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हाईकोर्ट ने DGP को निर्देश दिए हैं कि पहले से लंबित जांच के साथ-साथ इन 12 आरोपियों की गिरफ्तारी के तथ्यों की जांच करके 15 दिन में रिपोर्ट CMM कोर्ट में पेश करने बाद की रिपोर्ट आने के बाद सीएमएम कोर्ट अवैध हिरासत के बिंदू को तय किया जायेगा।
जयपुर | एसआई भर्ती पेपरलीक केस में हाईकोर्ट ने CMM कोर्ट के 11 ट्रेनी SI और कॉन्स्टेबल को जमानत पर रिहा करने के आदेश को रद्द कर दिया है. जज सुदेश बंसल की अदालत ने सीएमएम कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि जब कोर्ट ने पहले से गिरफ्तार 14 आरोपियों के संबंध में तथ्य जांचने के लिए डीजीपी को निर्देश दिए थे, तो उस रिपोर्ट के आने से पहले कोर्ट को इन आरोपियों को लेकर डिफरेंट व्यू लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी.
हाईकोर्ट ने DGP को निर्देश दिए हैं कि पहले से लंबित जांच के साथ-साथ इन 12 आरोपियों की गिरफ्तारी के तथ्यों की जांच करके 15 दिन में रिपोर्ट CMM कोर्ट में पेश करने बाद की रिपोर्ट आने के बाद सीएमएम कोर्ट अवैध हिरासत के बिंदू को तय किया जायेगा।
जयपुर मेट्रो-द्वितीय की सीएमएम कोर्ट ने 11 ट्रेनी SI और एक कॉन्स्टेबल को 12 अप्रैल को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे। जिस पर हाईकोर्ट ने 15 अप्रैल को अंतरिम रोक लगा दी थी। इस रोक के बाद आरोपी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने हाईकोर्ट को एक सप्ताह में मामले की सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए थे.
NGO ने कहा- 2 अप्रैल को स्वतंत्र रूप से बैरक में रखा
NGO की ओर से बहस करते हुए विशिष्ठ लोक अभियोजक (SPP) अनुराग शर्मा (anurag sharma) ने कोर्ट में कहा कि सभी आरोपियों को कानूनी रूप से गिरफ्तार किया हैं। 2 अप्रैल को आरपीए से लाने के बाद सभी आरोपियों को स्वतंत्र रूप से एसओजी के बैरकों में रखा गया था। जहां एसओजी के कर्मचारी रहते हैं.
हमने आरोपियों को 3 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। वहीं, 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश कर दिया था। हमने केवल उन्हीं ट्रेनी एसआई को गिरफ्तार किया है, जिनके खिलाफ हमें साक्ष्य मिले। शेष को हमने आरपीए भेज दिया था।
आरोपियों ने कही की हमें अब अवैध हिरासत में रखा है
आरोपियों की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता रमित पारीक (ramit parik), वेदांत शर्मा (vedant sharma) व अन्य ने कहा कि एसओजी जब आरोपियों को आरपीए से लेकर गई। उसी समय से इनकी गिरफ्तारी मानी जाएगी। क्योंकि गिरफ्तारी की परिभाषा के अनुसार जब एजेंसी किसी व्यक्ति को जबरन डिटेन करे, अथवा एजेंसी के कहने पर व्यक्ति अपनी कस्टडी सौंप दे। दोनों ही सूरत में यह गिरफ्तारी की परिभाषा में आएगा।
इस केस में एसओजी 11 ट्रेनी एसआई को 2 अप्रैल को आरपीए और कॉन्स्टेबल को उससे पहले जोधपुर से डिटेन करके लेकर आई थी। लेकिन एसओजी ने 3 अप्रैल को सभी की गिऱफ्तारी दिखाई। जो सीआरपीसी के सेक्शन-57 औऱ संविधान के आर्टिकल-22 (2) का उल्लंघन है.
सीएमएम कोर्ट ने आरोपियों को दी थी जमानत
जयपुर मेट्रो-द्वितीय की सीएमएम कोर्ट ने आरोपियों को एसओजी की तरफ से गिरफ्तार करने के 24 घंटे बाद पेश करने को उल्लंघन माना था। कोर्ट ने माना था कि एसओजी ने आरोपियों को अवैध हिरासत में रखा है। इस पर कोर्ट ने गिरफ्तार ट्रेनी एसआई हरखू, मंजू, सुरेंद्र कुमार, जयराज सिंह, सुभाष, दिनेश, चेतन सिंह, मालाराम, राकेश, दिनेश, चेतन सिंह, मालाराम,राकेश, अजय, मनीष और कॉन्स्टेबल अभिषेक को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे.
ये है पूरा मामला
बता दें कि एसओजी की टीम 2 अप्रैल को सुबह करीब 9.30 राजस्थान पुलिस एकेडमी (RPA) पहुंची थी। यहां 3 घंटे तक आरोपियों से पूछताछ की थी। इसके बाद 15 ट्रेनी एसआई को डिटेन कर एसओजी मुख्यालय लाया गया था। इसमें 2 महिला और 13 पुरुष सब इंस्पेक्टर शामिल थे। यहां पूछताछ के बाद 3 अप्रैल को 11 ट्रेनी एसआई को गिरफ्तार कर लिया गया था.
इसके अलावा एसओजी ने जोधपुर कमिश्नरेट के सदर बाजार थाने में तैनात कॉन्स्टेबल अभिषेक बिश्नोई को भी गिरफ्तार किया था. अभिषेक बिश्नोई एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में पास हुआ था, लेकिन उसने जॉइन नहीं किया था.