Rajasthan: 1971 युद्ध के नायक बलवंत सिंह की प्रतिमा का अनावरण: राजनाथ, दिया कुमारी आएंगे

1971 युद्ध के नायक बलवंत सिंह की प्रतिमा का अनावरण: राजनाथ, दिया कुमारी आएंगे
बाखासर के बलवंत सिंह: 1971 युद्ध के नायक
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Highlights

  • 1971 भारत-पाक युद्ध के नायक ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर की प्रतिमा का अनावरण।
  • केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डिप्टी सीएम दिया कुमारी होंगे शामिल।
  • बलवंत सिंह ने 1971 युद्ध में भारतीय सेना को महत्वपूर्ण जानकारी दी थी।
  • उन्होंने 'छाछरो रेड' मिशन में अहम भूमिका निभाई थी।

बाड़मेर: बाड़मेर के बाखासर में 13 दिसंबर को 1971 भारत-पाक युद्ध के नायक ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर की प्रतिमा और स्मारक का अनावरण होगा। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजस्थान की डिप्टी सीएम दिया कुमारी सहित कई नेता मौजूद रहेंगे।

यह ऐतिहासिक समारोह बाड़मेर जिले के सीमा गांव बाखासर में आयोजित किया जाएगा, जहाँ बलवंत चौक में ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति, जनप्रतिनिधि और स्थानीय ग्रामीण उपस्थित रहेंगे, जो 1971 के युद्ध में उनके असाधारण योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

13 दिसंबर को होगा ऐतिहासिक अनावरण समारोह

बाखासर में आयोजित होने वाले इस भव्य समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। 13 दिसंबर को सुबह 7:00 बजे से ही कार्यक्रम की शुरुआत हो जाएगी, जिसमें हरीश दान गढ़वी और प्रकाश माली द्वारा लोक साहित्य व डायरा की मनमोहक प्रस्तुतियां दी जाएंगी। यह सांस्कृतिक कार्यक्रम क्षेत्र की समृद्ध विरासत को दर्शाएगा और उपस्थित लोगों को एक विशेष अनुभव प्रदान करेगा।

सुबह 11:00 बजे, मुख्य अनावरण समारोह आयोजित किया जाएगा, जहाँ ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर की प्रतिमा और स्मारक का आधिकारिक रूप से अनावरण किया जाएगा। इस पल का गवाह बनने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे, जो एक ऐसे शख्स को याद करेंगे जिसने देश की रक्षा में अद्वितीय भूमिका निभाई थी।

कौन थे ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर?

ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर का नाम 1971 के भारत-पाक युद्ध के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। वे सिर्फ एक सीमा प्रहरी नहीं थे, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी सीमावर्ती क्षेत्रों की गहरी समझ ने भारतीय सेना को निर्णायक बढ़त दिलाई थी। उनकी बहादुरी और देशभक्ति ने उन्हें स्थानीय लोगों के बीच एक किंवदंती बना दिया था।

बलवंत सिंह बाखासर का जीवन कई मायनों में असाधारण था। उनके पुत्र रतनसिंह बाखासर ने बताया कि उनके पिता ने 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना की 10 पैरा स्पेशल फोर्स के कमांडिंग अधिकारी ब्रिगेडियर स्व. महाराजा भवानीसिंह एमवीसी, जयपुर के सहयोग में महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराई थीं।

1971 युद्ध में निभाई अहम भूमिका

बलवंत सिंह ने पाकिस्तानी फौज की गतिविधियों और घुसपैठ के रास्तों की सटीक जानकारी भारतीय सेना को देकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा। उनकी यह जानकारी इतनी महत्वपूर्ण थी कि इसने युद्ध के परिणाम को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाई। सीमावर्ती क्षेत्र के चप्पे-चप्पे से वाकिफ होने के कारण, वे दुश्मन की हर चाल को भांपने में सक्षम थे।

भारत-पाक युद्ध 1971 के दौरान हुए मिशन 'छाछरो रेड' में उन्होंने भारतीय सेना, बीएसएफ और पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके सहयोग के चलते दुश्मन की कई योजनाओं को विफल किया गया और भारतीय सेना को रणनीतिक लाभ मिला।

