चुनावी सुधार: अखिलेश का चुनाव आयोग पर हमला: अखिलेश यादव ने चुनावी सुधारों पर उठाए सवाल, आयोग पर साधा निशाना

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Highlights

  • अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए।
  • उन्होंने ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने की वकालत की।
  • रामपुर और मिल्कीपुर उपचुनावों में धांधली के उदाहरण दिए।
  • बीएलओ पर काम के बोझ और मौतों पर चिंता व्यक्त की।

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने चुनावी सुधारों पर चर्चा के दौरान चुनाव आयोग (Election Commission) की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने ईवीएम (EVM) के बजाय बैलेट पेपर (Ballot Paper) से चुनाव कराने की मांग की और रामपुर (Rampur) व मिल्कीपुर (Milkiipur) उपचुनावों में धांधली का आरोप लगाया।

संसद में चुनावी सुधारों पर अपनी बात रखते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनाव आयोग का निष्पक्ष और मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। यादव ने कहा कि जितना चुनाव आयोग मजबूत होगा, उतना ही हमारा लोकतंत्र मजबूत होगा। उन्होंने संविधान से किसी भी तरह के खिलवाड़ को लोकतंत्र से खिलवाड़ बताया और सच्चे देश प्रेम को दिखाते हुए आयोग से किसी भी राजनीतिक दल की कठपुतली न बनने का आग्रह किया।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल

अखिलेश यादव ने अपने संबोधन की शुरुआत में कांग्रेस पार्टी के नेता मनीष तिवारी के विचारों का समर्थन किया, जिन्होंने चुनावी सुधारों पर विस्तार से बात रखी थी। यादव ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने जिन मूल्यों को लेकर चुनाव आयोग का गठन किया था, आज उन मूल्यों से खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि सरकार ने इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा का मौका दिया है।

यादव ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि चुनाव आयोग निष्पक्ष काम करेगा और निष्पक्ष कार्रवाई करेगा, लेकिन उन्हें ऐसा कहीं देखने को नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब पक्षपातपूर्ण हो गया है और सत्ताधारी दल के इशारों पर काम कर रहा है।

रामपुर उपचुनाव में धांधली के आरोप

अखिलेश यादव ने अपने आरोपों के समर्थन में रामपुर लोकसभा उपचुनाव का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि जब रामपुर में लोकसभा का उपचुनाव हो रहा था, तब भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री ने यह तय कर लिया था कि समाजवादी पार्टी वहां से चुनाव नहीं जीतेगी, बल्कि भारतीय जनता पार्टी ही जीतेगी।

उन्होंने कहा कि उन्हें पहले से ही आशंका थी कि हर तरीके से उन्हें दबाया जाएगा और चुनाव में धांधली की जाएगी। वोटिंग के दिन जो कुछ हुआ, वह उनकी आशंकाओं को सच साबित करता है। यादव ने आरोप लगाया कि मतदान के दिन पुलिस और पूरा प्रशासन इस बात में लगा हुआ था कि कोई भी मतदाता घर से बाहर न निकले। उन्होंने कहा कि रामपुर का उपचुनाव एक ऐसा उदाहरण है, जहां पूरा पुलिस प्रशासन भारतीय जनता पार्टी की सरकार की कोशिश में लगा था कि मतदाता बाहर न निकलें, और पहली बार भारतीय जनता पार्टी वहां से लोकसभा का चुनाव जीती।

यादव ने दावा किया कि उन्होंने एक-एक घटना की सूचना चुनाव आयोग को दी थी, जिसमें पुलिस की बैरिकेडिंग, अधिकारियों की भूमिका और मतदाताओं को रोकने के वीडियो और पत्र शामिल थे। इसके बावजूद, चुनाव आयोग ने किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

मिल्कीपुर उपचुनाव में अनियमितताएं और फर्जी मतदान

अखिलेश यादव ने अयोध्या क्षेत्र के मिल्कीपुर उपचुनाव का भी उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि इस उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से धांधली होने और चुनाव को हराए जाने की शिकायतें की थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने मिलकर तय किया था कि किस अधिकारी को पोस्ट करना है और किसे पीठासीन अधिकारी बनाना है, ताकि चुनाव परिणाम को प्रभावित किया जा सके।

