राजस्थान में 'उड़ान' कार्यक्रम का समापन: विशेष योग्यजन बच्चों को मिला सम्मान

विशेष योग्यजन बच्चों को मिला सम्मान
उड़ान कार्यक्रम
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मुख्य न्यायाधिपति  एम एम श्रीवास्तव ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि विशेष योग्यजन बच्चे किसी से कम नहीं हैं। ये सहानुभूति नहीं मांगते, बल्कि अवसर की तलाश में परिस्थितियों से जूझने तथा आपदा को चुनौति में बदलने की अपार शक्ति रखते हैं

जयपुर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विधिक सेवा दिवस, 2024 के अवसर पर सोमवार को Sports for Awareness 'उड़ान' कार्यक्रम का समापन समारोह तथा पुरस्कार वितरण आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश  एम एम श्रीवास्तव, मुख्य न्यायाधिपति, राजस्थान उच्च न्यायालय ने की। कार्यक्रम के तहत् प्रात: सवाई मानसिंह स्टेडियम में जिला तथा संभाग स्तर पर विजेता रहे प्रतिभागियों में से राज्य स्तरीय विजेताओं का चयन किया गया तथा सायंकाल राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, झालाना में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर मुख्य न्यायाधिपति  एम एम श्रीवास्तव ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि विशेष योग्यजन बच्चे किसी से कम नहीं हैं। ये सहानुभूति नहीं मांगते, बल्कि अवसर की तलाश में परिस्थितियों से जूझने तथा आपदा को चुनौति में बदलने की अपार शक्ति रखते हैं।

 children got respect

 पंकज भंडारी, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, रालसा ने बच्चों के साथ शतरंज तथा अन्य खेलों में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि रालसा ऐसे बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने तथा उनमें अधिकारों की जागरूकता के लिए प्रयासरत है।

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष रालसा ने विशेष योग्यजन बच्चों के कल्याण और उनमें अधिकारों की जागरूकता एवं संवेदीकरण की नवीन पहल की है, जिसमें 08 वर्ष से 18 वर्ष तक के विशेष योग्यजन बालक एवं बालिकाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। ये खेल थे कबड्‌डी, बाँची बॉल, बैडमिंटन, कैरम, शतरंज, लम्बी कूद, पेंटिंग, शॉट पुट तथा टेबल टेनिस।

रालसा का प्रयास है कि इन खेलों के माध्यम से दिव्यांग बच्चों में शारीरिक क्षमता तथा संज्ञानात्मक स्वास्थ्य का विकास, साहस प्रदर्शन, प्रसन्नता की अनुभूति, भेदभाव मिटाना, लक्ष्य निर्धारण एवं विश्वास उत्पन्न करना, संवाद तथा नेतृत्व क्षमता का विकास, भावनात्मक तथा मनौवैज्ञानिक सहायता तथा समावेश की भावना विकसित करना है। रालसा विशेष योग्यजन बच्चों के सपनों और उम्मीदों को सहेजता है। उन्हें विश्वास दिलाता है कि वो इसी समाज का हिस्सा है। ये खेल इसी भावना से किए गए थे।

इन प्रतियोगिताओं के विषय ऐसे रखे गए हैं जिससे हरित राजस्थान, Child Abuse Free Society मैन्युअल स्कैवेंजिंग का उन्मूलन, विधिक सेवाओं की जानकारी, दिव्यांगजनों का सशक्तिकरण तथा महिला अपराध मुक्त समाज की स्थापना किए जाने की भावना उत्पन्न हो सके।

 इंद्रजीत सिंह, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जयपुर ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से विशेष योग्यजन बच्चों को उत्साहित करना है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को भी बढ़ाना है।

कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के अन्य वरिष्ठ न्यायाधिपतिगण, जिला एवं सेशन न्यायाधीशगण तथा राजस्थान उच्च न्यायायलय रजिस्ट्री के अधिकारीगण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवगण इत्यादि सम्मिलित रहे।

कार्यक्रम के अन्त में प्रथम स्थान पर रही टीमों को गोल्ड मेडल व प्रशस्ति पत्र दिया गया। द्वितीय स्थान पर रहने वाली टीमों को सिल्वर मेडल व प्रशस्ति पत्र एवं तृतीय स्थान पर रही टीमों को ब्रोन्ज मेडल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसी प्रकार अन्य स्थान पर रहने वाले खिलाड़ियों को सांत्वना पुरस्कार के रूप में ट्रॉफी, प्रशस्ति पत्र एवं गिफ्ट हेम्पर दिए गये।

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