डाकू से बने युद्ध नायक: 'छाछरो रेड' की कहानी

बलवंत सिंह बाखासर का अतीत एक डाकू का था, लेकिन उनकी देशभक्ति ने उन्हें युद्ध नायक बना दिया। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, राजस्थान बॉर्डर पर बाड़मेर क्षेत्र की कमान ब्रिगेडियर कर्नल भवानी सिंह के पास थी। थार के मरुस्थल में रास्तों को खोजना और पाकिस्तानी क्षेत्रों में आगे बढ़ना बेहद मुश्किल था।

ऐसे समय में, कर्नल भवानी सिंह ने बाखासर के डाकू बलवंत सिंह को याद किया और उनसे मदद मांगी। उस समय बलवंत सिंह का भारत-पाक सरहद के दोनों तरफ लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में खौफ था। वे मिट्टी के समंदर में बने हर रास्ते और पगडंडियों से अच्छी तरह वाकिफ थे और पाकिस्तान के छोछरो क्षेत्र तक आया-जाया करते थे।

देशभक्ति और वीरता दिखाते हुए, बलवंत सिंह ने हिन्दुस्तान की रक्षा के लिए हथियार उठाए और सेना के साथ पाकिस्तान की ओर कूच कर दिया। भारतीय सेना ने उन्हें एक बटालियन और चार जोंगा जीपें सौंपीं। इस बटालियन के पास टैंक नहीं थे, जबकि सामने पाकिस्तानी सेना की टैंक रेजिमेंट थी।

बलवंत सिंह और बटालियन ने चतुराई से काम लिया। उन्होंने जोंगा जीपों के साइलेंसर निकाल दिए ताकि उनकी आवाज सुनकर पाकिस्तानी सेना को लगे कि भारतीय सेना टैंक लेकर आगे बढ़ रही है। इस रणनीति ने दुश्मन को भ्रमित कर दिया। इसी दौरान मौका पाते ही बलवंत सिंह और भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए।

उनके अदम्य साहस और रणनीतिक कौशल के चलते, भारतीय सेना ने पाकिस्तान की छोछरो चौकी समेत आस-पास के 100 से अधिक गांवों पर कब्जा जमा लिया। यह 'छाछरो रेड' मिशन भारतीय सेना की एक बड़ी जीत थी, जिसमें बलवंत सिंह बाखासर का योगदान अविस्मरणीय रहा।

सरकार द्वारा सम्मान और पहचान

1971 के युद्ध में अदम्य साहस दिखाने पर डाकू बलवंत सिंह हीरो बन गए। राजस्थान सरकार ने उनके खिलाफ दर्ज हत्या, लूट और डकैती के सारे मुकदमों को वापस ले लिया। उन्हें दो हथियारों का लाइसेंस भी दिया गया, जो उनकी वीरता की आधिकारिक पहचान थी।

बाड़मेर का बाखासर इलाका गुजरात के कच्छ भुज से सटा हुआ है। इस क्षेत्र में, बाड़मेर, जैसलमेर और कच्छ भुज में डाकू बलवंत सिंह की बहादुरी के चर्चे आज भी होते हैं। यहां उनकी छवि डाकू की नहीं, बल्कि एक 'रॉबिन हुड' की है, जिसने गरीबों की मदद की और देश के लिए अपनी जान जोखिम में डाली। युद्ध समाप्ति के बाद, ब्रिगेडियर भवानी सिंह की यूनिट ने अपनी ग्लोरी में बलवंत सिंह को सम्मान देते हुए उन्हें युद्ध हीरो बताया।

समारोह में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति

इस ऐतिहासिक समारोह में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजस्थान की डिप्टी सीएम दिया कुमारी सहित कई महत्वपूर्ण नेता और समाजसेवी उपस्थित होंगे। उनकी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि देश अपने वीर सपूतों को कभी नहीं भूलता।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक नींबाराम, सीमा जन कल्याण समिति के अखिल भारतीय सह संयोजक नींबसिंह, पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी महाराज, चौहटन विधायक आदूराम मेघवाल और शिव विधायक रवींद्रसिंह भाटी सहित कई जनप्रतिनिधि व ग्रामीण भी इस अवसर पर मौजूद रहेंगे। यह समारोह ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर के शौर्य और बलिदान को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा।

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