UGPF ने 51 बेटियों को दी शाही विदाई: बीकानेर में भावनाओं और परंपराओं से सराबोर हुआ लक्ष्मी निवास पैलेस

बीकानेर में भावनाओं और परंपराओं से सराबोर हुआ लक्ष्मी निवास पैलेस
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Highlights

  • लक्ष्मी निवास पैलेस में 51 नवविवाहित जोड़ों को भावभीनी शाही विदाई दी गई।
  • यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन ने सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।
  • चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने इसे केवल विदाई नहीं, बल्कि एक भावनात्मक पर्व बताया।
  • यह आयोजन दहेज प्रथा और असमानता के विरुद्ध एक सामूहिक संदेश था।

बीकानेर: बीकानेर (Bikaner) के लक्ष्मी निवास पैलेस (Laxmi Niwas Palace) में यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (United Global Peace Foundation - UGPF) ने सोजत सामूहिक विवाह सम्मेलन से आए 51 नवविवाहित जोड़ों को भावभीनी शाही विदाई दी, जिससे सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण पेश हुआ।राजसी वैभव और मानवीय संवेदना का ऐसा संगम शायद ही किसी आयोजन में देखने को मिला हो।

बीकानेर के ऐतिहासिक लक्ष्मी निवास पैलेस में सोमवार को यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (यूजीपीएफ) द्वारा सोजत सामूहिक विवाह सम्मेलन से आए 51 नवविवाहित जोड़ों को जिस भावभीने और पारंपरिक तरीके से विदा किया गया, उसने उपस्थित हर व्यक्ति की आंखें नम कर दीं।

बीकानेर में रविवार को हुए इस “शाही स्वागत समारोह” ने पहले ही राजस्थान के इतिहास में एक मिसाल कायम की थी।

अब सोमवार की “संस्कारमयी विदाई” ने उसे भावनाओं का चरम बना दिया।

बेटियों को दी गई भावभीनी विदाई

सुबह लक्ष्मी निवास पैलेस के आंगन में जैसे ही मंगल गीत गूंजे, वातावरण भावनाओं से भर गया।

यूजीपीएफ के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने स्वयं विदाई की रस्मों की अगुवाई की।

उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह और पुत्रवधू जतन कंवर ने सभी जोड़ों को शगुन के लिफाफे, नेगचार और दुल्हनों को पारंपरिक पोशाकें भेंट कीं।

वहीं सभी दूल्हों को जुहारी (सम्मान प्रतीक) के रूप में उपहार दिए गए।

राजसी परंपरा और मानवीय संवेदना के इस संगम में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा।

हर जोड़े ने नम आंखों से कहा कि “यूजीपीएफ ने हमारे जीवन में सम्मान और सपनों के नए रंग भर दिए हैं।”

समाज सेवा के इस उत्सव में शामिल रहे प्रमुख पदाधिकारी

यूजीपीएफ के इस आयोजन में चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल के साथ पूरी टीम ने सक्रिय भूमिका निभाई।

इसमें निदेशक ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत, शक्ति सिंह बंदीकुई, मीडिया समन्वयक एवं सलाहकार के.के. बोहरा, प्रबंधक मुकेश मेघवाल, कर्नल मोहन सिंह शेखावत धूपालिया, पूर्णिमा शर्मा, हंसा राठौड़, राजश्री विश्नोई, बजरंग मेघवाल (नागौर), धन्नाराम मेघवाल (ओसियां), भगीरथ मेघवाल (खिंवसर), एडवोकेट प्रेमदास मेघवाल, नीता माथुर, खुर्शीदा बेगम, रीना सच्चर, बबीता वर्मा, ममता जयपाल, मोनिका मेघवंशी और दुर्गा साल्वी सहित पूरी टीम उपस्थित रही।

संतों का रहा सान्निध्य

इस आयोजन में भी संत सान्निध्य रहा।

महामंडलेश्वर ओमदास महाराज, संत भजनाराम महाराज और साध्वी संतोष कंवर बाईसा ने भी आशीर्वाद दिया।