यादव ने एक घटना का जिक्र किया, जहां उन्होंने एक व्यक्ति को पकड़ा जो छह वोट डालकर आ रहा था, और एक अन्य व्यक्ति को पकड़ा जो दूसरी विधानसभा से था। उन्होंने यह भी बताया कि एक मंत्री जी हजारों लोगों को लेकर उस विधानसभा में आए हुए थे और जब उन्हें पकड़ा गया तो वे भाग गए। इन घटनाओं को बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर हमें चुनावी सुधार करने हैं, तो यह तभी संभव है जब हमारा चुनाव आयोग निष्पक्ष होगा।

ईवीएम बनाम बैलेट पेपर: चुनावी सुधार की प्रमुख मांग

अखिलेश यादव ने चुनावी सुधारों के संबंध में कांग्रेस पार्टी के सुझावों से सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी भी यह मानती है कि चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति का तरीका बदला जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए, जिसमें सभी की भागीदारी दिखे। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले जो व्यवस्था थी, उसे बदलने का काम भारतीय जनता पार्टी ने किया है।

यादव ने दूसरा महत्वपूर्ण सुझाव दिया कि चुनाव बैलेट पेपर से होने चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर बहुत से प्रश्न उठ रहे हैं और बहुत सी उंगलियां उठ रही हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल भारत के लोकतंत्र में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य लोकतंत्रों में भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

उन्होंने भारत की तुलना जर्मनी, अमेरिका और जापान जैसे विकसित देशों से की, जो प्रौद्योगिकी में हमसे कहीं आगे हैं। यादव ने कहा कि अगर वे संपन्न देश ईवीएम को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, तो आखिरकार हम ईवीएम को क्यों स्वीकार कर रहे हैं? उन्होंने बताया कि जर्मनी में ईवीएम से वोट डालना असंवैधानिक माना जाता है। इसलिए, उन्होंने मांग की कि भारत में भी बैलेट पेपर से ही वोट डाले जाने चाहिए, जैसा कि उन देशों में होता है जहां लोकतंत्र मजबूत है।

चुनावी प्रक्रिया में गिरावट के कारण और सुधार की आवश्यकता

अखिलेश यादव ने 'रिफॉर्म' (सुधार) शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि जब कोई चीज अपने मूल स्वरूप में होती है, तो उसे 'फॉर्म' कहते हैं, और जब वह अपना मूल स्वरूप खो बैठती है, तो 'डिफॉर्म' हो जाती है। उसे वापस मूल स्वरूप में लाने का प्रयास ही 'रिफॉर्म' कहलाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनावी प्रक्रिया खराब क्यों हुई और उसे किसने खराब किया।

उन्होंने कहा कि किसी भी चीज के खराब होने के दो कारण होते हैं: या तो उसे बाहरी लोगों ने खराब किया हो, या फिर अंदर से ही किसी ने अपने स्वार्थ के लिए उसे खराब किया हो। यादव ने खेद व्यक्त किया कि आज स्थिति यह है कि चुनावी प्रक्रिया बाहर से ज्यादा अंदर से खराब हुई है। उन्होंने बाय-इलेक्शन और लोकसभा चुनाव के उदाहरण इसलिए दिए, क्योंकि उनके अनुसार, की गई शिकायतों पर एक भी कार्रवाई नहीं हुई।

फर्रुखाबाद लोकसभा चुनाव में हेराफेरी का आरोप

अखिलेश यादव ने फर्रुखाबाद लोकसभा चुनाव 2024 का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने इस चुनाव को बड़े करीब से देखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां के जिलाधिकारी और पुलिस प्रशासन पूरे दिन लाठी चलाता रहा। कभी लाइट जाती थी, कभी लाइट आती थी। जब उन्होंने इसकी जानकारी करने की कोशिश की, तो पता चला कि उन्हें परिणाम बदलना था।

यादव ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में इस तरह केवल एक परिणाम नहीं बदला गया, बल्कि कई जगहों पर परिणाम बदले गए। उन्होंने कहा कि वे चुनाव आयोग के सामने खड़े रहे और उन्हें धांधली के बारे में बताते रहे, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई सुनवाई नहीं की। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह केवल लोकसभा में ही नहीं, बल्कि जितने भी उपचुनाव हुए हैं, वहां पर वोट चोरी नहीं, बल्कि वोट डकैती हुई है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को चुनौती दी कि अगर निष्पक्ष चुनाव हो, तो वे एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत पाएंगे।

बीएलओ पर बढ़ते काम का बोझ और दुखद मौतें

अखिलेश यादव ने बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) पर बढ़ते काम के बोझ और उसके दुखद परिणामों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में एसआईआर (शायद 'स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट' या 'स्पेशल इलेक्शन रिपोर्ट' का संदर्भ) के दौरान लगभग 10 बीएलओ की जान जा चुकी है, जिनमें से 9 लोगों की सूची उनके पास है।

