Highlights
- महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों के लिए 15 जनवरी को मतदान और 16 जनवरी को नतीजे आएंगे।
- महायुति गठबंधन आज 227 सीटों के लिए सीट बंटवारे का औपचारिक ऐलान कर सकता है।
- एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने कहा कि एक दिन बुर्का पहनने वाली महिला मुंबई की मेयर बनेगी।
- आम आदमी पार्टी पहली बार ठाणे, भिवंडी और नवी मुंबई में अपने उम्मीदवार उतारेगी।
मुंबई | महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा के साथ ही सियासी पारा अपने चरम पर पहुंच गया है। राज्य के 29 नगर निगमों के लिए होने वाले इन चुनावों को लेकर महायुति गठबंधन आज अपनी रणनीति और सीट बंटवारे का औपचारिक ऐलान कर सकता है। भारतीय जनता पार्टी के विधायक अमित साटम ने संकेत दिए हैं कि महायुति सभी 227 सीटों पर मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। बताया जा रहा है कि लगभग 200 सीटों पर सहयोगी दलों के बीच आपसी सहमति बन चुकी है और शेष सीटों पर भी जल्द ही निर्णय ले लिया जाएगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच हुई बैठक में इन सीटों के समीकरणों को अंतिम रूप दिया गया है।
वारिस पठान के बयान पर मचा सियासी बवाल
चुनावों के बीच एआईएमआईएम नेता वारिस पठान के एक बयान ने नई बहस छेड़ दी है। पठान ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले समय में मुंबई की मेयर कोई हिजाब या बुर्का पहनने वाली महिला ही बनेगी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब संविधान सबको बराबरी का हक देता है तो फिर खान, पठान, अंसारी या शेख मेयर के पद पर क्यों नहीं बैठ सकते। पठान के इस बयान के बाद भाजपा और शिवसेना ने उन पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है। पठान ने तर्क दिया कि सिर्फ मराठी ही क्यों, आने वाले समय में मुस्लिम नाम वाले भी इस प्रतिष्ठित पद को संभाल सकते हैं। भाजपा के मुंबई इकाई के अध्यक्ष अमित साटम ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। साटम ने कहा कि मुंबई की जनसांख्यिकी को बदलने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे मुंबई में कभी भी मुस्लिम मेयर नहीं बनने देंगे। शिवसेना के नेता संजय निरुपम ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें किसी जाति या धर्म से बैर नहीं है, लेकिन मुंबई का मेयर कौन होगा इसका फैसला यहां के मराठी भाषी लोग ही करेंगे। उन्होंने वारिस पठान के बयान को समाज को बांटने वाला करार दिया है।
आम आदमी पार्टी की पहली बड़ी चुनौती
इस बार के नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत के साथ उतर रही है। पार्टी ने ठाणे, भिवंडी और नवी मुंबई जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। आप ने भिवंडी की 90 में से 30 सीटों के लिए उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग पूरी कर ली है। नवी मुंबई की सभी 111 सीटों पर चुनाव लड़ने की उनकी योजना ने स्थापित राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी का मुख्य एजेंडा नगर निगमों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करना और दिल्ली मॉडल की तर्ज पर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। ठाणे में भी पार्टी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य रखा है।
चुनाव कार्यक्रम और उम्मीदवारों की स्थिति
राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए कार्यक्रम के अनुसार 15 जनवरी को मतदान होगा। मतगणना 16 जनवरी को की जाएगी जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि स्थानीय स्तर पर जनता का मिजाज क्या है। एआईएमआईएम ने पहले ही 13 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है जिसमें मुंबई के अलावा अहमदनगर, लातूर और परभणी के उम्मीदवार शामिल हैं। पार्टी इस बार मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है। चुनावी मैदान में नए खिलाड़ियों के आने से मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है।
शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हुए प्रकाश महाजन
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पूर्व दिग्गज नेता प्रकाश महाजन ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का दामन थाम लिया है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ही राज्य के असली हिंदुत्ववादी नेता हैं। महाजन के शिवसेना में आने से पार्टी को ठाणे और आसपास के क्षेत्रों में संगठनात्मक मजबूती मिलने की उम्मीद है। शिंदे गुट को ठाणे जिले की छह नगर निगमों के लिए अब तक 3348 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें महिलाओं की बड़ी भागीदारी देखी जा रही है जो एक सकारात्मक संकेत है। ठाणे नगर निगम के लिए सबसे अधिक 1277 आवेदन आए हैं जो सत्ताधारी दल के प्रति कार्यकर्ताओं के उत्साह को दर्शाते हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों गुटों का मेल
पुणे नगर निगम चुनाव में एक दिलचस्प मोड़ देखने को मिल सकता है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और शरद पवार गुट के नेता आजम पानसरे के बीच हुई मुलाकात ने गठबंधन की अटकलों को हवा दे दी है। पानसरे ने संकेत दिए हैं कि दोनों गुट मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। यदि यह गठबंधन होता है तो यह महाविकास अघाड़ी के भीतर एक नया समीकरण पैदा कर सकता है। फिलहाल कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी के साथ भी सीट बंटवारे को लेकर बातचीत का दौर जारी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन चुनावों के परिणाम आगामी राज्य स्तरीय राजनीति के लिए आधार तैयार करेंगे।
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