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राजस्थान उच्च न्यायालय: छात्रा के प्रवेश रद्द करने के मामले में याचिका
अदालत ने दी राहत, प्रवेश नहीं दिया तो छात्रा एक बार फिर से पहुंची हाईकोर्ट
जोधपुर | राजस्थान उच्च न्यायालय की जस्टिस रेखा बोराणा की अदालत में एक 10 वर्षीय छात्रा हनी पुरोहित को याचिका लम्बित रहने तक स्कूल में प्रवेश दिए जाने के आदेशों पर कार्यवाही नहीं होने पर यह छात्रा एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंची है। छात्रा ने अवमानना याचिका प्रस्तुत की है। ऐसे में जोधपुर हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता ने प्राचार्य को बीस हजार के जमानती वारंट से तलब किया है।
गौरतलब है कि पहले प्रस्तुत की गई याचिका में छात्रा हनी पुरोहित ने आरोप लगाया था कि उसका प्रवेश पीएमश्री स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय, कलंदरी (जिला सिरोही) में रद्द कर दिया गया है। यह निर्णय इस आधार पर लिया गया कि उसने कक्षा III, IV और V किसी भी सरकारी/सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल में पूरे शैक्षणिक सत्र में नहीं पढ़ा है।
छात्रा के वकील राजेश शाह ने अदालत में तर्क दिया कि यह आरोप पूरी तरह गलत है। उन्होंने तीनों वर्षों की अंक तालिकाएं प्रस्तुत करते हुए यह साबित किया कि छात्रा ने सभी आवश्यक कक्षाएं नियमानुसार पूरी की हैं।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष के वकील मुकुल राजपुरोहित को निर्देश दिया कि वे मामले की जानकारी लें और अगले सुनवाई तक जवाब प्रस्तुत करें।
फिलहाल, अदालत ने छात्रा को राहत देते हुए आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक उसे नियमित कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी जाए। यह फैसला छात्रा और उसके परिवार के लिए बड़ी राहत लेकर आया। परन्तु अब छात्रा का आरोप है कि न्यायालय के आदेश के बावजूद उसे स्कूल में नहीं पढ़ने दिया जा रहा है। अब न्यायालय ने प्राचार्य को जमानती वारंट से तलब किया है।