहां एक ओर मकान मालिक और किराएदार को रजिस्ट्री के पैसे नहीं देने पड़ते थे, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान होता था। इसके अलावा, ऐसे गैर-पंजीकृत किरायानामों के कारण कानूनी विवादों की स्थिति में दोनों पक्षों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
अब सरकार ने एक साल या उससे कम अवधि के लिए भी किराए पर दी जाने वाली संपत्ति के किरायानामे की रजिस्ट्री का प्रावधान कर दिया है, जिससे इन सभी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
नए नियमों के तहत क्या हैं प्रावधान?
नए नियमों के मुताबिक, किरायानामे की रजिस्ट्री में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की गणना अलग-अलग समयावधि के लिए अलग-अलग दरों पर की जाएगी। यह व्यवस्था पारदर्शिता लाएगी और सभी को अपनी संपत्ति के किराएनामे के पंजीकरण की सही लागत जानने में मदद करेगी।
11 माह तक के किरायानामे पर शुल्क
यदि कोई संपत्ति 11 माह तक की अवधि के लिए किराए पर ली जाती है, तो किरायानामा के लिए स्टाम्प ड्यूटी ली गई संपत्ति के बाजार मूल्य का 0.02 फीसदी की दर से लगेगी। इसके अतिरिक्त, रजिस्ट्रेशन फीस कुल स्टाम्प ड्यूटी की कीमत के 20 फीसदी राशि के बराबर होगी। यह शुल्क कम अवधि के समझौतों को भी कानूनी मान्यता प्रदान करेगा।
30 साल या उससे अधिक अवधि पर सामान्य रजिस्ट्री
अगर कोई संपत्ति 30 साल या उससे ज्यादा समय के लिए किराए पर ली जाती है, तो उसके किरायानामा की रजिस्ट्री एक सामान्य प्रॉपर्टी के खरीद-बेचान के समय होने वाली रजिस्ट्री की तरह ही होगी। ऐसी स्थिति में सभी चार्ज भी वैसे ही लगेंगे जैसे किसी संपत्ति की खरीद-बिक्री में लगते हैं। यह लंबी अवधि के समझौतों को अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा।
रजिस्ट्री शुल्क की गणना का उदाहरण
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी 200 वर्गमीटर की जमीन पर निर्मित मकान में से 100 वर्ग मीटर जमीन पर निर्मित 2 कमरे, किचन-लैटबाथ, हॉल समेत अन्य एरिया 10 माह के लिए किराए पर दिया जाता है, तो उस पर नए नियमों के अनुसार रजिस्ट्री का शुल्क लगेगा। इसमें संपत्ति के बाजार मूल्य का 0.02% स्टाम्प ड्यूटी के रूप में और फिर उस स्टाम्प ड्यूटी का 20% रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में चुकाना होगा।
पहले कैसे बचते थे लोग रजिस्ट्री से?
वर्तमान में, मकान या दूसरी अचल संपत्ति के मालिक किरायानामा की रजिस्ट्री से बचने के लिए 500 रुपए के स्टाम्प पर किरायानामा तैयार करके उसे नोटरी से अटेस्टेड करवा लेते थे। ऐसा इसलिए संभव था क्योंकि एक साल से कम की अवधि के किरायानामा की रजिस्ट्री का कोई प्रावधान नहीं था। अब यह loophole बंद हो गया है।
आपके सभी सवालों के जवाब
रजिस्ट्री की प्रक्रिया क्या रहेगी?
आपको सब रजिस्ट्रार ऑफिस जाना पड़ेगा। जिस तरह सामान्य मकानों की रजिस्ट्री होती है, वैसे ही प्रक्रिया किरायानामा की भी होगी। इसमें आवश्यक दस्तावेज और पहचान प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने होंगे।
रजिस्ट्री नहीं करवाने पर क्या मुश्किल होंगी?
यदि मकान मालिक और किराएदार के बीच कोई विवाद उत्पन्न होता है और किरायानामा रजिस्टर्ड नहीं है, तो कोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई हो सकती है। गैर-पंजीकृत दस्तावेज कानूनी रूप से कमजोर पड़ सकते हैं।
यह प्रक्रिया कब से शुरू हुई?
यह प्रक्रिया 2 दिसंबर 2025 से शुरू हो चुकी है। यह नया नियम राज्य भर में लागू हो गया है।
जो लोग पहले से किराए पर रह रहे हैं, वे क्या करें?
जिन लोगों ने पहले से एग्रीमेंट कर लिया है, वे अब भी उस किरायेनामे को रजिस्टर्ड करवा सकते हैं। यह उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा और भविष्य के विवादों से बचाएगा।
रजिस्ट्रेशन नियमों में बदलाव से जुड़ी अन्य खबर
राज्य सरकार ने रजिस्ट्रेशन एक्ट-2021 में हुए संशोधन को लागू कर दिया है। इसके बाद पूरे प्रदेश में हलचल मच गई है। इस कानून में बदलाव से जमीन खरीद में होने वाले फर्जीवाड़े रुकेंगे और अवैध कॉलोनियों की पहचान करना भी आसान होगा। अकेले जयपुर में सैकड़ों सोसायटी की काटी कॉलोनियां हैं जिन पर इस नियम का सीधा असर पड़ेगा।
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