राजस्थान की राजनीति हमेशा से बागी नेताओं, अलग तेवर वाले चेहरों और सत्ता से टकराने वाली शख्सियतों के लिए जानी जाती है। ऐसे में जब किरोड़ी लाल मीणा और हनुमान बेनीवाल जैसे दो बड़े बागी नेता लाइव डिबेट में भिड़ते दिखे, तो यह केवल एक टीवी बहस नहीं बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों की झलक मानी जा रही है।
1. सियासी रिश्तों का अतीत
2008 से लेकर 2013 तक हनुमान बेनीवाल और किरोड़ी लाल मीणा कई मुद्दों पर एक-दूसरे के सहयोगी रहे।
वसुंधरा राजे से दोनों की अदावत ने इन्हें एक समय पर “बागियों की जोड़ी” बना दिया था।
किसान आंदोलन, फसल मुआवज़ा और विधानसभा के विरोध प्रदर्शनों में दोनों साथ खड़े हुए।
2. आज की टकराहट क्यों अहम है?
लाइव बहस में दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की जातीय राजनीति, औक़ात और भ्रष्टाचार तक पर आरोप लगाए।
किरोड़ी ने सीधे तौर पर “पैसे लेने–देने” की बात उठाई, वहीं बेनीवाल ने “मीणा समाज को गुमराह करने” का आरोप लगाया।
यह विवाद निजी आरोपों तक पहुंच गया, जिससे यह केवल विचारधारा की लड़ाई नहीं रही, बल्कि पर्सनल अदावत बन गई है।
3. राजनीतिक भूगोल और प्रभाव का फर्क
किरोड़ी लाल मीणा: पूर्वी राजस्थान और मीणा समाज पर मजबूत पकड़, भाजपा के भीतर भी दबदबा।
हनुमान बेनीवाल: नागौर से निकलकर पश्चिमी राजस्थान और जाट राजनीति पर असर, अपनी पार्टी RLP के जरिए “वन मैन आर्मी” की पहचान।
दोनों की ताकत अलग-अलग क्षेत्रों में है, इसलिए सीधा वोट बैंक टकराव नहीं, लेकिन नैरेटिव टकराव ज़रूर है।
4. भविष्य की राजनीति पर असर
राजस्थान में परिसीमन (Delimitation) के बाद बागियों की जीतने की संभावना और बढ़ेगी।
अगर मीणा और बेनीवाल की दुश्मनी लंबी चली, तो भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए “Divide & Rule” की पॉलिटिक्स आसान हो जाएगी।
सोशल मीडिया पर इनके समर्थक अब खुलकर भिड़ सकते हैं, जिससे आने वाले चुनावी नैरेटिव में व्यक्तिगत हमले हावी रहेंगे।
5. संभावित समीकरण
क्या बेनीवाल भाजपा के करीब जाएंगे? या फिर भाजपा ही बेनीवाल को “काउंटर कार्ड” की तरह इस्तेमाल करेगी?
क्या नरेश मीणा जैसे युवा चेहरे इस अदावत से नया रास्ता निकालेंगे?
अगर आरोप-प्रत्यारोप में दस्तावेज़ और सबूत सामने आते हैं, तो यह राजस्थान की राजनीति का सबसे बड़ा एक्सपोज़ साबित हो सकता है।
किरोड़ी लाल मीणा और हनुमान बेनीवाल दोनों ही “बागी राजनीति” के प्रतीक हैं।
लेकिन अब जब यह टकराहट व्यक्तिगत हो गई है, तो इसके दूरगामी नतीजे होंगे।
राजस्थान की राजनीति में यह भिड़ंत एक तरह से “युवा बनाम बुज़ुर्ग बागी” की जंग है।
अब देखना होगा कि क्या यह टकराव इन्हें और अलग-थलग करेगा या फिर किसी तीसरी ताकत (भाजपा/कांग्रेस) को फायदा पहुंचाएगा।
किरोड़ी-बेनीवाल के बीच लाइव भिड़ंत: आरोप-प्रत्यारोप की बौछार
किरोड़ीलाल मीणा: जहां तक पर्दा डालने की बात है, सरकार ने कैबिनेट सब कमेटी बैठाई थी। पर्दा डालने वाली कोई बात नहीं थी। मैंने कह दिया था कि रद्द करो, आगे तो मेरी सीमाएं, मर्यादाएं हैं। इतना बोल रहा हूं, वही काफी है। कांग्रेस राज में कोई सड़क पर नहीं आया, हम ही सड़क पर आए।
हनुमान बेनीवाल: डॉक्टर साहब खुद की ही खबर पढ़ते हैं, दूसरे की नहीं। हम तो पूरे पांच साल सड़क पर ही थे। पर्दा भजनलाल शर्मा की सरकार डाल रही है, ये नहीं डाल रहे हैं। ये थोड़ी डालेंगे पर्दा।
किरोड़ी: राजस्थान में अगला परिवर्तन यही करेंगे, और तो कोई है ही नहीं।
बेनीवाल: कोई नहीं है डॉक्टर साहब, परिवर्तन हम ही करेंगे, आपकी उम्र ज्यादा हो गई, अब 60 साल उम्र हो गई।
किरोड़ी: राजस्थान में तो यही क्रांति करेंगे और तो कोई क्रांति करने वाला है ही नहीं।
बेनीवाल: अब इनकी उम्र 60 साल हो गई, क्रांति हम ही करेंगे।
किरोड़ी: मेरी उम्र तो कितनी ही हो गई लेकिन मेरे बराबर संघर्ष करना सीखो। आपकी आरएलपी पार्टी की महिला नेता पेपरलीक में शामिल थी।
बेनीवाल: आपको मेरे से ज्यादा कौन जानता है डॉक्टर साहब, आप मेरे को छोड़कर चले गए थे। आपको पूरा देश जानता है।
किरोड़ी: मैं गांजा पीता हूं क्या, छिपाता थोड़े हूं।
बेनीवाल: आपको पूरा देश जानता है। आप भर्ती रद्द करवा देते फिर...
