Highlights
- राजस्थान हाईकोर्ट ने जयनारायण व्यास टाउन हॉल की व्यवस्थाओं पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की।
- कोर्ट ने राज्य सरकार से टाउन हॉल से संबंधित पांच प्रमुख मुद्दों पर विस्तृत हलफनामा मांगा है।
- अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल न करने पर संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा।
- सांस्कृतिक गतिविधियों में बाधा, जनशक्ति की कमी और सुरक्षा ऑडिट का अभाव मुख्य चिंताएं हैं।
जोधपुर:जोधपुर (Jodhpur) के जयनारायण व्यास टाउन हॉल (Jaynarayan Vyas Town Hall) की बदहाली पर राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पांच प्रमुख मुद्दों पर हलफनामा मांगा है, अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ ने जोधपुर के जयनारायण व्यास टाउन हॉल के प्रबंधन, सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने इस स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि अगली सुनवाई तक राज्य सरकार द्वारा हलफनामा दाखिल नहीं किया गया, तो संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
2018 से चल रहा है मामला, न्यायमित्र ने उठाए गंभीर मुद्दे
यह मामला वर्ष 2018 से अदालत में चल रहा है, जब कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जयनारायण व्यास टाउन हॉल की दयनीय स्थिति पर सुनवाई शुरू की थी। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य को न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया गया है, जिन्होंने कोर्ट के समक्ष पांच गंभीर मुद्दे प्रस्तुत किए हैं।
सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कम एडिशनल एडवोकेट जनरल राजेश पंवार और असिस्टेंट एडिशनल एडवोकेट जनरल आयुष गहलोत ने कोर्ट में प्रतिनिधित्व किया।
टाउन हॉल की बदहाली के पांच प्रमुख कारण
न्यायमित्र डॉ. सचिन आचार्य ने कोर्ट के समक्ष जयनारायण व्यास टाउन हॉल से संबंधित निम्नलिखित पांच मुख्य चिंताएं उठाई हैं:
- सांस्कृतिक गतिविधियों में बाधा: राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के सचिव संस्थाओं को सांस्कृतिक और अन्य गतिविधियों के लिए परिसर की बुकिंग की अनुमति नहीं दे रहे हैं, जो टाउन हॉल के मूल उद्देश्य के विपरीत है और सांस्कृतिक संस्थाओं के लिए बड़ी बाधा बन गया है।
- जनशक्ति की कमी: टाउन हॉल में उचित जनशक्ति का अभाव है, जिससे इसके सुचारू संचालन में कठिनाई आ रही है और प्रबंधन प्रभावित हो रहा है।
- अनाधिकृत व्यक्तियों का दुरुपयोग: परिसर का अजनबियों और अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। यह सुरक्षा और प्रबंधन की गंभीर कमी को दर्शाता है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं।
- अपर्याप्त बिजली आपूर्ति: टाउन हॉल में बिजली की आपूर्ति अपर्याप्त है, जिसके कारण कार्यक्रमों के आयोजन में लगातार दिक्कतें आ रही हैं और आयोजकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- सुरक्षा ऑडिट का अभाव: सबसे गंभीर मुद्दा यह है कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्माण के संबंध में कोई सुरक्षा ऑडिट नहीं किया गया है। यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है, खासकर बड़े आयोजनों के दौरान।
सरकार ने मांगा समय, कोर्ट की सख्त चेतावनी
एडिशनल एडवोकेट जनरल ने न्यायमित्र द्वारा उठाए गए पांचों मुद्दों का जवाब देने के लिए अदालत से कुछ समय का अनुरोध किया। कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया, लेकिन साथ ही सख्त निर्देश भी दिए।
कोर्ट ने एएजी को निर्देशित किया कि अगली सुनवाई तक संबंधित प्राधिकारी का विस्तृत हलफनामा कोर्ट के समक्ष उठाए गए सभी पांच मुद्दों के संबंध में दाखिल किया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि हलफनामा दाखिल नहीं किया गया, तो संबंधित प्राधिकारी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना होगा।
रंगकर्मियों में आक्रोश, चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई
कोर्ट ने मामले को चार सप्ताह बाद की तारीख पर सूचीबद्ध किया है। इस अवधि के दौरान, सरकार को सभी पांच मुद्दों पर एक विस्तृत हलफनामा तैयार करना होगा। इस हलफनामे में बुकिंग में आ रही बाधाओं, जनशक्ति की स्थिति, अनधिकृत व्यक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के उपायों, बिजली आपूर्ति में सुधार और सुरक्षा ऑडिट की योजना पर स्पष्टीकरण देना होगा।
जोधपुर के रंगकर्मियों में भी टाउन हॉल नहीं खोले जाने को लेकर गहरा आक्रोश है। गत दिनों उन्होंने कैंडल मार्च निकालकर सांकेतिक धरना भी दिया था, लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी स्थिति यथावत बनी हुई है। जिम्मेदार अधिकारी उनकी परवाह करते नजर नहीं आ रहे हैं, जिससे सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले इस महत्वपूर्ण स्थल की बदहाली जारी है।
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