जालोर में 'अपनी बेटी बने महान' संस्कार शिविर: माली समाज छात्रावास में 'अपनी बेटी बने महान' संस्कार शिविर, धर्म पथ पर चलने का आह्वान

माली समाज छात्रावास में 'अपनी बेटी बने महान' संस्कार शिविर, धर्म पथ पर चलने का आह्वान
Jalore
Ad

Highlights

  • जालोर माली समाज छात्रावास में 'अपनी बेटी बने महान संस्कार शिविर' का आयोजन।
  • ऋषि ज्ञान आत्मानंद महाराज ने धर्म के मार्ग पर चलने और जीवन को श्रेष्ठ बनाने का संदेश दिया।
  • मां सरस्वती, संत लिखमीदास, सावित्री बाई फूले और ज्योतिबा फूले को नमन कर कार्यक्रम का शुभारंभ।
  • समाज के भामाशाहों और सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।

जालोर। जीवन में श्रेष्ठ संस्कारों का समावेश कर धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास ही व्यक्ति को महान बनाता है। इसी उद्देश्य के साथ जालोर माली समाज सेवा संस्थान द्वारा माली समाज छात्रावास में 'अपनी बेटी बने महान संस्कार शिविर' का भव्य आयोजन किया गया। इस शिविर में भारत माता संस्कार सेवा ट्रस्ट के ऋषि ज्ञान आत्मानंद महाराज ने अपने प्रेरक प्रवचनों से बालिकाओं और महिलाओं को अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया।

माली समाज सेवा संस्थान के अध्यक्ष नितिन सोलंकी के कुशल नेतृत्व में आयोजित इस संस्कार शिविर का शुभारंभ अत्यंत गरिमामय तरीके से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में ऋषि ज्ञान आत्मानंद महाराज ने माँ सरस्वती, संत लिखमीदास महाराज, समाज सुधारक सावित्री बाई फूले और ज्योतिबा फूले की तस्वीरों पर पुष्प अर्पित किए और दीप प्रज्वलित कर उन्हें नमन किया। यह क्षण समाज के उन महान व्यक्तित्वों के प्रति सम्मान और उनके आदर्शों को आत्मसात करने का प्रतीक था, जिन्होंने शिक्षा और समाज सुधार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

संस्कारों का महत्व और धर्म पथ पर चलने का आह्वान

अपने संबोधन में महाराज आत्मानंद ने कार्यक्रम में उपस्थित समाज के लोगों, विशेषकर बालिकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति के जीवन में व्यवहार, अनुशासन और आचरण पर संस्कारों का गहरा प्रभाव होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए। महाराज ने समझाया कि दैनिक जीवन में सदैव धर्म के मार्ग पर चलना ही सच्ची सफलता की कुंजी है। उन्होंने कहा कि इस मार्ग पर चलते हुए अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन दृढ़ संकल्प और संस्कारों की शक्ति से इन बाधाओं को पार करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बालिकाओं को शिक्षा के महत्व और आत्म-निर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित किया।

महाराज ने यह भी बताया कि किस प्रकार अच्छे संस्कार हमें समाज में एक सम्मानजनक स्थान दिलाते हैं और हमें सही-गलत का भेद करने की क्षमता प्रदान करते हैं। उन्होंने परिवार और समाज में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि एक शिक्षित और संस्कारी महिला न केवल अपने परिवार को बल्कि पूरे समाज को नई दिशा दे सकती है। उन्होंने बालिकाओं से अपने माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करने, सत्य बोलने और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करने का आह्वान किया।

भामाशाहों और महिला कार्यकर्ताओं का सम्मान

इस अवसर पर समाज में अपनी जरूरत के अनुसार आगे आने वाले भामाशाहों और सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित किया गया। ऋषि ज्ञान आत्मानंद महाराज ने इन समाजसेवियों को दुपट्टा ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनके योगदान के लिए आभार व्यक्त किया। यह सम्मान समारोह उन सभी व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम था, जो समाज के उत्थान और विकास के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे हैं।

शिविर में जालोर माली समाज की बड़ी संख्या में बालिकाएं, महिलाएं और पुरुष उपस्थित रहे। सभी ने महाराज के प्रवचनों को ध्यानपूर्वक सुना और उनसे प्रेरणा ग्रहण की। इस आयोजन ने समाज में संस्कारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और भावी पीढ़ी को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम का समापन समाज के सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए किया गया, जिन्होंने इस सफल आयोजन में अपना सहयोग दिया।

Must Read: राजस्थान में अगले पांच दिन अंधड़-बारिश-ओले, बरपेगा प्रकृति का कहर

पढें राज्य खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :