Highlights
- वाई. पूरन कुमार ने चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर आत्महत्या कर ली।
- सुसाइड नोट में 8 आईपीएस और 2 आईएएस अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप।
- आत्महत्या से ठीक पहले रिश्वतखोरी के मामले में नाम शामिल होने का आरोप।
- यह घटना नौकरशाही में बढ़ते मानसिक दबाव और उत्पीड़न पर सवाल उठाती है।
चंडीगढ़: वरिष्ठ आईपीएस वाई. पूरन कुमार (Y. Puran Kumar) ने चंडीगढ़ (Chandigarh) में आत्महत्या की। सुसाइड नोट में 8 IPS, 2 IAS अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप है। रिश्वत मामले में नाम आने के बाद यह कदम उठाया गया।
घटना का विस्तृत विवरण
हरियाणा कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार मंगलवार दोपहर को चंडीगढ़ स्थित अपने सेक्टर-11 आवास पर मृत पाए गए।
उन्हें सिर में गोली लगी थी और पुलिस ने प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या का मामला माना है।
पूरन कुमार ने कथित तौर पर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारी, हालांकि कुछ स्रोतों के अनुसार, उन्होंने अपने गनमैन की सर्विस रिवॉल्वर का इस्तेमाल किया।
यह घटना उस समय हुई जब वे अपने साले के सेक्टर-11 स्थित घर के साउंडप्रूफ बेसमेंट में थे, जिसे उन्होंने खुद ऑफिस के रूप में बनाया था।
चूँकि बेसमेंट साउंडप्रूफ था, इसलिए गोली चलने की आवाज़ किसी को नहीं सुनाई दी।
दोपहर करीब 1 बजे पूरन कुमार ने अपने पीएसओ से यह कहकर उसकी सर्विस रिवॉल्वर ली थी कि उन्हें थोड़ा काम है।
उनकी छोटी बेटी ने दोपहर करीब 2 बजे बेसमेंट में जाकर देखा, तो उन्हें सोफे पर खून से लथपथ पाया।
घटनास्थल पर आईजी पुष्पेंद्र सिंह, एसएसपी कौऱ, और एसपी सिटी प्रियंका सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पहुंचे।
पुलिस को वहाँ से एक रिवॉल्वर, एक वसीयत और 9 पन्नों का अंतिम नोट मिला है, जबकि अन्य स्रोत 8 पन्नों के सुसाइड नोट का उल्लेख करते हैं।
चंडीगढ़ की एसएसपी कंवरदीप कौर ने बताया कि सीएफएसएल टीम मौके पर पहुंची और जांच जारी है तथा पोस्टमॉर्टम के बाद और जानकारी सामने आएगी।
उनके शव का पोस्टमॉर्टम चंडीगढ़ के सेक्टर 16 अस्पताल में डॉक्टरों का बोर्ड करेगा।
वाई. पूरन कुमार: एक परिचय
वाई. पूरन कुमार हरियाणा कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और एडीजीपी रैंक तक अपनी सेवाएं दी थीं।
वह मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे और अनुसूचित जाति समुदाय से आते थे।
उन्होंने बी.ई. (कंप्यूटर साइंस) की डिग्री ली थी और आईआईएम अहमदाबाद से भी स्नातक थे।
वह अपनी स्पष्टवादिता और सिस्टम में अनियमितताओं को उजागर करने के लिए जाने जाते थे।
वह 2033 में सेवानिवृत्त होने वाले थे।
उन्हें सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था।
उनकी पत्नी, अमनीत पी. कुमार, 2001 बैच की एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं।
सुसाइड नोट और गंभीर आरोप
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पूरन कुमार ने मरने से पहले 9 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा था।
इस सुसाइड नोट में कुछ वर्तमान और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों के नाम का उल्लेख है।
एक अन्य स्रोत के अनुसार, सुसाइड नोट में 8 आईपीएस और 2 आईएएस अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न और प्रशासनिक दबाव का गंभीर आरोप है।
सूत्रों के अनुसार, नोट में हरियाणा के दो सेवानिवृत्त आईपीएस अफसरों और दो मौजूदा आईपीएस अफसरों के नाम हैं।
आरोपों में जातिगत भेदभाव, गलत पोस्टिंग, एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) में अनियमितता, सरकारी आवास न मिलने और शिकायतों की अनदेखी जैसे मुद्दे शामिल हैं।
उन्होंने लिखा कि कुछ अधिकारियों ने उन्हें लगातार परेशान किया और प्रशासनिक दबाव में रखा।
उन्होंने अपनी सारी संपत्ति अपनी पत्नी अमनीत कौर के नाम कर दी है।
पुलिस ने कहा है कि नोट की फॉरेंसिक जांच के बाद ही इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
रिश्वतखोरी का मामला: तात्कालिक कारण?
पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में एक रिश्वत का केस सामने आया है, जिसे लेकर आरोप लग रहे हैं कि उन्हें इस स्थिति तक पहुंचने के लिए मजबूर किया गया।
यह मामला रोहतक के एक शराब कारोबारी प्रवीण बंसल से जुड़ा है।
बंसल ने पूरन कुमार के गनर (हेड कांस्टेबल) सुशील कुमार के खिलाफ 2.5 लाख रुपये की मंथली रिश्वत मांगने के आरोप में एफआईआर कराई थी।
शराब कारोबारी ने आरोप लगाया था कि सुशील वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के नाम पर रिश्वत मांग रहा था।
शिकायतकर्ता ने इस वाकये के सबूत के तौर पर सीसीटीवी फुटेज और ऑडियो रिकॉर्डिंग सौंपे थे।
ऑडियो क्लिप में सुशील पैसे की मांग करता सुनाई दे रहा है।
रोहतक पुलिस ने लिखित शिकायत और वीडियो फुटेज के आधार पर एफआईआर दर्ज की और सोमवार को सुशील कुमार को गिरफ्तार किया।
सुशील ने पूछताछ में वाई पूरन कुमार का नाम लिया था।
एफआईआर में वाई पूरन कुमार का नाम भी दर्ज किया गया था।
परिवार और करीबी सूत्रों ने सवाल उठाए हैं कि सरकार से मंजूरी लिए बिना ही उनके नाम पर एफआईआर क्यों दर्ज हुई।
रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया ने कहा कि पूरन कुमार को जांच में शामिल होने के लिए न तो बुलाया गया था और न ही कोई नोटिस जारी किया गया था।
करियर के विवाद और प्रशासनिक उत्पीड़न
वाई. पूरन कुमार अपने करियर के दौरान प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक विवादों में शामिल रहे और उन्हें जातिगत पूर्वाग्रह तथा प्रशासनिक मुद्दों के खिलाफ बोलने के लिए जाना जाता था।
पूर्व डीजीपी पर आरोप
उन्होंने पूर्व डीजीपी मनोज यादव पर उत्पीड़न, व्यक्तिगत रंजिश और जातीय भेदभाव के आरोप लगाए थे और इस मामले में न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था।
पदोन्नति और वरिष्ठता के मुद्दे
उन्होंने हरियाणा में 1991, 1996, 1997 और 2005 बैच के आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन पर सवाल उठाए थे, उन्हें "अवैध" बताया था।
उन्होंने यह भी कहा था कि वह मानते हैं कि एससी श्रेणी से होने के कारण उनकी पदोन्नति पर कार्रवाई नहीं की गई।
गैर-कैडर पोस्टिंग
उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें आईजी (होम गार्ड्स) जैसे गैर-कैडर पद पर नियुक्त किया गया था ताकि कथित तौर पर उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित और परेशान किया जा सके, जबकि आईजी रैंक के रिक्त कैडर पद मौजूद थे।
सरकारी वाहन और आवास नीति
उन्होंने अधिकारियों को आधिकारिक वाहनों के "भेदभावपूर्ण और चयनात्मक" आवंटन पर सवाल उठाते हुए अपनी आधिकारिक कार राज्य पुलिस विभाग को वापस कर दी थी।
उन्होंने नौ आईपीएस अधिकारियों को दो-दो सरकारी मकानों के आवंटन के मुद्दे पर लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद एक-एक मकान खाली कराया गया और जुर्माना राशि वसूली गई।
उच्च अधिकारियों से लगातार विवाद
उन्होंने डीजीपी शत्रुजीत कपूर, पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, पूर्व गृह सचिव राजीव अरोड़ा और पूर्व डीजीपी मनोज यादव सहित शीर्ष आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला था।
उन्होंने लगातार यह कहा था कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा परेशान किया जा रहा है, उनकी शिकायतों को दबाया जा रहा है, और उन्हें सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस हो रहा है।
अंतिम पोस्टिंग और उसका प्रभाव
