Highlights
- जैसलमेर बस हादसे में 22 से अधिक लोगों की मौत से मारवाड़ में शोक।
- सिरोही में भाजपा ने राज्य मंत्री ओटाराम देवासी के जन्मदिन पर समारोह मनाया।
- जोधपुर कांग्रेस ने संवेदनशीलता दिखाते हुए दीपावली समारोह स्थगित किया।
- इस घटना ने मारवाड़ की राजनीति के दो विपरीत चेहरे उजागर किए।
सिरोही/जोधपुर | जैसलमेर (Jaisalmer) बस दुखांतिका के बीच सिरोही (Sirohi) में भाजपा (BJP) ने जश्न मनाया, जबकि जोधपुर (Jodhpur) कांग्रेस (Congress) ने संवेदनशीलता दिखाते हुए अपना दीपावली समारोह स्थगित किया।
जैसलमेर दुखांतिका: मारवाड़ में शोक का माहौल
हाल ही में जैसलमेर में हुई द बर्निंग बस दुखांतिका ने पूरे मारवाड़ क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया है।
इस हृदय विदारक घटना में 22 से अधिक लोगों की दुखद मौत हो गई है।
यह त्रासदी हर संवेदनशील दिल को झकझोर कर रख चुकी है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी इस हादसे को लेकर अपना दर्द सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया है।
उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट की हैं।
सिरोही में भाजपा का जश्न: संवेदनशीलता पर सवाल
एक ओर जहां मारवाड़ शोक में डूबा था, वहीं सिरोही में भाजपा नेताओं ने एक समारोह का आयोजन किया।
यह समारोह राज्य मंत्री ओटाराम देवासी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में स्नेह मिलन के रूप में मनाया गया।
कार्यक्रम धनतेरस के दिन पनिहारी गार्डन में आयोजित हुआ था।
इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की भारी संख्या में उपस्थिति रही।
शोक के माहौल में संगीत और बधाई संदेशों से भरे इस समारोह ने कई लोगों को आहत किया।
स्थानीय लोगों ने इस आयोजन पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
उनका कहना है कि मारवाड़ की परंपरा में त्रासदी के समय जश्न नहीं मनाया जाता।
इस बार राजनीति संवेदनशीलता पर भारी पड़ती दिखी है।
जोधपुर कांग्रेस की मिसाल: मानवीय संवेदनशीलता का प्रदर्शन
इसी बीच, जोधपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने एक संवेदनशील निर्णय लिया है।
समिति ने जैसलमेर दुखांतिका के सम्मान में अपना वार्षिक दीपावली स्नेह मिलन समारोह स्थगित कर दिया है।
जिला अध्यक्ष सलीम खान और वरिष्ठ नेता नरेश जोशी ने इसकी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि मारवाड़ की रिवायत है कि एक का दुख, सबका दुख होता है।
कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट किया कि वे शोक के माहौल में जश्न नहीं मनाते हैं।
कांग्रेस का यह फैसला राजनीति में मानवीय संवेदनशीलता की मिसाल पेश करता है।
पार्टी ने कहा कि जब तक पीड़ित परिवार सामान्य नहीं हो जाते, वे कोई उत्सव नहीं मनाएंगे।
राजनीति के दो चेहरे: जनसेवा बनाम प्रदर्शन
सिरोही का यह आयोजन और जोधपुर कांग्रेस का निर्णय, मारवाड़ की राजनीति के दो विपरीत चेहरों को सामने लाए हैं।
एक ओर सत्ता पक्ष का दिखावटी उत्सव देखने को मिला है।
दूसरी ओर विपक्ष का संवेदनशील और जनभावना के साथ खड़ा रुख सामने आया है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि ऐसे क्षणों में ही दलों का असली चरित्र सामने आता है।
यहां मानवीय संवेदना राजनीति से कहीं अधिक बड़ी हो जाती है।
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं
इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
कई लोगों ने अपनी राय व्यक्त करते हुए लिखा है।
एक यूजर ने कहा, "जब मुख्यमंत्री दर्द बयां कर रहे थे, तब सिरोही में जश्न मनाया जा रहा था।"
उन्होंने आगे कहा, "यही फर्क है राजनीति और मानवीयता में।"
मारवाड़ की राजनीति की दो तस्वीरें
जैसलमेर की इस त्रासदी ने मारवाड़ की राजनीति में दो स्पष्ट तस्वीरें पेश की हैं।
एक ओर जोधपुर कांग्रेस का संवेदनशील फैसला है, जो जनभावना के साथ खड़ा दिखा।
दूसरी ओर सिरोही भाजपा का उत्सवी आयोजन है, जिसने जनभावना को ठेस पहुंचाई है।
यह घटना राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है।
जनता की भावनाओं का सम्मान करना अत्यंत आवश्यक है।
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