उन्होंने मुरादाबाद में बीएलओ सर्वेश सिंह के फांसी लगाने, बिजनौर में बीएलओ शोभा रानी को हार्ट अटैक आने, देवरिया में लेखपाल आशीष कुमार की ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ने से मृत्यु होने और फतेहपुर में लेखपाल सुधीर कुमार के शादी के एक दिन पहले फांसी लगाने के उदाहरण दिए। यादव ने बताया कि वह खुद सुधीर कुमार के परिवार से मिले थे, और परिवार ने बताया कि उन पर काम का इतना बोझ था और अधिकारी इतना दबाव बना रहे थे कि वे क्या करते।

उन्होंने चुनाव आयोग के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि वे बीएलओ को ट्रेनिंग देंगे। यादव ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के बहुत कम बीएलओ को ट्रेनिंग मिली होगी, और कई जगहों पर तो एक भी बीएलओ को ट्रेनिंग नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि बीएलओ के पूरे परिवार को उनके काम में मदद करनी पड़ती है, क्योंकि कई बार महिलाएं फॉर्म नहीं भर पातीं। उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से मृतक बीएलओ के परिवारों को 2 लाख रुपये की मदद देने की बात कही और मांग की कि चुनाव आयोग को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए 1 करोड़ रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी देनी चाहिए।

मतदाता सूची में धांधली: वोट काटना

अखिलेश यादव ने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव घोषित होने से पहले ही सरकार के लोगों ने मिलकर वोट काट दिए। उन्होंने एक लिस्ट दिखाते हुए दावा किया कि 15,000 वोट काटे गए हैं। उन्होंने 2022 के चुनाव में भी आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग और सरकार के लोगों ने मिलकर उत्तर प्रदेश में हर विधानसभा में जानबूझकर वोट काटे थे।

यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के वोटों को चिन्हित कर-करके काटा गया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने हजारों लोगों के एफिडेविट चुनाव आयोग को दिए थे, जिसमें यह बताया गया था कि ये लोग 2017 में जिंदा थे और उन्होंने वोट भी डाला था, लेकिन 2022 में उनके वोट काट दिए गए। इसके बावजूद, चुनाव आयोग ने किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि इसलिए सुधार की प्रक्रिया चुनाव आयोग से ही शुरू होनी चाहिए।

चुनावी फंडिंग, मीडिया और सोशल मीडिया का नकारात्मक उपयोग

अखिलेश यादव ने चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता की कमी और मीडिया की भूमिका पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि समय-समय पर खातों में पैसा आ जाता है, जो लोकतंत्र को सबसे ज्यादा कमजोर कर रहा है। उन्होंने बिहार में 10,000 रुपये बांटने का जिक्र किया और कहा कि कई जिलों में महिलाओं ने इसके खिलाफ आंदोलन किया है।

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने याद दिलाया कि जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी मुफ्त मोबाइल देने की योजना ला रही थी, तो भाजपा के लोगों ने चिल्ला-चिल्लाकर इसे चुनाव को प्रभावित करने वाला बताया था और चुनाव आयोग से इस पर रोक लगवाई थी। वहीं, भाजपा खुद पैसा बांट रही है और जनता के लिए लाई गई नीतियों को रोकना चाहती है।

मीडिया की भूमिका पर उन्होंने कहा कि गरीब मतदाता अक्सर पूछते हैं कि कुछ लोग टीवी पर आते हैं और चले जाते हैं, जबकि कुछ लोग टीवी पर आते हैं और फिर जाते ही नहीं हैं। उन्होंने मांग की कि चुनाव के समय राजनीतिक दलों को मीडिया में बराबर का स्थान मिलना चाहिए, चाहे वह निजी मीडिया हो या सरकारी।

सोशल मीडिया के नकारात्मक उपयोग पर यादव ने कहा कि यह एक नई चीज है, जहां अपनी छवि बनाने के लिए नहीं, बल्कि दूसरे की छवि खराब करने के लिए पैसा खर्च किया जाता है। उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी के पास कोई ऐसी एजेंसी या सोशल मीडिया टीम नहीं है जो नकारात्मक अभियान चलाती हो। लेकिन, उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के पास हजारों ऐसे लोग हैं और हजारों करोड़ रुपये इस बात पर खर्च करते हैं कि नकारात्मक अभियान कैसे चलाया जाए। उन्होंने कहा कि चुनाव करीब आते ही सोशल मीडिया पर नकारात्मक अभियान बढ़ जाता है।