हाल ही में उन्हें आईजी रोहतक रेंज से ट्रांसफर कर सुनारिया (रोहतक) के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (पीटीसी) के प्रमुख के रूप में भेजा गया था।
इस तबादले को कई लोग सजा के तौर पर देख रहे थे और उन्हें बुधवार को इस पद का कार्यभार संभालना था।
जांच का दायरा और संभावित परिणाम
चंडीगढ़ पुलिस ने आत्महत्या के कारणों की जांच शुरू कर दी है और सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों की सत्यता की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है।
जांच प्रक्रिया
पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट की फॉरेंसिक जांच के बाद ही इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए हैं और पूरी जांच प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है।
उनकी पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार, जो जापान दौरे से लौट रही हैं, उनके लौटने के बाद बयान दर्ज किए जाएंगे।
चंडीगढ़ के आईजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस मामले की निगरानी कर रहे हैं।
रिश्वत मामले से जुड़ाव
जांच का एक महत्वपूर्ण पहलू रोहतक में उनके गनमैन सुशील कुमार से जुड़े रिश्वत मामले से संबंधित है, जिसे उनकी आत्महत्या की संभावित वजह माना जा रहा है।
पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या रिश्वत मांगने के मामले में पूरन कुमार सीधे तौर पर शामिल थे, या क्या रिश्वत उनके नाम पर मांगी गई थी।
पूरन कुमार के परिवार के लोग इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि सरकार से मंजूरी लिए बिना ही उनके नाम पर एफआईआर क्यों दर्ज की गई।
संभावित परिणाम
जांच का अंतिम परिणाम सुसाइड नोट की फॉरेंसिक रिपोर्ट और उसमें नामजद अधिकारियों के खिलाफ आरोपों की सत्यता पर निर्भर करेगा।
यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो नामजद वर्तमान या सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ कानूनी और विभागीय कार्रवाई हो सकती है।
पुलिस महकमे में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या वाई. पूरन कुमार प्रशासनिक दबाव का शिकार बन गए, और जांच इस पहलू पर भी केंद्रित होगी।
नौकरशाही में बढ़ते मानसिक दबाव पर सवाल
आईपीएस वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या की घटना नौकरशाही में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य और दबाव को कई गंभीर तरीकों से दर्शाती है, विशेष रूप से उच्च प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं में मौजूद गहरे संस्थागत तनाव को उजागर करती है।
प्रशासनिक उत्पीड़न और प्रणालीगत संघर्ष का दबाव
पूरन कुमार अपनी स्पष्टवादिता और सिस्टम में अनियमितताओं को उजागर करने के लिए जाने जाते थे, और उनकी आत्महत्या दर्शाती है कि प्रशासनिक व्यवस्था के भीतर पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए लड़ने वाले अधिकारियों पर कितना भारी दबाव हो सकता है।
उनका करियर विवादों और संघर्षों से भरा रहा, और उन्होंने अपने विभाग के खिलाफ कई बार कानूनी लड़ाई लड़ी।
उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों पर व्यक्तिगत रंजिश और जातीय भेदभाव के कारण उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
उन्होंने प्रशासनिक अनियमितताओं जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को आधिकारिक वाहनों के आवंटन, आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन, और उन्हें गैर-कैडर पद पर तैनात करने के खिलाफ सवाल उठाए थे।
उनका आरोप था कि ऐसा उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित और प्रताड़ित करने के लिए किया गया।
