Highlights
- अग्निवीरों की स्थायी नियुक्ति 25% से बढ़ाकर 75% करने का प्रस्ताव।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को 'ठीक-ठाक डोज' देने की बात कही।
- सेना के 'सुधारों का वर्ष' पर केंद्रित है जैसलमेर कॉन्फ्रेंस।
- थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल बढ़ाने पर जोर।
जैसलमेर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) जैसलमेर (Jaisalmer) में आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (Army Commanders Conference) में शामिल हुए जहाँ 75% अग्निवीरों को स्थायी नियुक्ति देने का प्रस्ताव रखा जाएगा। उन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) को चेतावनी दी और 'ऑपरेशन सिंदूर' (Operation Sindoor) का जिक्र किया।
रक्षा मंत्री का जैसलमेर दौरा और महत्वपूर्ण उद्घाटन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार शाम लगभग 6:20 बजे जैसलमेर पहुंचे।
उन्होंने आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए यह दौरा किया।
जैसलमेर में उन्होंने शौर्य पार्क और कैक्टस पार्क का उद्घाटन किया।
इन स्थलों में भारतीय सेना के इतिहास, विभिन्न युद्धों और वीर जवानों की गाथाएं प्रदर्शित की गई हैं।
इसके अतिरिक्त, एक नए लाइट एंड साउंड शो का भी शुभारंभ किया गया।
शुक्रवार सुबह सिंह तनोट और लोंगेवाला का दौरा करेंगे।
वहां वे जवानों से मुलाकात करेंगे और शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
इसके बाद वे आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में भाग लेंगे और शाम को दिल्ली लौट जाएंगे।
अग्निवीरों की स्थायी नियुक्ति पर अहम प्रस्ताव
23 से 25 अक्टूबर तक जैसलमेर में आयोजित हो रही आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस एक महत्वपूर्ण बैठक है।
इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सेना के अधिकारियों के साथ देश की सुरक्षा व्यवस्था और सैन्य तैयारियों पर विस्तृत चर्चा कर रहे हैं।
इस दौरान, थल सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी रक्षा मंत्री के समक्ष सेना में अग्निवीरों की स्थायी नियुक्ति को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का प्रस्ताव रखेंगे।
यह प्रस्ताव अग्निवीर योजना के भविष्य और सेना की दीर्घकालिक रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी और 'ऑपरेशन सिंदूर' का जिक्र
शौर्य पार्क के उद्घाटन के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी।
उन्होंने कहा कि हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान को 'ठीक-ठाक डोज' दे दिया गया है।
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि अब पाकिस्तान कोई भी 'मिस एडवेंचर' करने से पहले 100 बार सोचेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' अभी समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि उसे केवल स्थगित किया गया है।
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान ने दोबारा कोई दुस्साहस किया, तो उसके गंभीर परिणाम होंगे, जिसकी जानकारी पाकिस्तान को भी है।
उन्होंने भारतीय सेना को हर तरीके से हमेशा अलर्ट रहने की आवश्यकता पर बल दिया।
सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास और सुरक्षा
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि बीते कुछ वर्षों में सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विकास गतिविधियों को शुरू किया है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जैसे-जैसे इन क्षेत्रों में विकास होगा, वैसे-वैसे सैनिकों के लिए चीजें और आसान होती जाएंगी।
यह विकास देश की सुरक्षा को मजबूत करने में सहायक होगा।
रामचरित मानस का प्रसंग और सेना की ताकत
राजनाथ सिंह ने जवानों को रामचरित मानस का एक किस्सा सुनाया, जिसमें अंगद के रावण के दरबार में जाने का वर्णन था।
उन्होंने बताया कि रावण ने वानरों का उपहास उड़ाया था।
इस पर अंगद ने हंसते हुए कहा कि जिसे तुम वानर समझ रहे हो, उसे तो हमने सिर्फ खबर लेने भेजा था और वो लंका को जला आया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सोचो जिस दिन असली योद्धा आएंगे तो वे तुम्हारा क्या हश्र करेंगे।
उन्होंने इस प्रसंग को भारतीय सेना की ताकत से जोड़ा और कहा कि हमारे पायलट ने केवल हाल-चाल ही लेना चाहा था और पाकिस्तान की यह गत कर दी।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हमारे सैनिकों को दल-बल के साथ मौका मिला, तो पाकिस्तान का क्या हश्र होगा, यह बताने की आवश्यकता नहीं है।
