Rajasthan : अधर्म के नाश के लिए भगवान ने अवतार लिया-भागवताचार्य शास्त्री

अधर्म के नाश के लिए भगवान ने अवतार लिया-भागवताचार्य शास्त्री
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भागवताचार्य पंडित शास्त्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत महापुराण सुनाते हुए कहा कि जब-जब धरती पर अधर्म और अधर्मियों ने भगवान के भक्तों पर अत्याचार किए हैं, तब-तब भक्तों की करुण पुकार और भक्ति से प्रसन्न होकर हरि ने अनेकानेक अवतार लेकर भक्तों का उद्धार किया है और धरती पर धर्म और सत्य की पुनर्स्थापना की है

Jaipur | जसवंतपुरा उपखंड के पहाड़पुरा गांव में देवल परिवार की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत महापुराण के पांचवें दिन भागवताचार्य पंडित भरत शास्त्री ने भगवान के लीलावतारो का वर्णन करते हुए नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार, कृष्ण अवतार सहित प्रहलाद चरित्र की कथाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। भगवान द्वारा लिए गए विभिन्न अवतारों में उनके द्वारा की गई लीलाओं और भक्तों के उद्धार का भावपूर्ण वर्णन किया।

भागवताचार्य पंडित शास्त्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत महापुराण सुनाते हुए कहा कि जब-जब धरती पर अधर्म और अधर्मियों ने भगवान के भक्तों पर अत्याचार किए हैं, तब-तब भक्तों की करुण पुकार और भक्ति से प्रसन्न होकर हरि ने अनेकानेक अवतार लेकर भक्तों का उद्धार किया है और धरती पर धर्म और सत्य की पुनर्स्थापना की है।

नृसिंह अवतार में भगवान ने अपने परम भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नृसिंह का विकराल रूप धारण कर खम्भा फाड़कर हिरण्यकश्यप का वध किया तो वामन अवतार में छोटे बालक का रुप धरकर महादानी राजा बलि में उत्पन्न हुए अपने महादान के अभिमान का नाश किया और उनका उद्धार किया। राम अवतार में भगवान ने सरल, सौम्य और मर्यादा का अनुपालन करते हुए संपूर्ण विश्व को मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा दी और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए तो कृष्ण अवतार में भगवान ने द्वापर के बाद आने वाले कलयुग की घटनाओं से साक्षात्कार करवाया और योगेश्वर कहलाए।

कृष्ण अवतार में भगवान ने अपने जन्म में बाल लीलाओं द्वारा पूरी दुनिया को सम्मोहित किया तो युवावस्था में राधारानी जी और गोपियों से रास रचाकर पूरी दुनिया को प्रेम का साक्षात्कार करवाया वहीं जब धरती से अधर्म को समाप्त करने का समय आया तो कुरुक्षेत्र में अर्जुन के सारथी बनकर अपने ही सगे भाइयों से युद्ध करने के लिए प्रेरित किया।

जब अर्जुन ने अपने भाईयों से युद्ध लड़ने के लिए मना किया तो भगवान हरि ने अपना चतुर्भुज रूप दिखाकर अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। इसलिए अधर्म और बुराई का नाश करने के लिए भगवान ने समय-समय पर अवतार लेकर भक्तों का उद्धार किया है। 

कथा में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।

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