Highlights
- बीजेपी कार्यालय में कार्यकर्ता सुनवाई में आमजन को प्रवेश नहीं मिला।
- नागौर से आए दिलीप सिंह शेखावत को पार्टी कार्यकर्ता न होने के कारण मंत्रियों से मिलने नहीं दिया गया।
- बीजेपी ने स्पष्ट किया कि कार्यालय में केवल कार्यकर्ता सुनवाई होती है, जनसुनवाई नहीं।
- अगले सप्ताह दीया कुमारी और झाबर सिंह खर्रा करेंगे कार्यकर्ता सुनवाई।
जयपुर: जयपुर (Jaipur) में बीजेपी (BJP) कार्यालय में हुई कार्यकर्ता सुनवाई में आमजन को एंट्री नहीं मिली, जिससे विवाद हो गया। कई लोग पदाधिकारियों से उलझे और निराश होकर लौट गए। बीजेपी ने स्पष्ट किया कि यह केवल कार्यकर्ताओं के लिए है, जनसुनवाई नहीं।
बुधवार को प्रदेश बीजेपी कार्यालय में आयोजित कार्यकर्ता सुनवाई में आमजन भी अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे थे। हालांकि, उन्हें कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली, जिसके बाद कई लोगों ने खुद को बीजेपी का कार्यकर्ता बताया। परंतु, उनकी अर्जी पर किसी भी बीजेपी पदाधिकारी की सिफारिश नहीं होने के कारण उन्हें सुनवाई में शामिल नहीं होने दिया गया। इस स्थिति के चलते कई लोग बीजेपी पदाधिकारियों से उलझते हुए भी नजर आए और कई निराश होकर लौट गए, जिससे कार्यालय परिसर में गहमागहमी का माहौल बन गया।
कार्यकर्ता सुनवाई और आमजन की नो-एंट्री पर विवाद
बीजेपी कार्यालय प्रभारी मुकेश पारीक ने इस संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि पार्टी की यह नीति है कि जो भी बीजेपी कार्यकर्ता अपनी समस्या लेकर कार्यालय आता है, उसे मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, जिला पदाधिकारी या प्रदेश पदाधिकारी की अनुशंसा (recommendation) के साथ ही आना चाहिए। यह प्रक्रिया इसलिए अनिवार्य की गई है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आने वाला व्यक्ति वास्तव में पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता है और उसकी समस्या संगठनात्मक दायरे में आती है। इस प्रक्रिया का पालन न करने वाले आमजन को सुनवाई में शामिल नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण कुछ लोगों में नाराजगी देखने को मिली और उन्होंने अपनी असहमति भी व्यक्त की।
नागौर के दिलीप सिंह शेखावत का अनुभव और आमजन की अपेक्षाएं
बुधवार को चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और राज्य मंत्री मंजू बाघमार ने कार्यकर्ता सुनवाई की अध्यक्षता की। इस दौरान आमजन भी अपनी शिकायतें लेकर कार्यालय पहुंचे, यह सोचकर कि उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। नागौर से आए दिलीप सिंह शेखावत अपने गांव में सरकारी चिकित्सा व्यवस्थाओं की खराब स्थिति की शिकायत लेकर आए थे। लेकिन उन्हें कार्यकर्ता सुनवाई में जाने की अनुमति नहीं दी गई, क्योंकि वे पार्टी के कार्यकर्ता नहीं थे। दिलीप ने बताया कि उन्हें आश्वासन तो मिला कि उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा, लेकिन उन्हें सीधे मंत्रियों के समक्ष अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया गया, जिससे वे कुछ हद तक असंतुष्ट दिखे।
बीजेपी का स्पष्टीकरण: यह जनसुनवाई नहीं, कार्यकर्ता सुनवाई है
चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कार्यकर्ता सुनवाई के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि बुधवार की सुनवाई में लगभग 100 से अधिक प्रकरण प्रस्तुत हुए, जिन पर नियमानुसार और प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई की गई। इस अवसर पर बीजेपी ने एक बार फिर दोहराया कि कार्यालय में केवल कार्यकर्ता सुनवाई आयोजित की जा रही है, न कि जनसुनवाई। पार्टी का यह रुख स्पष्ट है कि कार्यालय परिसर विशेष रूप से पार्टी कार्यकर्ताओं की संगठनात्मक और व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान के लिए निर्धारित है, ताकि पार्टी के भीतर एक सुचारू संवाद प्रणाली बनी रहे।
मंत्रियों के निवास पर आमजन के लिए जनसुनवाई की वैकल्पिक व्यवस्था
बीजेपी ने यह भी बताया कि आमजन के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। सोमवार, मंगलवार और बुधवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 11 बजे तक प्रदेश का कोई भी नागरिक सीधे मंत्रियों से उनके निवास पर मिल सकता है। मंत्रियों के निवास पर आयोजित जन सुनवाई न केवल कार्यकर्ताओं के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी समान रूप से उपलब्ध है। यह व्यवस्था आम लोगों को अपनी समस्याओं को सीधे सरकार के प्रतिनिधियों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, जिससे उनकी शिकायतों का त्वरित समाधान हो सके।
अगले सप्ताह उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी करेंगी कार्यकर्ता सुनवाई
प्रदेश महामंत्री डॉ. मिथिलेश गौतम ने जानकारी दी कि पार्टी कार्यालय में अगली कार्यकर्ता सुनवाई अगले सप्ताह 8 दिसंबर, सोमवार को आयोजित की जाएगी। इस महत्वपूर्ण सुनवाई की अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा करेंगे। इस दौरान पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष ज्योति मिर्धा और महामंत्री कैलाश मेघवाल भी उपस्थित रहेंगे, जो कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनने और उनके समाधान में सहयोग करेंगे। यह सुनवाई भी केवल पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए ही होगी, जिसमें वे अपनी संगठनात्मक और व्यक्तिगत समस्याओं को प्रस्तुत कर सकेंगे और पार्टी नेतृत्व से सीधे संवाद स्थापित कर पाएंगे।
बीजेपी कार्यालय में हुई इस घटना ने कार्यकर्ता सुनवाई और जनसुनवाई के बीच के अंतर को एक बार फिर उजागर कर दिया है। पार्टी का मानना है कि संगठनात्मक ढांचे को मजबूत रखने और कार्यकर्ताओं में विश्वास बनाए रखने के लिए उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता है। वहीं, आमजन के लिए मंत्रियों के निवास पर अलग से व्यवस्था करके पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी नागरिक अपनी बात रखने से वंचित न रहे। इस विवाद के बावजूद, पार्टी ने अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं करने का संकेत दिया है, बल्कि अपनी कार्यप्रणाली को और अधिक स्पष्ट किया है।
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