इलेक्टोरल बॉन्ड और 'वाशिंग मशीन' फॉर्मूला

इलेक्टोरल बॉन्ड पर अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें तो कुछ मिला ही नहीं, इसलिए वे इस पर क्या बात करें। उन्होंने आरोप लगाया कि सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड सत्ता में बैठे लोगों को मिले हैं। उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनके मित्र उन्हें यह नहीं बताते कि उन्हें पैसा कहां से मिलता है। यादव ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड वाला यह खेल दिखाई देने वाला खेल है, जिसमें क्षेत्रीय पार्टियां कहीं नहीं टिक पाएंगी। उन्होंने चुनाव आयोग से चुनावी खर्च कम करने पर भी सोचने का आग्रह किया।

यादव ने 'वाशिंग मशीन' फॉर्मूले पर भी सवाल उठाया, जिसमें एक दिन पहले का भ्रष्टाचारी अगले दिन 'भद्राचारी' हो जाता है और उसे ऊंचे पद पर बैठा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को सत्ताधारियों के पैसे बांटने, चुन-चुनकर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के वोट काटने, नकली वोटर से वोट डलवाने, नकली आधार कार्ड बनाकर चुनावी खेल करने और चुनाव के दौरान योजना चलाकर घूस देने जैसे मुद्दों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए।

वन नेशन वन इलेक्शन और एनआरसी का डर

'वन नेशन वन इलेक्शन' की बात पर अखिलेश यादव ने कहा कि सत्ता पक्ष के माननीय सदस्य ने कहा है कि एक वोटर लिस्ट भी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि वोटर लिस्ट एक होगी और वोटर कार्ड ऐसा बनेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक तो आधार कार्ड के लिए मांग करते थे, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में आधार को स्वीकार नहीं किया जा रहा है।

यादव ने आरोप लगाया कि इसका मतलब यह एसआईआर नहीं है, बल्कि यह अंदर ही अंदर एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) वाला काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में सुना है कि वहां के मुख्यमंत्री डिटेंशन सेंटर बना रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि एसआईआर में जिसका नाम नहीं है, उसके लिए डिटेंशन सेंटर की जरूरत क्यों है? इसका मतलब है कि जो काम ये खुलकर एनआरसी के रूप में नहीं कर सकते थे, वह काम ये एसआईआर के बहाने कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तभी ये कभी-कभी घुसपैठिए कहते हैं और डिटेंशन सेंटर बन रहे हैं।

चुनाव आयोग से सुधार की अपेक्षाएं और ऐतिहासिक जिम्मेदारी

अखिलेश यादव ने सबसे बड़े सुधार की जरूरत बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में फिर से भरोसा जगाया जाए। उन्होंने ईवीएम को हटाकर बैलेट से चुनाव कराने, चुनावी धांधली होने पर तय समय सीमा में कार्रवाई करने, विपक्षी अनदेखी न करने और विपक्षी शिकायतों पर पक्षपात न करने की मांग की।

उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग निर्भीक होना चाहिए, सरकार के इशारे पर काम नहीं करना चाहिए और एक विचारधारा के लोगों का गुट बनकर नहीं रह जाना चाहिए। यादव ने कहा कि चुनाव आयोग को अपनी ईमान की लगाम कभी नहीं छोड़नी चाहिए और यह ऐतिहासिक जिम्मेदारी समझनी चाहिए कि उसकी आज की गलती देश के भविष्य को सदियों के लिए बर्बाद कर सकती है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव आयोग अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनेगा और सच्चे देश प्रेम को दिखाते हुए स्वार्थी राजनीति करने वालों के हाथ की कठपुतली नहीं बनेगा। यादव ने कहा कि कुछ लोगों की वजह से चुनाव आयोग की जो छवि खराब हुई है, वह अब और नहीं होगी। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि चुनावी सुधार तब तक निरर्थक हैं, जब तक चुनाव आयोग में सुधार नहीं होगा। इसलिए, विपक्ष की तरफ से जो सुझाव आ रहा है कि चुनाव आयोग के गठन में जो पहले व्यवस्था थी, वह पुनः लागू हो, उसी के बाद चुनाव आयोग में सुधार संभव है। इन्हीं शब्दों के साथ, अखिलेश यादव ने अध्यक्ष महोदय का विशेष धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि चुनाव आयोग भविष्य में निष्पक्ष काम करेगा।

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