Highlights
- आहोर में मूंग खरीद पर किसानों का आंदोलन उग्र हुआ।
- किसानों ने ट्रैक्टर और बाइक से उपखंड कार्यालय तक रैली निकाली।
- समर्थन मूल्य पर मूंग खरीद न होने या रिजेक्ट फसल का बीमा न मिलने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी।
- किसानों ने सरकार पर गुणवत्ता के नाम पर मनमानी का आरोप लगाया।
आहोर: आहोर (Ahor) में मूंग खरीद पर किसानों का आंदोलन उग्र हुआ। समाधान न मिलने पर उपखंड कार्यालय तक रैली निकाली। किसान मूंग खरीद या रिजेक्ट फसल के बीमा की मांग कर रहे हैं। कोई हल नहीं।
आंदोलन का उग्र रूप और किसानों की चेतावनी
4 दिसंबर को दिए गए ज्ञापन के बाद भी समाधान न मिलने से किसानों में भारी आक्रोश दिखा। पांचवें दिन किसानों ने ट्रैक्टर, बाइक और अन्य वाहनों के काफिले के साथ उपखंड कार्यालय तक रैली निकाली, जिससे पूरे क्षेत्र में विरोध का माहौल बन गया। खरीद केंद्र के बाहर पिछले पांच दिन से ताला लगा हुआ है, जिससे किसानों की परेशानी लगातार बढ़ रही है।
किसानों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जब तक सभी किसानों की मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं जाती या गुणवत्ता के नाम पर रिजेक्ट की गई मूंग का बीमा घोषित नहीं होता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। यह सरकार के खिलाफ उनकी एकजुटता और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
सरकार पर मनमानी और नुकसान के आरोप
शनिवार सुबह से ही आहोर, भाद्राजून, खारा, बावतरा और आसपास के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में किसान खरीद केंद्र पर जुटने लगे। किसानों का आरोप है कि गुणवत्ता के नाम पर मनमानी की जा रही है और उनकी फसल की खेप को बेवजह लौटाया जा रहा है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
किसानों का कहना है कि खेप लौटाने से उन्हें वाहन किराया और मजदूरी का भारी नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही, खेत में पड़ी फसल के खराब होने का खतरा भी बढ़ गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है और उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
गुणवत्ता के नाम पर मनमानी और बेमौसम बारिश का असर
किसानों का आरोप है कि बेमौसम बारिश के कारण मूंग के दानों का रंग काला हो गया है, लेकिन उनकी गुणवत्ता बरकरार है। इसके बावजूद, बिना किसी मशीन परीक्षण के केवल दानों का रंग देखकर खेप को 'नॉन-स्टैंडर्ड' बताया जा रहा है, जो पूरी तरह से मनमाना है।
ऑनलाइन पंजीकरण के बावजूद कई दिनों से किसानों को खरीद केंद्र से लौटाया जा रहा है, जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है और फसल के नुकसान की आशंका भी है। यह स्थिति किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
अधिकारियों की मौजूदगी, पर समाधान नहीं
इस दौरान विधायक छगन सिंह राजपुरोहित, एसडीएम रोहित चौहान, तहसीलदार लधाराम पंवार, कॉपरेटिव इंस्पेक्टर जमना मेघवाल और जीएम हिंगलाज दान चारण मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है।
अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद कोई हल न निकलने से किसानों में निराशा है। किसानों ने अपना आंदोलन जारी रखने की बात कही है, जिससे यह मुद्दा और गहराता जा रहा है और सरकार पर जल्द समाधान निकालने का दबाव बढ़ रहा है।
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