भव्य दीक्षा महोत्सव: गुजरात के बोचासन में शैक्षणिक उपलब्धियों में महारथी युवाओं ने ली दीक्षा

गुजरात के बोचासन में शैक्षणिक उपलब्धियों में महारथी युवाओं ने ली दीक्षा
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अनेक कार्य कौशलों में निपुण इन संतों बिना एक भी दिन का अवकाश लिए और बिना किसी प्रकार का वेतन पाए अपना समूचा जीवन सत्पुस्य की आज्ञानुसार सेवा और भक्ति में व्यतीत करना आज के समय का एक बड़ा चमत्कार है। 

तीर्थधाम बोचासन में इंचे स्वामिनारायण संस्थान के धर्मगुरु परम पूज्य महंतस्वामी महाराज द्वारा 58 सुशिक्षित युवा पार्षदों को भागवती संत दीक्षा प्रदान की गई है।

दुनिया भर के 55 से अधिक देशों में आध्यात्मिक-सामाजिक सेवाओं द्वारा मानव उत्कर्ष में रत बीएपीएस स्वामिनारायण संस्था संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्य समाजसेवी संस्था है। 

सनातन हिन्दू वैदिक आदर्शां को केंद्र में रखकर पवित्र और नैतिक जीवन समाज के लिए कटिबद्ध यह संस्था के 17500 से अधिक सत्संग केंद्रों का विराट विश्वव्यापी आध्यात्मिक परिवार राष्ट्र सेवा और मानव उत्कर्ष की अविरत भागीरथी बहाता है। 

संस्था के सैकड़ों संतों और हजारों स्वयं सेवकों का विराट स्वयं सेवक दल नशामुक्ति अभियान, पर्यावरण जतन जैसी अनेक सामाजिक सेवाओं के साथ-साथ भूकंप, अकाल, सुनामी, कोविड महामारी, यूक्रेन-रशिया युध्द जैसी अनेक कठिन समस्याओं में संस्था द्वारा मानव सेवा में अग्रेसर रहा है।

संस्था की वैश्विक स्तर पर संस्कृति रक्षा और मानव सेवा की विशिष्ट ज्योति प्रज्जवलित करने में संस्था के संतों का अमूल्य योगदान है। 

अनेक कार्य कौशलों में निपुण इन संतों बिना एक भी दिन का अवकाश लिए और बिना किसी प्रकार का वेतन पाए अपना समूचा जीवन सत्पुस्य की आज्ञानुसार सेवा और भक्ति में व्यतीत करना आज के समय का एक बड़ा चमत्कार है। 

सनातन हिन्दू धर्म और उज्ज्वल संत परंपरा के मूल्य आज भी जीवंत है, इस बात की प्रतीति यह संतों के जीवन और उनके योगदान से होती है।

शैक्षणिक उपलब्धियों में महारथी हैं दीक्षा लेने वाले युवा

दीक्षा लेने वाले युवाओं में 1 पीएचडी, 1 डॉक्टर, 8 पोस्ट ग्रेजुएट, 21 बीई इंजीनियरिंग, 27 अन्य ग्रेजुएट आदि विभिन्न करियर वाले कुल 58 युवकों को संत दीक्षा दी गई। 

इस दीक्षा महोत्सव में दीक्षा लेने वाले पार्षद श्री निश्चल भगत का पूर्वाश्रम नाम हार्दिक भाई है जिन्होंने विनस्थित बीबीएम की डिग्री के सात होने के बाद, आईआईएम उदेपुर से एमबीए किया। 

उन्होंने अपनी उच्च वेतन नौकरी छोड़कर साधु बनने का निश्चय किया। 

उन्होंने बताया कि, भगवान की महिमा के विचार से प्रतीत होता है कि भगवान और गुरु से बड़ी कोई डिग्री नहीं है।

अगर हम दुनिया में रहते हैं, तो दो-पांच, पंद्रह लोगों को खुश कर सकते हैं, लेकिन भगवान और गुरु की उपस्थिति में संपूर्ण विश्व हमारा परिवार है।

यहां उल्लेखनीय है, पिछले महीने अमेरिका के रॉबिसविले में विश्व प्रसिद्ध स्वामिनार अक्षरधाम के उद्घाटन के दौरान अमेरिका की धरती पर जन्मे और उच्च करियर वाले 30 युवाओं को दीक्षा दी गई थी। इसके साथ सांप्रत समय में संस्था में 1195 साधु विद्यमान है।

परम पूज्य महंत स्वामी महाराज ने कहा कि...

दीक्षार्थीयों के माता-पिता को धन्यवाद है, जिन्होंने अपने पुत्रों को पढ़ाया-लिखाया और यहां सेवा के लिए समर्पित कर दिया। 

साधु का मार्ग सरल नहीं होता। इसमें तप, व्रत, सेवा और भक्ति के द्वारा मन पर विजय प्राप्त कर होती है। बिना सत्पुरुष मिले ये सब सिद्ध नहीं हो पाता।

इस तरह भारतीय सनातन त्यागाश्रम परंपरा का एक अद्वितीय कार्य है जिससे पूरा राष्ट्र गौरवान्वित हो ऐसा कार्य सम्पन्न हुआ।

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