Highlights
- भारत को 'दुनिया का दवाख़ाना' कहा जाता है, जिसने $27.85 अरब का निर्यात किया.
- ट्रंप ने 1 अक्टूबर से ब्रांडेड फ़ार्मा उत्पादों पर 100% टैरिफ़ लगाने की घोषणा की है.
- जेनेरिक ब्रांडेड दवाइयों पर टैरिफ़ के दायरे को लेकर अभी भ्रम की स्थिति है.
- टैरिफ़ से अमेरिकी स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित होंगी और दवाइयाँ महंगी हो सकती हैं.
दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रांडेड दवाइयों (branded medicines) पर टैरिफ़ (tariff) लगाने की घोषणा की है. इससे भारत (India) के फ़ार्मा निर्यात (pharma exports) को नुक़सान हो सकता है, जो 'दुनिया का दवाख़ाना' (world's pharmacy) कहलाता है.
भारत को 'दुनिया का दवाख़ाना' कहा जाता है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में $27.85 अरब का निर्यात हुआ था.
भारत की वैश्विक फ़ार्मा सप्लाई चेन में बड़ी हिस्सेदारी है. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा फ़ार्मा निर्यात बाज़ार है.
ट्रंप का नया फ़ैसला
ट्रंप ने 1 अक्टूबर से 100% टैरिफ़ की घोषणा की है. यह टैरिफ़ ब्रांडेड या पेटेंटेड फ़ार्मा उत्पादों पर लगेगा.
जो कंपनियां अमेरिका में उत्पादन करती हैं, उन पर टैरिफ़ नहीं लगेगा. प्लांट बनाने वाली कंपनियां भी दायरे से बाहर रहेंगी.
ब्रांडेड जेनेरिक बनाम पेटेंटेड
अभी टैरिफ़ ब्रांडेड जेनेरिक दवाइयों को लेकर भ्रम बना हुआ है. यह स्पष्ट नहीं कि उन पर टैरिफ़ लगेगा.
अजय श्रीवास्तव के अनुसार, ब्रांडेड जेनेरिक दवाइयों पर असर पड़ सकता है. अमेरिका में इन्हें अक्सर पेटेंटेड दवाई माना जाता है.
भारत पर संभावित असर
भारत का ज़्यादातर निर्यात जेनेरिक दवाइयों का ही है. टैरिफ़ की घोषणा से निफ़्टी फ़ार्मा में गिरावट आई.
अमेरिका गर्भनिरोधक गोलियों के लिए भारतीय कंपनियों पर निर्भर है. हाइपरटेंशन और डिप्रेशन की दवाएँ भी भारत से आती हैं.
भारतीय सस्ती दवाइयों से अमेरिकी हेल्थकेयर ने $220 अरब बचाए. यह बचत 2012 से 2022 तक $1.3 ट्रिलियन रही है.
ट्रंप क्या जोखिम लेंगे?
ट्रंप 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' समर्थकों को खुश करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. भारत को भी उनका निशाना बनना पड़ सकता है.
यह ट्रंप की 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' और मोदी की 'मेक इन इंडिया' का टकराव है. ट्रंप चाहते हैं कि कंपनियां अमेरिका में प्लांट लगाएं.
भारत और अमेरिका में श्रम लागत में बड़ा अंतर है. ट्रंप भारत को नुकसान पहुँचाने के लिए अपना नुकसान भी सह सकते हैं.
सन फ़ार्मा जैसी भारतीय कंपनियों को बड़ा नुकसान होगा. उनकी एक तिहाई से ज़्यादा आय अमेरिका से आती है.
पहले भी अमेरिका ने भारत से आयात पर टैरिफ़ लगाए थे. आईसीआरए के अनुसार, भारतीय कंपनियों की वृद्धि दर धीमी रहेगी.
पेटेंट कानून पर दबाव
भारत पर अपने पेटेंट कानून बदलने का दबाव रहा है. अमेरिका चाहता है कि भारत पेटेंट अवधि 20 साल से ज़्यादा करे.
ट्रंप साझे उपक्रमों की बात नहीं कर रहे हैं. वे सीधे अमेरिका में प्लांट लगाने को कह रहे हैं.