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प्रदेश सरकार ने राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इस साल छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के आदेश जारी कर दिए। शनिवार देर रात उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।
जयपुर | राजस्थान में आखिरकार गहलोत सरकार की ओर से वो आदेश आ ही गया जिसको छात्र नेता कभी भी नहीं चाह रहे थे।
प्रदेश सरकार ने राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इस साल छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के आदेश जारी कर दिए।
शनिवार देर रात उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।
सरकार के इस आदेश के बाद छात्र नेताओं में जमकर आक्रोश व्याप्त है।
जयपुर में छात्र नेताओं ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार कर छात्रसंघ चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया तो प्रदेशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।
कुलपतियों के साथ हुई थी उच्च शिक्षा विभाग की मीटिंग
इस साल प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव को लेकर उच्च शिक्षा विभाग ने शनिवार को राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ मीटिंग की था।
जिसमें कुलपतियों ने चुनाव नहीं कराने की सिफारिश की थी। कुलपतियों ने छात्रसंघ चुनावों में धनबल और भुजबल का खुलकर प्रयोग होने का हवाला भी दिया था।
कुलपतियों का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव से शिक्षण कार्य अत्यधिक प्रभावित होता है।
छात्रसंघ चुनाव हुए तो नई शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर सिस्टम लागू करने में असुविधा होगी।
जिसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत की सहमति से छात्रसंघ चुनाव पर इस सत्र में रोक लगा दी गई है।
विधानसभा चुनाव को माना जा रहा कारण
वहीं, इस साल चुनाव नहीं कराने के पीछे इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को बड़ा कारण बताया जा रहा है।
खबरों की माने तो सरकार नहीं चाहती है कि छात्रसंघ चुनाव के नतीजों का असर विधानसभा चुनाव पर पड़े।
2003 के बाद अभी तक सात बार नहीं हुए चुनाव
आपको बता दें कि प्रदेश में पिछले 20 साल में 7 बार छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगी है।
इससे पहले 2005 से 2009 तक छात्रसंघ चुनाव पर पूरी तरह से रोक थी। राजस्थान में साल 2005 छात्रसंघ चुनाव के दौरान काफी हंगामा और हुड़दंग हुआ था, जिसके बाद हाईकोर्ट में पीआईएल दायर की गई थी।
साल 2006 में कोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी। इसके बाद साल 2010 में एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव की शुरुआत हुई थी।
इसके बाद कोरोनाकाल में 2020 और 2021 में छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पाए थे और अब इस बार भी चुनाव नहीं कराने का फैसला लिया गया है।