Highlights
- श्रीनगर के नौगाम थाने में हुए धमाके में 9 लोगों की मौत और 32 घायल हुए।
- यह हादसा फरीदाबाद से जब्त विस्फोटक की सैंपलिंग के दौरान हुआ था।
- डीजीपी ने इसे हादसा बताया, लेकिन विशेषज्ञों ने लापरवाही पर गंभीर सवाल उठाए।
- गृह मंत्रालय की एसओपी का पालन न करने पर चिंता व्यक्त की गई।
श्रीनगर: श्रीनगर नौगाम थाने में 14 नवंबर रात धमाके में 9 की मौत, 32 घायल। फरीदाबाद से जब्त विस्फोटक की सैंपलिंग के दौरान हुए इस हादसे ने सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल।
यह भीषण धमाका 14 नवंबर की रात करीब 11:22 बजे हुआ, जिसकी गूंज श्रीनगर से लेकर बड़गाम तक सुनाई दी। धमाके के बाद नौगाम पुलिस स्टेशन के आसपास का इलाका दहल उठा। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि धमाका इतना जोरदार था कि घरों की खिड़कियां और दरवाजे टूट गए, और कई किलोमीटर दूर तक शरीर के टुकड़े बिखरे मिले।
धमाके में मारे गए लोगों में एक इंस्पेक्टर, तीन फोरेंसिक टीम मेंबर, दो क्राइम ब्रांच फोटोग्राफर, दो राजस्व अधिकारी और एक दर्जी शामिल हैं। मोहम्मद शफी नाम के दर्जी के रिश्तेदार ने बताया कि पुलिस ने उन्हें सुबह और शाम को बुलाया था, और रात में उनकी मौत की खबर मिली। शफी के घर में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा है।
इसी तरह, फोटोग्राफर अर्शीद अहमद शाह भी इस धमाके का शिकार हुए। उनके परिवार ने बताया कि अर्शीद ही घर के इकलौते कमाने वाले थे, और उनकी मौत से परिवार सदमे में है। नायब तहसीलदार मुजफ्फर अहमद की भी इस हादसे में जान चली गई।
डीजीपी का बयान और विशेषज्ञों के सवाल
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने इस घटना को एक हादसा बताया। उन्होंने कहा कि विस्फोटक से सैंपलिंग के दौरान ब्लास्ट हुआ। हालांकि, इस पर कई सवाल उठ रहे हैं। दैनिक भास्कर ने दिल्ली एम्स के पूर्व फोरेंसिक डायरेक्टर डॉ. टीडी डोगरा से बात की।
डॉ. डोगरा ने कहा कि अकेले अमोनियम नाइट्रेट में विस्फोट नहीं हो सकता। जिस तरह से दिल्ली और श्रीनगर में धमाके हुए, उनमें विस्फोटक एक समान होने की आशंका है क्योंकि दोनों में तीव्रता एक जैसी थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिना डेटोनेटर और फ्यूज के ऐसा धमाका संभव नहीं है, और माचिस या सिगरेट की आग से भी ऐसा एक्सीडेंटल धमाका नहीं हो सकता।
उन्होंने बताया कि विस्फोटक सामग्री को ट्रिगर करने के लिए डेटोनेटर का होना जरूरी है। यह कैसे कनेक्ट हुआ और गलती कैसे हुई, यह जांच एजेंसियां ही स्पष्ट कर सकती हैं।
फरीदाबाद से लाए गए विस्फोटक और सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नौगाम पुलिस स्टेशन में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक हरियाणा के फरीदाबाद से एक टाटा 407 पिकअप ट्रक में छोटे-छोटे बैगों में भरकर लाए गए थे। ये विस्फोटक 9-10 नवंबर को छापेमारी के दौरान फरीदाबाद से जब्त किए गए थे और नौगाम पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले की केस प्रॉपर्टी के तौर पर लाए गए थे।
इस घटना ने सुरक्षा प्रोटोकॉल के पालन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने इसे "बड़ी लापरवाही" बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह के विस्फोटक से दिल्ली में धमाका हुआ था, उसे किसी भी कीमत पर थाने में नहीं रखना चाहिए था, खासकर तब जब थाना आबादी वाले इलाके में स्थित हो।
गृह मंत्रालय द्वारा 25 अप्रैल 2025 को जारी एक एसओपी (SOP) लेटर का हवाला देते हुए, प्रकाश सिंह ने बताया कि इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य पुलिस और जांच एजेंसियां विस्फोटक और मादक पदार्थों की हैंडलिंग और डिस्पोजल के लिए एक समान प्रक्रिया नहीं अपना रही हैं, जिससे नुकसान हो सकता है। इस मामले में भी इसी एसओपी का उल्लंघन हुआ प्रतीत होता है।
सरकार का रुख और सहायता का ऐलान
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नौगाम ब्लास्ट को लेकर पुलिस और सिविल प्रशासन के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी आश्वासन दिया है कि धमाके से थाने के आसपास की जिन भी इमारतों को नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई राज्य सरकार करेगी।
अन्य संबंधित घटनाक्रम
दिल्ली ब्लास्ट कनेक्शन में गिरफ्तार लखनऊ की डॉ. शाहीन शाहिद के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कानपुर मेडिकल कॉलेज ने उनके नाम को विभाग के बोर्ड से हटा दिया है। वहीं, राजौरी के थानामंडी इलाके में सर्चिंग के दौरान एक आईईडी (IED) बरामद कर निष्क्रिय किया गया। उधमपुर के एसएसपी अमोद अशोक नागपुरे ने ड्रग पैडलर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखने की बात कही है, जिसके तहत 11.5 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की जा चुकी हैं।
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