Highlights
- गोविंददेव जी मंदिर में 31 दिसंबर को मनाई जाएगी पुत्रदा एकादशी
- मंगला झांकी का समय सुबह 04:30 बजे से निर्धारित किया गया है
- भीड़ को देखते हुए मंदिर में निःशुल्क जूता घर की सुविधा बंद रहेगी
- बीमार व्यक्तियों और बुजुर्गों को भीड़ से बचने की दी गई विशेष सलाह
जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर के आराध्य देव गोविंददेव जी के मंदिर में पुत्रदा एकादशी की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस बार 31 दिसंबर को पड़ने वाली इस एकादशी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख शांति का वास होता है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस दिन हजारों की संख्या में भक्त मंदिर पहुंचकर दर्शन लाभ लेते हैं।
दर्शन के समय में महत्वपूर्ण बदलाव
मंदिर कमेटी ने इस विशेष अवसर के लिए झांकियों का नया समय निर्धारित किया है ताकि भक्तों को सुगमता से दर्शन हो सकें। बुधवार को मंगला झांकी का समय सुबह 04:30 बजे से शुरू होकर 05:15 बजे तक रहेगा। इसके पश्चात धूप झांकी सुबह 07.30 बजे से 09.00 बजे तक और श्रृंगार झांकी सुबह 09.30 बजे से 10.15 बजे तक संचालित होगी। राजभोग के दर्शनों का समय सुबह 10.45 बजे से 11.45 बजे तक रहेगा। दोपहर के विश्राम के बाद ग्वाल झांकी शाम 04.30 बजे से 05.15 बजे तक और संध्या झांकी शाम 05.45 बजे से 07.15 बजे तक रहेगी। दिन की अंतिम झांकी यानी शयन दर्शन रात 07.45 बजे से 08.15 बजे तक किए जा सकेंगे।
भक्तों के लिए नई गाइडलाइंस और व्यवस्था
मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की है। इस दिन मंदिर परिसर में निःशुल्क जूता घर की व्यवस्था पूरी तरह बंद रहेगी। दर्शनार्थी दो अलग-अलग कतारों के माध्यम से प्रवेश कर सकेंगे। पहली कतार उन लोगों के लिए होगी जो जूते चप्पल पहनकर आएंगे और वे बाहर के रैंप से ही दर्शन करेंगे। दूसरी कतार उन भक्तों के लिए होगी जो बिना जूते चप्पल के आएंगे और उन्हें मंदिर के मुख्य छावन क्षेत्र में प्रवेश दिया जाएगा। यह व्यवस्था केवल 31 दिसंबर को मंगला से शयन झांकी तक प्रभावी रहेगी।
स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी निर्देश
सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर कमेटी ने भक्तों से अपील की है कि वे मंदिर में कीमती सामान जैसे बड़े बैग और लेडीज पर्स लेकर न आएं। महिलाओं को विशेष रूप से भारी आभूषण न पहनने की सलाह दी गई है। इसके अलावा हृदय रोग, मधुमेह और सांस की समस्या से पीड़ित मरीजों को भीड़भाड़ वाले समय में मंदिर आने से बचने के लिए कहा गया है। मंदिर प्रशासन का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को सुरक्षित वातावरण में भगवान के दर्शन कराना है ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके और उत्सव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो। जो भक्त श्रद्धा और संयम से व्रत रखते हैं उनके जीवन में समृद्धि आती है।
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