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सेवानिवृत्त कर्नल पृथ्वी सिंह भाटी ने भावुक होकर कहा, "यह स्मारक मेजर शैतान सिंह की वीरता और बलिदान का प्रतीक है। उनकी विरासत हमारे समुदाय को निरंतर प्रेरित करती रहेगी। जीवआश फाउंडेशन का इस पुनर्निर्माण में योगदान अत्यंत सराहनीय है
रामासिया, पाली (राजस्थान)| परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह भाटी के सम्मान में रामासिया गांव में स्थित स्मारक का पुनर्निर्माण जीवआश फाउंडेशन द्वारा अत्यंत सफलता के साथ संपन्न किया गया है। यह स्मारक, जिसे 1964 में उनके भाई थानेदार जीवराज सिंह भाटी द्वारा स्थापित किया गया था, 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले इस महान योद्धा की अदम्य वीरता और बलिदान का प्रतीक है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मेजर शैतान सिंह भाटी के छोटे भाई, सेवानिवृत्त कर्नल पृथ्वी सिंह भाटी, उनके पुत्र नर्पते सिंह, भाजपा उपाध्यक्ष पुष जैन, संत उत्तम दास जी महाराज, और युवाचार्य अभय दास ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
समाजसेवी मनोहर सिंह (रामासिया), महेंद्र सिंह (रामासिया), और वीरेंद्र सिंह भाटी ने इस अवसर पर घोषणा की कि अब हर वर्ष मेजर शैतान सिंह भाटी की पुण्यतिथि को विशेष रूप से मनाया जाएगा। उन्होंने कहा, "यह समारोह न केवल मेजर शैतान सिंह की अद्वितीय वीरता का स्मरण करने का अवसर होगा, बल्कि इस आयोजन के माध्यम से उनकी शौर्य गाथा आने वाली पीढ़ियों तक जीवंत रहेगी।"
समारोह में उपस्थित अन्य विशिष्ट व्यक्तियों में एडीजे विक्रम सिंह, एडवोकेट शैतान सिंह, गिरधारी सिंह मंडली, एडवोकेट कालूराम सारागरा (रामासिया), प्रोफेसर देवी सिंह भाटी, राजेन्द्र सिंह (एसएस नगर), विक्रम सिंह (रामासिया) और एडवोकेट मदन दास (रामासिया) शामिल थे। सभी ने मेजर शैतान सिंह की वीरता और बलिदान की गाथा को संजोए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और इस धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने का आह्वान किया।
सेवानिवृत्त कर्नल पृथ्वी सिंह भाटी ने भावुक होकर कहा, "यह स्मारक मेजर शैतान सिंह की अमर वीरता का प्रतीक है। उनकी बहादुरी हमारे लिए एक प्रकाशस्तंभ है, और हम जीवआश फाउंडेशन के आभारी हैं, जिन्होंने इस स्मारक के पुनर्निर्माण में अपने अथक प्रयास समर्पित किए।"
पुष जैन और एडवोकेट शैतान सिंह ने भी इस ऐतिहासिक स्थल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्मारक का पुनर्निर्माण इसे साहस और बलिदान का एक सजीव प्रतीक बनाता है, जो अब पूरे क्षेत्र से आने वाले आगंतुकों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। जीवआश फाउंडेशन ने इस स्मारक की निरंतर देखभाल और संरक्षण का संकल्प लिया है, ताकि यह स्मृति स्थल आने वाले समय में भी श्रद्धा और प्रेरणा का केंद्र बना रहे।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों ने भी भाग लिया, जिन्होंने अपने दिलों में मेजर शैतान सिंह भाटी के प्रति गहरे सम्मान का प्रदर्शन किया। 1962 में रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई में उनके अद्वितीय नेतृत्व और अंतिम बलिदान ने भारतीय सैन्य इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा। अब यह पुनर्निर्मित स्मारक उनकी वीरता की धरोहर को और भी उज्ज्वल बनाएगा, जो आने वाली पीढ़ियों को अनवरत प्रेरित करता रहेगा।