कफ सिरप से बच्चों की मौत: MP-राजस्थान में हड़कंप: मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला: क्या है पूरा सच और एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला: क्या है पूरा सच और एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
Cough Syrep Death Symbolic Image | AI
Ad

Highlights

  • मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 11 और राजस्थान में 3 बच्चों की मौत कफ सिरप पीने के बाद हुई।
  • तमिलनाडु में बनी 'कोल्ड्रिफ़ कफ सिरप' में 48.6% डायथिलीन ग्लाइकॉल, एक जहरीला रसायन, पाया गया।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने सिरप पर प्रतिबंध लगाया और दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज की।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, यह रसायन किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाकर मौत का कारण बनता है।

Jaipur | मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था और दवा सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बीते एक महीने में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 11 और राजस्थान के भरतपुर, झुंझुनू तथा चुरू जिलों में तीन बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

इन बच्चों के परिवारों का आरोप है कि कफ सिरप पीने के बाद ही उनके बच्चों की तबीयत तेजी से बिगड़ी और उन्हें बचाया नहीं जा सका।

इस मामले में मध्य प्रदेश ड्रग कंट्रोल विभाग ने तमिलनाडु में बनने वाली 'कोल्ड्रिफ़ कफ सिरप' पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है। शनिवार रात को पुलिस ने सरकारी डॉक्टर प्रवीण सोनी, कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फ़ार्मास्युटिकल्स के संचालकों और अन्य जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है।

यह कार्रवाई 5 अक्टूबर को परासिया ब्लॉक के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अंकित सहलाम की शिकायत पर की गई।

छिंदवाड़ा में मौतों का सिलसिला

छिंदवाड़ा जिले में मरने वाले 11 बच्चों में से 10 परासिया ब्लॉक के निवासी थे, जहां डॉक्टर प्रवीण सोनी सरकारी शिशु रोग विशेषज्ञ के तौर पर तैनात थे। इन मौतों के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने 1 अक्टूबर को तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर दवा निर्माता के खिलाफ जांच करने का आग्रह किया था।

तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोल विभाग ने अपनी जांच में श्रीसन फ़ार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई जा रही कोल्ड्रिफ़ कफ सिरप के "मिलावटी" होने की पुष्टि की। 2 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार, कोल्ड्रिफ़ सिरप के बैच एस आर-13 को 'मिलावटी' घोषित किया गया, जिसमें 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया। यह एक जहरीला रसायन है जो सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए एक्स पर लिखा, "छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ़ सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्य प्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है।"

छिंदवाड़ा ज़िला अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ पवन नंदुरकर ने पत्रकारों को बताया, "ज़्यादातर बच्चों की मौत किडनी इंजरी से हुई थी। बच्चों की रीनल बायोप्सी जांच के बाद यह पता चला था कि किसी तरह के टॉक्सिन (ज़हरीला पदार्थ) के कारण किडनी को चोट पहुंची और उसने काम करना बंद कर दिया जिसके बाद बच्चों की मौत हुई। इनमें ज़्यादातर बच्चों की मेडिकल हिस्ट्री में कफ़ सिरप दिए जाने की बात सामने आई थी।"

छिंदवाड़ा के यासीन ख़ान का चार साल का बेटा उसैद अब इस दुनिया में नहीं है। बीबीसी से बातचीत में यासीन ने रोते हुए बताया, "उसे 25 अगस्त को पहली बार हल्की सर्दी, खांसी और बुखार आया था। 13 सितंबर को किडनी के ख़राब हो जाने से उसैद की मौत हो गई।

मेरी आंख का तारा इस दुनिया से चला गया।" छिंदवाड़ा में 7 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच कुल 11 बच्चों की किडनी ख़राब होने से मौत हो चुकी है। अब भी कम से कम पांच बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है।

राजस्थान में भी सामने आए मामले

मध्य प्रदेश से सटे राजस्थान में भी इसी तरह के मामले सामने आए हैं। कथित तौर पर सरकारी अस्पताल से मिली कफ सिरप पीने के बाद भरतपुर और झुंझुनू जिलों में दो बच्चों की मौत हुई है। शनिवार को चुरू जिले से भी एक बच्चे की मौत की खबर सामने आई, जिसकी मौत जयपुर के जेके लोन अस्पताल में हुई।

परिजनों का आरोप है कि बच्चे को चार दिन पहले कफ सिरप दी गई थी, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे जयपुर रेफर किया गया था। भरतपुर और झुंझुनू के बच्चों को भी इलाज के लिए रेफर किया गया था, जहां उनकी मौत हो गई।

