Highlights
- अमेरिकी नौसेना के दो विमान दक्षिण चीन सागर में दुर्घटनाग्रस्त हुए।
- इनमें एक MH-60R सी हॉक हेलीकॉप्टर और एक F/A-18F सुपर हॉर्नेट फाइटर जेट शामिल थे।
- दोनों विमान यूएसएस निमित्ज़ एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भर रहे थे।
- सौभाग्य से, सभी पांच चालक दल के सदस्य सुरक्षित बचा लिए गए।
- जांच जारी है, जिसमें बाहरी हस्तक्षेप का कोई संकेत नहीं मिला है।
नई दिल्ली: दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में अमेरिकी नौसेना (US Navy) के दो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए। यूएसएस निमित्ज़ (USS Nimitz) से उड़ान भरने वाले सभी पांच चालक दल सुरक्षित बचे।
अमेरिकी नौसेना के दो विमानों का हादसा
प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसेना की नियमित और महत्वपूर्ण गतिविधियों के दौरान दो अलग-अलग विमान दुर्घटनाएं हुईं।
ये घटनाएं रविवार को दक्षिण चीन सागर के अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में हुईं, जिससे क्षेत्र में हलचल मच गई।
दुर्घटनाग्रस्त विमानों में एक MH-60R सी हॉक हेलीकॉप्टर और एक अत्याधुनिक F/A-18F सुपर हॉर्नेट फाइटर जेट शामिल थे।
दोनों विमान यूएसएस निमित्ज़ (CVN 68) नामक विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर से अपने मिशन पर उड़ान भर रहे थे।
इन गंभीर हादसों के बावजूद, सौभाग्य से, शामिल सभी पांच चालक दल के सदस्य सुरक्षित रूप से बचा लिए गए, जो एक बड़ी राहत की बात है।
अमेरिकी नौसेना ने तुरंत बचाव अभियान चलाकर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का प्रदर्शन किया।
हेलीकॉप्टर दुर्घटना का विवरण
पहली दुर्घटना स्थानीय समयानुसार दोपहर करीब 2:45 बजे हुई, जब आसमान साफ था।
मैरीटाइम स्ट्राइक स्क्वाड्रन (HSM) 73 के 'बैटल कैट्स' यूनिट से संबद्ध MH-60R सी हॉक हेलीकॉप्टर अचानक दक्षिण चीन सागर के पानी में गिर गया।
यह हेलीकॉप्टर अपने नियमित समुद्री गश्ती और निगरानी अभियानों के दौरान कैरियर से उड़ान भर रहा था।
कैरियर स्ट्राइक ग्रुप 11 के समर्पित सर्च एंड रेस्क्यू दलों ने बिना किसी देरी के तुरंत कार्रवाई की।
उन्होंने कुशलतापूर्वक हेलीकॉप्टर के तीनों चालक दल सदस्यों को दुर्घटनास्थल से सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
बचाए गए कर्मियों को तत्काल चिकित्सा जांच के लिए ले जाया गया, जहां उनकी स्थिति स्थिर पाई गई।
फाइटर जेट दुर्घटना का विवरण
दूसरी घटना पहले हादसे के ठीक 30 मिनट बाद, यानी दोपहर 3:15 बजे हुई, जिसने नौसेना अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी।
स्ट्राइक फाइटर स्क्वाड्रन 22 के 'फाइटिंग रेडकॉक्स' यूनिट से जुड़ा एक दो-सीटर F/A-18F सुपर हॉर्नेट जेट भी समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
यह शक्तिशाली फाइटर जेट भी उसी यूएसएस निमित्ज़ (CVN 68) एयरक्राफ्ट कैरियर से अपने मिशन पर निकला था।
पायलटों ने अपनी सूझबूझ और प्रशिक्षण का परिचय देते हुए समय रहते सफलतापूर्वक इजेक्ट किया।
तत्काल सक्रिय हुई रेस्क्यू टीमों ने दोनों पायलटों को बिना किसी गंभीर चोट के सुरक्षित रूप से बचा लिया।
इन दोनों घटनाओं ने अमेरिकी नौसेना के लिए एक व्यस्त और चुनौतीपूर्ण दिन बना दिया।
दक्षिण चीन सागर: भू-राजनीतिक महत्व और विवाद
ये दुर्घटनाएं प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसेना की रूटीन गतिविधियों के हिस्से के रूप में हुईं।
यूएसएस निमित्ज़ जैसे विमानवाहक पोत इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए तैनात रहते हैं।
दक्षिण चीन सागर एक भू-राजनीतिक रूप से अत्यधिक संवेदनशील और विवादित क्षेत्र है।
यहां चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान जैसे कई देशों के बीच जटिल क्षेत्रीय दावे हैं।
अमेरिकी नौसेना की उपस्थिति को 'फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक' (मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत) क्षेत्र सुनिश्चित करने के एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जाता है।
यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार मार्गों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां से प्रति वर्ष खरबों डॉलर का व्यापार होता है।
अमेरिका इस क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में सभी देशों के अधिकारों का समर्थन करता है।
इन दुर्घटनाओं से क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति के महत्व पर एक बार फिर ध्यान केंद्रित हुआ है।
जांच और भविष्य की कार्रवाई
अमेरिकी नौसेना ने इन दोनों गंभीर दुर्घटनाओं के कारणों की गहन जांच शुरू कर दी है।
प्रारंभिक रिपोर्ट्स और विश्लेषण में किसी बाहरी हस्तक्षेप या शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का कोई संकेत नहीं मिला है।
जांचकर्ता अब मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों या विमानों में तकनीकी खराबी को संभावित कारणों के रूप में देख रहे हैं।
नौसेना यह सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत तकनीकी और परिचालन जांच कर रही है कि भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोका जा सके।
चालक दल के सदस्यों की सुरक्षा प्रोटोकॉल और विमानों के रखरखाव तथा संचालन मानकों की गहन समीक्षा की जा रही है।
इन घटनाओं से अमेरिकी नौसेना के परिचालन प्रोटोकॉल और प्रशिक्षण प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
अमेरिकी नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति और सैन्य अभियानों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह घटना क्षेत्र में सैन्य संचालन के अंतर्निहित जोखिमों को उजागर करती है।
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