Highlights
- बाड़मेर में 3 साल से नाबालिग चला रहा था अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क।
- पाकिस्तान से हेरोइन की खेप पंजाब और दिल्ली पहुंचाता था।
- पिता के जेल जाने के बाद संभाली थी तस्करी की कमान।
- एटीएस ने नीमराना से किया गिरफ्तार, 25 हजार का था इनामी।
बाड़मेर: बाड़मेर (Barmer) में एक नाबालिग 3 साल से अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क चला रहा था। वह पाकिस्तान (Pakistan) से हेरोइन (Heroin) पंजाब (Punjab) और दिल्ली (Delhi) पहुंचाता था। पिता के जेल जाने पर उसने कमान संभाली। एटीएस (ATS) ने उसे नीमराना (Neemrana) में पकड़ा।
नाबालिग ड्रग सरगना का अंतरराष्ट्रीय खेल
राजस्थान के बाड़मेर जिले के गडरारोड इलाके का यह नाबालिग पिछले तीन साल से नशे के पूरे नेटवर्क को बेहद शातिर तरीके से संचालित कर रहा था।
उसने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों, विशेषकर एटीएस (एंटी टेरर स्क्वाड) को लगातार चकमा देते हुए पाकिस्तान से होने वाली हेरोइन की बड़ी खेपों को पंजाब और दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक पहुंचाया।
इस अवैध धंधे की कमान उसने तब संभाली, जब उसके पिता नशे की तस्करी के एक मामले में गिरफ्तार होकर जेल चले गए।
यह नाबालिग सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान से आने वाली हेरोइन की खेपें खुद रिसीव करता था।
तस्करी के इस पूरे ऑपरेशन में वह बाकायदा गोपनीय कोड वर्ड का इस्तेमाल करता था ताकि एजेंसियों को भनक न लग सके।
नशे की खेप सफलतापूर्वक मिलने पर वह अपने नेटवर्क के अन्य सदस्यों को संकेत देता था, जिसमें वह कहता था, "कपड़ा आ गया, पंजाब-दिल्ली के मौसा को सौंपकर एक लाख का कमीशन काटा।"
किशोरावस्था की दहलीज पर खड़े इस लड़के के दिमाग में किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल के सरगना की तरह ही कोई गहरी और सुनियोजित साजिश चल रही थी।
उसने अपने इस आपराधिक मंसूबे को बेहद ही चालाकी और गोपनीयता के साथ अंजाम दिया।
पारिवारिक संबंध और तस्करी का तरीका
आईजी विकास कुमार के मुताबिक, इस नाबालिग के परिवार का पाकिस्तान से पुराना संबंध था।
उसकी बुआ की शादी लगभग 30 साल पहले पाकिस्तान में हुई थी, जिसने तस्करी के नेटवर्क को स्थापित करने में मदद की।
पहले उसके पिता ऊंट चराने के बहाने भारत-पाकिस्तान सीमा पर लगी तारबंदी के पार से हेरोइन के पैकेट उठाते थे।
वहीं, अब यह नाबालिग फोन पर "सिलाई का पैसा लाओ" जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल करके नशे के बड़े सौदे पक्के करता था।
यह महत्वपूर्ण है कि वह नशे का सामान कभी अपने पास नहीं रखता था, बल्कि एक मध्यस्थ के तौर पर काम करते हुए खेपों को आगे बढ़ाता था।
उसका काम केवल पाकिस्तान से खेप प्राप्त करना और उसे भारत में अपने नेटवर्क के अगले व्यक्ति तक पहुंचाना था।
एटीएस की नजर और नेटवर्क का विस्तार
इस नाबालिग ड्रग सरगना का अवैध नेटवर्क जैसलमेर से लेकर बीकानेर तक के बड़े भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ था।
एंटी टेरर स्क्वाड (एटीएस) को पहली बार तब शक हुआ, जब बाड़मेर के गडरारोड इलाके के एक विशेष मोबाइल नंबर से पाकिस्तान में लगातार फोन कॉल्स की असामान्य बाढ़ देखी गई।
गहन तकनीकी जांच के बाद यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि यह नंबर एक नाबालिग लड़के का था।
इसके बाद, आरोपी के झुंझुनूं में होने का एक महत्वपूर्ण इनपुट एजेंसियों को मिला, लेकिन वह वहां से तुरंत फरार होने में सफल रहा।
अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए वह लगातार अपनी लोकेशन और मोबाइल नंबर बदलता रहा।
कभी वह सीकर में छिपा तो कभी जैसलमेर में, और अंततः दिल्ली के एक इंडस्ट्रियल एरिया में जाकर छिप गया।
उसकी लगातार बदलती लोकेशन ने एजेंसियों के लिए उसे ट्रैक करना चुनौतीपूर्ण बना दिया था।
भागने की फिराक में था, एजेंसी ने धर-दबोचा
कई दिनों की कड़ी मशक्कत और खुफिया जानकारी के आधार पर, आखिरकार एएनटीएफ (एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स) और एटीएस की एक संयुक्त टीम ने उसे धर दबोचा।
उसे राजस्थान के नीमराना में एक चाय की दुकान पर पकड़ा गया, जब वह शायद किसी और ठिकाने पर भागने की फिराक में था।
यह नाबालिग 25 हजार रुपये का इनामी अपराधी था और जैसे ही उसने जांच एजेंसी की टीमों को देखा, वह तुरंत भागने लगा।
हालांकि, इस बार वह अपनी कोशिश में कामयाब नहीं हो सका और सुरक्षाकर्मियों ने उसे तुरंत पकड़ लिया।
गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने प्रारंभिक पूछताछ में कबूल किया कि वह खुद पाकिस्तान गया था और वहां से हेरोइन की खेप भारत लाया था।
उसने पहले एजेंसियों को झांसा देने की कोशिश की थी कि वह मुख्य सरगना को पकड़वाने में मदद करेगा, जबकि असल में वह इस दौरान भी अपने अवैध धंधे को लगातार चमकाता रहा था।
इस गिरफ्तारी से अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है।
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