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राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का रोल भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजे का प्रदेश में अलग ही रूतबा रहा है। उनके प्रशंसक और समर्थक उन्हें ही एक बार फिर से सीएम के तौर पर आसीन देखना चाहते हैं।
जयपुर | राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 (Rajasthan Assembly Election 2023) का आगाज हो चुका है। कांग्रेस से सत्ता छीनने के लिए भाजपा के दिग्गज नेता लगातार राजस्थान का रूख कर रहे हैं।
सियासी बिसात बिछ चुकी है और चुनावी रंगत जमने लगी है। इन सबके बीच सियासी दाव-पेंच भी शुरू हो चुके हैं।
राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का रोल भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राजे का प्रदेश में अलग ही रूतबा रहा है। उनके प्रशंसक और समर्थक उन्हें ही एक बार फिर से सीएम के तौर पर आसीन देखना चाहते हैं।
ऐसे में वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद राजस्थान में बीजेपी की ताकत बढ़ेगी, खासतौर से कोटा संभाग में।
वसुंधरा राजे को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने से कोटा संभाग और राजस्थान विधानसभा चुनावों में पार्टी की ताकत पर कई संभावित प्रभाव पड़ सकते हैं।
पुनः भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी देने पर प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @JPNadda जी सहित सम्पूर्ण केंद्रीय नेतृत्व का कोटिशः धन्यवाद !
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) July 29, 2023
प्रदेश और देश में भाजपा का कमल खिलाना ही हम सभी का उद्देश्य है।… https://t.co/T9hQHfDKxI
समर्थकों की लामबंदी
वसुंधरा राजे एक प्रमुख नेता हैं जिनकी राजस्थान में, विशेषकर कोटा संभाग में अच्छी खासी पकड़ है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति से पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार हो सकता है, जिससे चुनाव अभियान के दौरान उत्साह और समर्पण बढ़ेगा।
हिंदूवादी राजनीति का सुदृढ़ीकरण
कोटा संभाग ऐतिहासिक रूप से दक्षिणपंथी और हिंदूवादी राजनीति का गढ़ रहा है। वसुंधरा राजे का भाजपा के साथ जुड़ाव और उनकी मजबूत हिंदूवादी साख क्षेत्र में पार्टी के मूल मतदाताओं के समर्थन को और मजबूत कर सकती है।
स्विंग वोटर्स को आकर्षित करना
कोटा संभाग में बीजेपी का दबदबा रहा है, फिर भी उसे कुछ सीटों पर कांग्रेस से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
वसुंधरा राजे का नेतृत्व और व्यक्तित्व संभावित रूप से स्विंग मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है, जिनका झुकाव उनके मजबूत और करिश्माई नेतृत्व की ओर हो सकता है।
मीडिया का बढ़ेगा ध्यान
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर वसुंधरा राजे की गतिविधियों और बयानों को मीडिया में ज्यादा कवरेज मिलने की संभावना है।
यह बढ़ी हुई दृश्यता भाजपा और उसके अभियान वादों पर ध्यान केंद्रित रखने में मदद कर सकती है, जिससे सार्वजनिक धारणा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सीट शेयर पर असर
एक चैनल के सर्वे की माने तो राजस्थान में बीजेपी को 119 सीटें मिलने के संकेत दिए गए हैं।
यदि ये सच होता है, तो वसुंधरा राजे की नियुक्ति न केवल मौजूदा गढ़ों को मजबूत कर सकती है, बल्कि संभवतः भाजपा को कुछ विवादित सीटों पर बढ़त हासिल करने में भी मदद कर सकती है।
पार्टी का मनोबल बढ़ेगा
वसुंधरा राजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर पदोन्नत होने से राज्य भर में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल बढ़ा है। एक प्रेरित और एकजुट पार्टी के चुनाव के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने की अधिक संभावना होती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राजस्थान विधानसभा चुनावों पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में वसुंधरा राजे की नियुक्ति का वास्तविक प्रभाव विभिन्न कारकों पर भी निर्भर करेगा।