हाल ही में उन्हें रोहतक रेंज से पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, सुनारिया स्थानांतरित किया गया था, जिसे कई लोग 'सजा' के तौर पर देख रहे थे।
उन्होंने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ "उत्पीड़न और अपमान" की पाँच शिकायतें भी दर्ज की थीं।
उन्होंने लगातार कहा था कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा परेशान किया जा रहा है, उनकी शिकायतें दबाई जा रही हैं, और उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस हो रहा है।
मानसिक स्वास्थ्य और डिप्रेशन का सार्वजनिक होना
वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या ने प्रशासनिक अधिकारियों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।
उन्होंने कथित तौर पर मरने से पहले एक 9 पन्नों का सुसाइड नोट और एक वसीयत छोड़ी थी, जिसमें 8 आईपीएस और 2 आईएएस अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न और प्रशासनिक दबाव का गंभीर आरोप लगाया गया था।
उनकी आत्महत्या के कारणों में पारिवारिक तनाव और डिप्रेशन की बातें भी सामने आई हैं।
उनके परिवार के करीबी सूत्रों ने कहा कि यह केवल आत्महत्या नहीं है, बल्कि उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया।
तुरंत उत्पन्न हुआ तनाव (रिश्वत का मामला)
आत्महत्या से ठीक पहले सामने आया रिश्वत का मामला तात्कालिक और गंभीर दबाव को दर्शाता है।
रोहतक में एक शराब कारोबारी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसमें उनके गनमैन पर वाई पूरन कुमार के नाम पर 2.5 लाख रुपये की मासिक रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया था।
एफआईआर में पूरन कुमार का नाम शामिल किया गया था, जिस पर उनके परिवार ने सवाल उठाया कि सरकार की मंजूरी के बिना उनके नाम पर एफआईआर क्यों दर्ज की गई।
रोहतक पुलिस ने रिश्वत मांगने की बात कबूलने वाले हेड कॉन्स्टेबल को गिरफ्तार किया था, लेकिन पुलिस अधीक्षक ने बताया कि वाई. पूरन कुमार को जांच में शामिल होने के लिए अभी तक कोई नोटिस नहीं दिया गया था।
इस स्थिति को उनके आत्महत्या की प्रमुख वजह माना जा रहा है।
नौकरशाही में बढ़ते तनाव का व्यापक पैटर्न
यह घटना इस बात का प्रमाण है कि शीर्ष पदों पर कार्यरत अधिकारी भी अत्यधिक मानसिक दबाव झेलते हैं, जो घातक साबित हो सकता है।
वाई. पूरन कुमार जैसे "बोल्ड" और ईमानदार अधिकारी, जो संस्थागत पारदर्शिता के लिए लड़ते रहे, अंततः सिस्टम के भीतर अकेले पड़ गए।
उनकी मौत ने पूरे सिविल प्रशासन को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी क्यों टूट गया।
यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तनाव का अकेला उदाहरण नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी कई बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की आत्महत्या सुर्खियां बटोर चुकी है।
इनमें 'सुपरकॉप' हिमांशु रॉय (महाराष्ट्र आईपीएस), राजेश साहनी (यूपी आईपीएस), और डी.के. रवि (कर्नाटक आईएएस) शामिल हैं।
इन मामलों में काम का दबाव, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, और प्रशासनिक/राजनीतिक दबाव मुख्य कारण रहे हैं।
संक्षेप में, आईपीएस पूरन कुमार की आत्महत्या नौकरशाही में गहरे जड़ जमा चुके संस्थागत उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव, और प्रशासनिक दबाव के अस्तित्व को उजागर करती है, जो अधिकारियों को अत्यधिक मानसिक तनाव में डालता है और अंततः उन्हें आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है।