मेरी कहानी: विक्रम सिंह शेखावत : जिसने न कभी आराम किया,विघ्नों में रहकर नाम किया !

विक्रम सिंह शेखावत : जिसने न कभी आराम किया,विघ्नों में रहकर नाम किया !
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Highlights

हर शुरुआत छोटी ही होती है। विक्रमसिंह की कामयाबी का सफर भी कुछ इसी तरह शुरू हुआ। विदेश जाने और मजदूरी से विदेशी मुद्रा  कमाने के अवसर थे। लेकिन  भारत में  रहते हुए अपने-आप को स्थापित करना है इसीलिए नौकरी छोड़ खुद के काम की परिकल्पना पर काम शुरू कर दिया। 

टेंडर किंग्स  क्रांतिकारी  युग की शुरुआत थी।  इससे न केवल  टेंडर्स में पारदर्शिता आई बल्कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी शुरू हुई ।  टेंडर किंग्स के पास 200 से अधिक कुशल और पेशेवरकर्मियों की  एक विशाल टीम है ।  साथ ही टेंडर्स किंग के पास तीन  लाख से ज्यादा  क्लाइंट्स हैं।

आठवीं तक पढ़े विक्रम सिंह शेखावत के लक्ष्य बड़े हैं।  फिलहाल अभी उनकी निगाह 2024-2025 तक टेंडर किंग्स का IPO लाने ,ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने ,  युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने में है ।

जीवन मंत्र :

"अगर आप कुछ सोच सकते है, तो यक़ीन मानिए आप उसे कर भी सकते हैं"

सीकर जिले के केहरपुरा -खंडेला  में जन्मे विक्रमसिंह शेखावत उन सभी लोगों के लिए प्रेरक हैं ,जो हालात के आगे हाथ खड़े कर देते हैं। विक्रम सिंह का जन्म  एक मध्यम वर्गीय परिवार में बहादुर सिंह शेखावत के यहाँ हुआ। गांव में रहकर विक्रम सिंह ने सिर्फ स्कूली पढाई की।  वह भी पूरी नहीं ,सिर्फ आठवीं के दर्जे तक। घर के आर्थिक हालात संघर्षपूर्ण थे लिहाजा पढ़ाई में मन नहीं लगा और कमाई के मकसद से विक्रम सिंह के पाँव कदम शहर की तरफ बढ़ गए।

जीवन संघर्ष :

शिक्षा  केवल 8वीं तक ,शहर की चकाचौंध और भागदौड़ वाली जिंदगी में अपने आप को असहज पाया, लेकिन पीछे देखने की बजाय निगाह भविष्य पर राखी और बढ़ते चले गये। 

हर शुरुआत छोटी ही होती है। विक्रमसिंह की कामयाबी का सफर भी कुछ इसी तरह शुरू हुआ।  शुरूआती तौर पर  बड़े कांट्रेक्टर के यहाँ नौकरी की, यहीं से सबक मिला कि  पेशेवर लोग  कार्य के घंटे में काम करते हैं।  उसके अतिरिक्त  नहीं । खुद को स्थापित करना है तो अतिरिक्त समय के साथ-साथ लगन से काम भी करना होगा।  और ज्यादा से ज्यादा सीखना भी होगा। इसी सबक से  काम की बारीकियों को समझने की कोशिश की। 

नौकरी से आगे का सफ़र

पिता बहादुर सिंह शेखावत विदेश -इटली में कार्यरत थे। जाहिर है इटली जाने और विदेशी मुद्रा कमाने के अवसर  मेहनत -मजदूरी के जरिये विक्रम सिंह के पास भी थे।   लेकिन  भारत में  रहते हुए अपने-आप को स्थापित करना है इसीलिए नौकरी छोड़ खुद के काम की परिकल्पना पर काम शुरू कर दिया। 

कुछ साथियों के साथ कुछ नया करने की योजना  बनी तो  विचार विमर्श और संघर्ष के बाद अपनी कंपनी की शुरुआत का मन बना लिया। और ,शुरू हुई  भारत की पहली कांट्रैक्टर वेबसाइट और उसका एप ।

टेंडर किंग्स : भारत की पहली टेंडर  वेबसाइट और एप

2019 में भारत में टेंडर दुनिया में यह क्रांतिकारी  युग की शुरुआत थी।  इससे न केवल  टेंडर्स में पारदर्शिता आई बल्कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी शुरू हुई । नए लोगों को टेंडर किंग्स की मदद से  कॉन्ट्रेटर बनने का अवसर मिला वह अलग ।
आज  टेंडर किंग्स के पास 200 से अधिक कुशल और पेशेवरकर्मियों  एक विशाल टीम है जो भारत के विभिन्न शहरों में कार्यरत है।  रात दिन कड़ी मेहनत के दम पर अनतीजे देने वाली इस टीम की कार्यक्षमता का ही परिणाम है कि आज "टेंडर किंग्स" के पास तीन  लाख से ज्यादा  क्लाइंट्स हैं।

टेंडर किंग भारत के  सरकारी , गैर सरकारी टेंडरकी जानकारी  जुटाती है। हर तरह के  टेंडर की जानकारी अपने  क्लाइंट्स को उनकी योग्यता, अनुभव और पसंद  के अनुसार साझा  करती है।

कंपनी का काम  टेंडर भरने तक ही सीमित नहीं। उस टेंडर को हासिल करने के लिए जरूरी हर तरह की सहायता-जैसे वित्तीय सहायता, तकनीकी सहयोग, सस्ते दामों पर अच्छे माल की खरीद आदि भी उपलब्ध कराती है। टेंडर प्राप्त करने से लेकर उसे  पूरा करने तक "टेंडर किंग्स" आपने क्लाइंट्स  की मदद करता है।
"टेंडर किंग्स" भारत से बाहर दुसरे देशों में भी टेंडर प्राप्त करने में सहयोग करता है। इसी का परिणाम   है कि विक्रम सिंह शेखावत  कई युवा बेरोजगारों को रोजगार देने और अपने आपको स्थापित करने में कामयाब रहे। 

लक्ष्य और उद्देश्य
महज आठवीं तक पढ़े विक्रम सिंह शेखावत के लक्ष्य बड़े हैं।  फिलहाल अभी उनकी निगाह 2024-2025 तक टेंडर किंग्स का IPO लाने ,ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने ,  युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने में है।  

इसी के साथ वह जुटे हैं -टेंडरों में पारदर्शिता लाने  और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में। उनके वीडियो लिंक पर जाएंगे तो उन्हें सुनकर समझ जाएंगे कि कितनी दिलचस्प है उनकी सफलता की यह कहानी। 

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