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कुन्नर के निधन के कारण राज्य की 200 सीटों के लिए निर्धारित राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब 25 नवंबर को 199 सीटों के लिए मतदान होगा।
प्रत्याशियों की मौत का सिलसिला बीते तीन चुनाव से लगातार चल रहा है। 2013 में चुरू में बसपा के प्रत्याशी जगदीश और 2018 में रामगढ़ सीट पर बसपा के ही प्रत्याशी लक्ष्मणसिंह के निधन के बाद प्रदेश में 199 सीटों पर ही चुनाव हुआ था।
जयपुर । राजनीतिक घटनाओं के एक गंभीर मोड़ में, राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक अप्रत्याशित मोड़ आया जब करणपुर से कांग्रेस उम्मीदवार और मौजूदा विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर ने दिल्ली में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। अब राजस्थान में 199 सीटों पर ही विधानसभा चुनाव में मतदान होगा। अब यहां नामांकन से लेकर निर्वाचन तक की पूरी प्रक्रिया नए सिरे से दोहराई जाएगी।
नियमों के अनुसार यदि किसी रजिस्टर्ड दल के प्रत्याशी का निधन हो जाता है तो ही चुनाव रद्द होता है। निर्दलीय प्रत्याशी के निधन पर चुनावी प्रक्रिया यथावत चलती रहती है।
गुरमीत सिंह कुन्नर, जो 2008 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीतने के बाद मंत्री बनाए गए थे। उन्हें एक बार फिर से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था। उनके सामने बीजेपी के सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी चुनाव लड़ रहे थे।
प्रत्याशियों की मौत का सिलसिला बीते तीन चुनाव से लगातार चल रहा है। 2013 में चुरू में बसपा के प्रत्याशी जगदीश और 2018 में रामगढ़ सीट पर बसपा के ही प्रत्याशी लक्ष्मणसिंह के निधन के बाद प्रदेश में 199 सीटों पर ही चुनाव हुआ था।
दिवंगत विधायक कुन्नर किडनी की समस्याओं से जूझ रहे थे और चिकित्सकीय उपचार के बाद लगातार स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्होंने दम तोड़ दिया।
यहां से एक 78 वर्षीय तीतर सिंह भी अपना 32वां चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में उन्हें भी एक बार फिर से नामांकन दाखिल करना होगा।
कुन्नर के निधन के कारण राज्य की 200 सीटों के लिए निर्धारित राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब 25 नवंबर को 199 सीटों के लिए मतदान होगा।
राजस्थान विधानसभा की चुनावी लड़ाई में गुरमीत सिंह कुन्नर को भाजपा के सुरेंद्र पाल सिंह टीटी से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। 2008 में कुन्नर निर्दलीय विधायक बने थे तो उन्हें जल संसाधन विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया था।
2013 में कुन्नर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए थे। करणपुर विधानसभा सीट से 2018 में त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस के गुरमीतसिंह कुन्नर जीते थे। निर्दलीय पृथीपाल सिंह संधू दूसरे एवं भाजपा के सुरेन्द्रपालसिंह टीटी तीसरे नंबर पर रहे। इस बार तीनों ही फिर आमने-सामने है। संधू आम आदमी की पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। लेकिन राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले ही गुरमीतसिंह कुन्नर का निधन हो गया।
बीच चुनाव इन प्रत्याशियों का निधन
2018 में अलवर सीट पर बसपा के उम्मीदवार 62 वर्षीय लक्ष्मण सिंह की कार्डिक अरेस्ट से मौत के कारण 199 सीटों पर ही चुनाव हुआ था।
2013 में चुरू सीट पर बसपा के प्रत्याशी जगदीश मेघवाल की हृदयगति रुक जाने से मौत हो गई थी। वह सिर्फ 34 वर्ष के थे। इसके बाद राजस्थान में 199 सीटों पर चुनाव हुआ था।
1998 के चुनाव में 12 नवम्बर को हनुमान बेनिवाल के पिता रामदेव चौधरी के निधन के कारण नागौर जिले की मूंडवा सीट पर उप चुनाव हुआ। उप चुनाव में भी प्रत्याशी हनुमान बेनिवाल का नामांकन आश्चर्यजनक रूप से रद्द हो गया और हबीबुर्ररहमान चुनाव जीत गए थे।
महाराजा हनुवंत सिंह का भी हुआ था निधन
पहले चुनाव में महाराजा हनुवंत सिंह का चुनाव परिणाम के दिन ही निधन हुआ था। हालांकि वे पद की शपथ नहीं ले पाए थे। बाद में उप चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के हरिकृष्ण व्यास विधायक बने थे।