Highlights
- राजपूतों को साधने के लिए भाजपा ने अब देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के नाम पर कार्ड खेला है
- भैरों सिंह शेखावत के लिए भाजपा एक बड़ा आयोजन करने जा रही है
- भाजपा के प्लान के मुताबिक इन कार्यक्रमों में भैरों सिंह शेखावत से संबंधित प्रदर्शनी लगाई जाएंगी और सरकार में रहते हुए उनकी योजनाओं को दिखाया जाएगा
- राजपूत समाज का यह दावा था कि भाजपा की सरकार ना बनने के पीछे राजपूतों की नाराजगी थी
- राजस्थान में कांग्रेस का राजपूतों के लिए बढ़ता सॉफ्ट कॉर्नर एक तरफ जहां भाजपा के लिए चिंता का विषय बना हुआ है
राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने तैयारियां तेज कर दी है और हर वर्ग को साधने के लिए अलग-अलग तरह की कोशिशें की जा रही है. ऐसे में अब बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा से छिटके राजपूत वोटबैंक को साधने की कोशिश तेज हो चुकी है.
राजपूतों को साधने के लिए भाजपा ने अब देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के नाम पर कार्ड खेला है जिससे की चुनाव से ठीक पहले राजपूत वोटबैंक को साधा जा सके.
भैरों सिंह शेखावत के लिए भाजपा एक बड़ा आयोजन करने जा रही है. गौरतलब है कि इस साल भैरों सिंह शेखावत का जन्म शताब्दी वर्ष है. और इस मौके को भुनाने के लिए भाजपा ने एक बड़ा प्लान तैयार किया है.
जानकारी के मुताबिक अगले महीने मई से भाजपा का प्लान हैं कि भैरों सिंह शेखावत के जन्म शताब्दी वर्ष के लिए राजस्थान भर में कार्यक्रम शुरू किए जाए जो अक्टूबर तक चलेंगे.
भाजपा के प्लान के मुताबिक इन कार्यक्रमों में भैरों सिंह शेखावत से संबंधित प्रदर्शनी लगाई जाएंगी और सरकार में रहते हुए उनकी योजनाओं को दिखाया जाएगा. 15 मई को भैरों सिंह शेखावत के गाँव खाचरियावास में एक बड़ी आम सभा होगी जिसमे भाजपा के बड़े दिग्गज पहुंचेंगे.
भाजपा को राजपूत वोटबैंक छिटकने का डर है
वैसे तो राजस्थान में राजपूत समाज भाजपा का कठ्ठर और परम्परागत वोटबैंक रहा है. लेकिन बीते विधानसभा चुनावों में राजपूत समाज का एक बड़ा हिस्सा भाजपा से छिटक गया था. राजपूत समाज का तो यह भी दावा था कि भाजपा की सरकार ना बनने के पीछे राजपूतों की नाराजगी थी.
भाजपा से छिटके इस वोटबैंक को कांग्रेस ने बखूबी साधने की कोशिश की और अशोक गहलोत सरकार में धर्मेन्द्र राठौड़, प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे क्षत्रप उभरकर सामने आए जिन्होंने राजपूत वोटबैंक को कांग्रेस के लिए साधने की बखूबी कोशिश की.
गहलोत सरकार द्वारा EWS आरक्षण के सरलीकरण को लेकर किए गए काम को धरेन्द्र राठौड़ न केवल बार-बार गिनवाते रहे है बल्कि इसके भरोसे कांग्रेस ने भी एक सकारात्मक मेसेज देने की कोशिश राजपूत समाज में की है.
राजस्थान में कांग्रेस का राजपूतों के लिए बढ़ता सॉफ्ट कॉर्नर एक तरफ जहां भाजपा के लिए चिंता का विषय बना हुआ है तो दूसरी तरफ चुनाव से ठीक पहले अब भाजपा को डर भी सताने लगा है कि परम्परागत तौर पर भाजपा से जुड़ाव महसूस करने वाला यह बड़ा वोटबैंक कहीं इस चुनाव में भी भाजपा से दूरी ना बना ले.
अब भाजपा को भैरों सिंह शेखावत के बहाने ना केवल राजपूत समाज में एक बड़ा मेसेज देना चाहती है बल्कि इस कोशिश में भी जुट गई है कि बीते चुनाव में नाराज हुए राजपूत समाज की नाराजगी को दूर किया जाए.
गौरतलब है कि राजस्थान के पिछले विधानसभा चुनाव में राजपूत समाज का वसुंधरा राजे से सीधा टकराव हुआ. राजपूत समाज जसवंत सिंह जसोल की उपेक्षा से लेकर भैरों सिंह शेखावत की अनदेखी करने का आरोप वसुंधरा राजे सहित भाजपा पर लगाता रहा है.
आनंदपाल एनकाउंटर को लेकर जब राजपूत समाज का भाजपा से टकराव बढ़ा तो वह विरोध धरातल पर दिखा और राजपूत समाज ने 'कमल का फूल हमारी भूल' के नारे के साथ वसुंधरा राजे का खुलकर विरोध किया.
भाजपा में बड़े राजपूत क्षत्रप
अगर राजस्थान भाजपा की बात की जाए तो राजपूत समाज के ऐसे बड़े क्षत्रप मौजूद है जो समाज पर एक बड़ा प्रभाव रखते है. नेता-प्रतिपक्ष बनने के बाद राजेन्द्र राठौड़ का ना केवल पार्टी में बल्कि राजपूत समाज में भी प्रभाव बढ़ा है.
जिस तरह से राजेन्द्र राठौड़ लगातार सक्रिय दिख रहे है वह भाजपा के लिए राजपूत वोटबैंक साधने के लिए एक कारगर साबित हो सकता है.
दूसरी तरफ गजेन्द्र सिंह शेखावत है जिन्हे भाजपा की तरफ से सीएम फेस के सबसे बड़े दावेदारों में गिना जाता है. शेखावत का राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से टकराव राजपूतों के बीच ना केवल कांग्रेस से नाराजगी का कारण बन सकता बल्कि यह टकराव शेखावत के लिए राजपूत समाज का एक बड़ा जनाधार भी तैयार कर सकता है.
इसके अलावा दियाकुमारी,कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़,गजेन्द्र सिंह खींवसर और पुष्पेन्द्र सिंह राणावत ऐसे बड़े राजपूत नेता भाजपा में है जो राजपूत समाज में काफी प्रभावी चेहर्रो में गिने जाते है.