किरोड़ी: पेपर लीक में तुम्हारी पार्टी की महिला नेता शामिल थी।
बेनीवाल: वो आपके टच में थी।
किरोड़ी: पेपर लीक में आरएलपी की महिला नेता थी, ज्यादा मत बोलो वरना तुम्हारा कनेक्शन जुड़ जाएगा।
बेनीवाल: मैं आपको जानता हूं अच्छी तरह जानता हूं। छोड़ो आप, काहे के राजस्थान के नेता हो आप।
किरोड़ी: राजस्थान के नेता तुम हो क्या? वहां तूफान खड़ा कर दिया, यहां तूफान खड़ा कर दिया, क्या कर दिया? फालतू की बकवास बाजी कर रहे हो।
बेनीवाल: कुछ नहीं, अब गया जमाना आपका।
किरोड़ी: तू दौसा में आया था। पुलिस ने लाठी चलाई, तुम वहां मैनेजर के सामने टेबल के नीचे घुस गए थे।
बेनीवाल: आप घुस गए थे। मैंने आपको देखा था भागते हुए।
किरोड़ी: बकवास कर रहे हो, क्या देखा था?
बेनीवाल: आप मुझे छोड़कर भागे थे, वसुंधराजी के पास। मैं आपको छोड़कर नहीं भागा।
किरोड़ी: खड़ा करने वाला, आगे बढ़ाने वाला मैं। तुम तो जाटों के लड़कों पर लाठी चली तब अस्पताल पूछने तक नहीं गए।
बेनीवाल: आप चोरों की मदद करते हो, आप सारे चोरों की मदद करते हो।
किरोड़ी: अपनी सीमा में रहो, सब नेतागिरी भुला दूंगा।
बेनीवाल: सीमा में रहो, ठीक है ना।
किरोड़ी: तू तेरे क्वार्टर में छुपकर चुप होकर बैठ गया था, तभी मैंने टोडाभीम से भाग कर आकर तेरे को बचाया था।
बेनीवाल: क्या तेरे तेरे लगा रखा है, क्या है आपके पास?
किरोड़ी: तू तो जाट है न, किसान का बेटा है न, तेरे को शर्म आनी चाहिए।
बेनीवाल: छोड़ो, आप जैसा तो फर्जी आदमी मैंने देखा ही नहीं।
किरोड़ी: चोर कहीं के, पैसे मैंने मेरे हाथ से दिए थे।
बेनीवाल: आपके पास क्या सामान है? क्या दिए थे?
किरोड़ी: कहता था मुझे पैसे दिलाओ, पैसे दिलाओ।
बेनीवाल: आप बिकाऊ हो।
किरोड़ी: तू ही ले ले न। मैंने इकट्ठे पैसे दिलवाए हैं, बता और दूंगा।
बेनीवाल: आप इससे ज्यादा कुछ नहीं बनोगे। आप तो बहज बांटते रहो, फैक्ट्री पर छापे मारो और उनसे पैसे ले लो और आप कुछ नहीं कर पाओगे। इससे ज्यादा कुछ नहीं होनेवाला।
किरोड़ी: तूने जाटों के छोरोंको बिगाड़ दिया।
बेनीवाल: आपको जलन क्यों हो रही है, आपने जाटों का ठेका ले रखा है क्या?
किरोड़ी: मैंने पूरे राजस्थान का ठेका ले रखा है।