सतर्कता और आंतरिक-बाहरी शत्रु
रक्षा मंत्री ने जोर दिया कि हमारे शत्रु, चाहे वे बाहरी हों या आंतरिक, कभी निष्क्रिय नहीं रहते।
वे हमेशा किसी न किसी रूप में सक्रिय रहते हैं।
ऐसे में हमें उनकी गतिविधियों पर लगातार पैनी नजर रखनी होगी और उसी के अनुरूप कदम उठाने होंगे।
'बड़ाखाना' परंपरा: एकता और परिवार का संदेश
राजनाथ सिंह ने 'बड़ाखाना' की परंपरा को बहुत पुरानी बताया, जो न जाने कितने सालों से चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि यह परंपरा हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि हम चाहे किसी भी पद पर हों – मंत्री, अधिकारी या सैनिक – हम सभी एक ही परिवार के अंग हैं।
बड़ाखाना में सबके साथ भोजन करना यह दर्शाता है कि हम अपने पद से कहीं बढ़कर एक परिवार हैं।
उन्होंने 'बड़ाखाना' को केवल खाना खाने का आयोजन नहीं, बल्कि दिल जोड़ने का अवसर बताया।
उन्होंने कहा कि हमारी सेनाओं और सुरक्षा बलों में अलग-अलग धर्म, जाति, भाषा और प्रदेशों के लोग हैं।
ये तमाम विविधताएं बड़ाखाना के अवसर पर एक ही थाली में दिखाई देने लग जाती हैं।
इसलिए यह अवसर किसी भी समारोह या डिनर से कहीं ऊपर है।
'सुधारों का वर्ष' और सेना का आधुनिकीकरण
इस बार की कॉन्फ्रेंस को सेना ने "Year of Reforms" (सुधारों का वर्ष) का हिस्सा बताया है।
इस दौरान सेना नेतृत्व नए ढांचे, तकनीकी सुधारों और आधुनिक युद्ध की तैयारियों पर चर्चा करेगा।
इसका मुख्य लक्ष्य सेना को अधिक टेक्नोलॉजी-ड्रिवन और फ्यूचर रेडी फोर्स बनाना है।
अग्निवीर योजना की समीक्षा और भविष्य की योजना
थलसेना के उच्च अधिकारियों का यह वार्षिक आर्मी कमांडर्स सम्मेलन कई दृष्टियों से विशेष है।
इसमें देश की सैन्य नीति से जुड़े कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अग्निवीरों की स्थायी नियुक्ति 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव सबसे प्रमुख है।
सूत्रों के अनुसार, अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए पहले बैच के जवान अगले वर्ष अपनी चार वर्षीय सेवा पूरी करेंगे।
ऐसे में उनकी पुनर्नियुक्ति और भविष्य की योजना तय करने को लेकर यह बैठक निर्णायक साबित हो सकती है।
रक्षा मंत्रालय इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है कि अधिक संख्या में प्रशिक्षित अग्निवीरों को सेना में स्थायी अवसर मिले।
इसका उद्देश्य उनके अनुभव और दक्षता का उपयोग देश की सुरक्षा में और बेहतर ढंग से करना है।
पूर्व सैनिकों की भूमिका और 'जॉइंटनेस' पर फोकस
सम्मेलन में बढ़ती पूर्व सैनिक संख्या को देखते हुए उनके अनुभव के उपयोग के विकल्पों पर भी चर्चा होगी।
वर्तमान में पूर्व सैनिक सीमित भूमिकाओं में कार्यरत हैं, जैसे आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी या एक्स-सर्विसमैन कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) के तहत।
अब सरकार उनकी विशेषज्ञता का फायदा व्यापक स्तर पर उठाने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है।
सम्मेलन में थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल और एकजुटता बढ़ाने के उपायों पर विशेष जोर दिया जाएगा।
इसमें साझा प्रशिक्षण, उपकरणों का मानकीकरण, लॉजिस्टिक व सप्लाई चेन सुधार, कर्मियों का आपसी स्थानांतरण और सामाजिक संवाद बढ़ाने जैसे कदमों पर चर्चा होगी।
इन प्रयासों का उद्देश्य भविष्य में थिएटर कमांड्स की स्थापना के लिए मजबूत आधार तैयार करना है।
ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा और मिशन सुदर्शन चक्र
जैसलमेर सम्मेलन में सेना की ऑपरेशनल तैयारियों की भी व्यापक समीक्षा होगी।
इसमें क्षतिग्रस्त उपकरणों की मरम्मत और प्रतिस्थापन, आवश्यक सैन्य सामग्रियों की आपात खरीद, गोला-बारूद और हथियार प्रणालियों के भंडारण की स्थिति जैसे विषय शामिल हैं।
मिशन सुदर्शन चक्र के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा भी की जाएगी।
यह मिशन तीनों सेनाओं और अन्य हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पहली बड़ी बैठक
यह सम्मेलन मई में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद सेना कमांडरों की पहली बड़ी बैठक है।
इससे पहले इसी माह दिल्ली में सम्मेलन का पहला चरण आयोजित किया गया था।
जैसलमेर बैठक इस वर्ष की दूसरी आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का दूसरा चरण है।
यह बैठक सेना के शीर्ष नेतृत्व को वर्तमान सुरक्षा स्थिति, उभरती चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों पर गहन चर्चा का अवसर प्रदान करेगी।
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