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भाजपा को बड़ा झटका लगा है। राजस्थान की लेडी योगी कहे जाने वाली साध्वी अनादि सरस्वती (Sadhvi Anadi Saraswati) ने भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वे कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने जा रही हैं।
जयपुर | राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपना-अपना कुनबा बढ़ाने में लगी हुई है।
भाजपा के नाराज नेता कांग्रेस में और कांग्रेस के भाजपा में अपना सियासी करियर खोज रहे हैं।
इसी बीच भाजपा को बड़ा झटका लगा है। राजस्थान की लेडी योगी कहे जाने वाली साध्वी अनादि सरस्वती (Sadhvi Anadi Saraswati) ने भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
साध्वी ने गुरूवार यानि आज राजधानी जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कर कमलों पर चलने वाली और उन्ही की तरह समाज सेवा में जुटी मां अनादि सरस्वती अजमेर जिले की रहने वाली हैं।
आनादि साध्वी को राजस्थान की योगी भी कहा जाता है।
क्यों की कांग्रेस ज्वॉइन ?
44 वर्षीय साध्वी अनादि सरस्वती इस बार विधानसभा चुनाव में हाथ आजमाना चाहती हैं और इसके लिए उन्होंने अजमेर उत्तर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट के लिए दावेदारी जताई थी।
दूसरे नेताओं की तरह ही साध्वी अनादि को भी भाजपा ने यहां से टिकट नहीं दिया। भाजपा ने उनका पत्ता काट कर उनकी जगह वासुदेव देवनानी को अजमेर उत्तर से अपना उम्मीदवार घोषित किया। जिससे नाराज साध्वी ने कांग्रेस का हाथ थामने की ठानी।
ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी उन्हें वहां से टिकट देकर चुनाव लड़ा सकती है।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को भेजा त्याग पत्र
इससे पहले बुधवार को साध्वी अनादि सरस्वती ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को अपना त्याग पत्र भेजा था।
इसमें उन्होंने लिखा था कि वो अपरिहार्य कारणों के चलते भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्याग पत्र दे रही हैं।
फिल्मी सेलेब्स से कम नहीं है क्रेज
साध्वी अनादि सरस्वती को आज बड़ी संख्या में लोग सोशल मीडिया पर फॉलो करते हैं।
सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाली साध्वी का क्रेज किसी फिल्मी सेलेब्स से कम नहीं है।
समाजशास्त्र से एमए कर चुकी अनादि सरस्वती ने को विज्ञान की भी अच्छी जानकारी है।
पढ़ाई के बाद उन्होंने पतंजलि योगदर्शन, भगवद् गीता और वेदांत का ज्ञान भी हासिल किया और अध्यात्म के रास्ता पर निकल पड़ी।