संतों ने फाउंडेशन का आभार व्यक्त किया और कहा कि मेघराज सिंह रॉयल जैसे भामाशाह सही मायनों में सामाजिक समरसता के अग्रदूत हैं।

मेघराज सिंह रॉयल बोले – “यह केवल विदाई नहीं, एक भावनात्मक पर्व था”

यूजीपीएफ के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने कहा कि कल बीकानेर में हमने शाही स्वागत किया, आज हमने बेटियों को आशीर्वाद के साथ विदा किया।

यह केवल आयोजन नहीं, बल्कि समाज में संस्कार और समानता का जीवंत उदाहरण है।

जब समाज, संस्कार और सेवा साथ आते हैं, तब विदाई भी उत्सव बन जाती है।

उन्होंने आगे कहा कि यूजीपीएफ का उद्देश्य केवल सहयोग देना नहीं, बल्कि गरिमा के साथ जीवन की शुरुआत कराना है।

मंगल गीतों के बीच उमड़ी भावनाओं की बयार

जैसे-जैसे विदाई का क्षण करीब आया, राजस्थानी लोकधुनों और मंगल गीतों की स्वर लहरियों ने माहौल को भावविभोर बना दिया।

हर दुल्हन की आंखों में कृतज्ञता और भावनाओं के मोती झिलमिला उठे।

विदाई के समय पूरे पैलेस परिसर में ऐसा भावनात्मक दृश्य था कि जिसने भी देखा, उसकी आंखें भीगी बिना न रहीं।

ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा – “संस्कारों से बड़ी कोई विरासत नहीं”

यूजीपीएफ के निदेशक ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि कल का स्वागत और आज की विदाई, दोनों ही हमारे समाज की जड़ों को छूते हैं।

हमने दिखाया है कि परंपरा और आधुनिकता एक साथ चल सकती हैं, संस्कारों से बड़ी कोई विरासत नहीं होती।

वहीं डायरेक्टर शक्ति सिंह बंदीकुई ने कहा कि यह आयोजन केवल विवाह नहीं था, यह सामाजिक सम्मान और आत्मनिर्भरता का उत्सव था।

बीकानेर की इस धरती ने एक बार फिर साबित किया है कि सेवा और संस्कार ही असली शाही परंपरा हैं।

आभार और प्रेरणा का क्षण

यूजीपीएफ के मीडिया सलाहकार के.के. बोहरा ने बताया कि यह आयोजन केवल एक इवेंट नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है।

उन्होंने कहा कि कल स्वागत में जो सम्मान देखा, आज विदाई में वही भावनाएं छलक पड़ीं।

यह दर्शाता है कि जब समाज एक दिशा में सोचता है, तो बदलाव निश्चित होता है।

समाज को दिया सकारात्मक संदेश

यूजीपीएफ की इस दो-दिवसीय पहल ने राजस्थान को चार संदेश दिए।

सर्वसमाज एकता और सामाजिक समरसता

गरीब तबके को सम्मानजनक विवाह सहयोग प्रदान किया गया।

महिलाओं की गरिमा और आत्मनिर्भरता का समर्थन

दहेज प्रथा और असमानता के विरुद्ध सामूहिक संदेश दिया गया।

बीकानेर बना मिसाल

दो दिनों तक बीकानेर में गूंजे ये मंगल गीत, सजती हुई शाही शोभायात्रा और विदाई के भावपूर्ण क्षण, सबने यह सिद्ध कर दिया कि जब संस्कार, सेवा और समर्पण मिलते हैं, तो समाज में केवल उत्सव नहीं, इतिहास लिखा जाता है।

यूजीपीएफ की इस पहल ने बीकानेर को केवल चर्चा का विषय नहीं बनाया, बल्कि संवेदना, संस्कार और समरसता का केंद्र बना दिया है।

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