हालांकि, राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "दवाई की हमने जांच की है, उसमें ऐसा कोई पदार्थ नहीं पाया गया है जो जानलेवा हो। इस दवाई की वजह से कोई मौत नहीं हुई है। मामले की जांच के लिए हमने एक कमेटी बनाई है।"

जांच और विरोधाभासी बयान

मध्य प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर दिनेश कुमार मौर्य ने बीबीसी हिन्दी से कहा, "हमारी लगातार केंद्रीय ड्रग टेस्टिंग एजेंसी से बात हो रही है। हमने 12 सैंपल लिए थे और केंद्रीय ड्रग टेस्टिंग एजेंसी ने छह सैंपल लिए थे। अब तक हमारे तीन सैंपल और केंद्रीय ड्रग टेस्टिंग लैब द्वारा लिए गए सभी छह सैंपल में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी नहीं पाई गई है।

हमारे बाकी सैंपल की जांच जारी है।" वहीं, मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने भी कहा कि राज्य ड्रग टेस्टिंग लैब में भेजे गए 12 सिरप में से तीन की रिपोर्ट आ चुकी है और किसी में भी ऐसा तत्व नहीं पाया गया जिससे बच्चों की मौत का कारण स्पष्ट हो सके।

यह विरोधाभास चिंताजनक है क्योंकि तमिलनाडु के ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने एक दिन के अंदर ही कोल्ड्रिफ़ कफ सिरप में जहरीले तत्व डायथिलीन ग्लाइकॉल के होने की पुष्टि कर दी थी, जबकि मध्य प्रदेश सरकार लगभग 10 दिनों से जांच अधूरी होने का हवाला दे रही है।

परिजनों को न्याय का इंतज़ार

पांच साल के अदनान ख़ान की भी मौत सात सितंबर को कथित तौर पर कफ सिरप पीने और उसके बाद किडनी के काम न करने से हुई। अदनान के बड़े भाई साजिद ख़ान ने बताया, "अदनान बेटे को कभी गंभीर बीमारी नहीं हुई थी।

इस बार हल्के बुखार के बाद उसकी हालत बिगड़ती चली गई और हम उसे बचा नहीं पाए।" अदनान के इलाज में परिवार ने 7 लाख रुपये से ज़्यादा खर्च कर दिए।

चार साल के विकास यदुवंशी के घर पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है। बच्चे के पिता प्रभुदयाल यदुवंशी ने सवाल उठाया, "हमें हमारे बच्चे के लिए इंसाफ चाहिए। हमारा बच्चा स्वस्थ था। जुकाम और बुखार से उसकी किडनी ने कैसे काम करना बंद कर दिया? सरकार हमें तो ये बताए कि इसका जवाब कौन देगा और कब देगा?"

विशेषज्ञों की राय और खतरे की पहचान

पीडियाट्रिशियन डॉक्टर अवेश सैनी बताते हैं कि आम इंसान कैसे पता लगाए कि दवाई नकली है या असली। उन्होंने कहा, "सिरप की बनावट (फिज़िकल अपीयरेंस) कैसी है? उसका क्लाउडिनेस कलर चेंज है या उसमें कोई पार्टिकल दिख रहा है। दवाई में सॉल्ट नीचे बैठ गया है और अगर बैच नंबर नहीं लिखा है या मिटा दिया गया है तो वह भी ठीक नहीं है।

दवाई पर ड्रग लाइसेंस नंबर लिखा होना भी ज़रूरी है यदि नहीं लिखा है तो वह भी नहीं लेनी चाहिए।" डॉक्टर सैनी ने यह भी बताया कि दो साल से छोटे बच्चों के लिए कफ सिरप की कोई स्टडी नहीं है, इसलिए यह दो साल से ऊपर के बच्चों को ही दी जानी चाहिए। नकली सिरप से सांस लेने में तकलीफ, पेट दर्द, किडनी और मस्तिष्क पर असर, दौरे और अंततः हृदय गति रुकने जैसी गंभीर परेशानियां हो सकती हैं।

भोपाल में कार्यरत डॉ. हर्षिता शर्मा ने बताया, "कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल मूल रूप से कूलेंट के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका स्वाद मीठा और ठंडा होता है, जो खाने योग्य सोर्बिटॉल जैसा लगता है। लेकिन सोर्बिटॉल महंगा होता है, इसलिए अक्सर दवा कंपनियां सस्ते विकल्प के रूप में डायथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल करती हैं।

दोनों ही तत्व देसी शराब में मौजूद मिथाइल अल्कोहल की श्रेणी में आते हैं और दोनों रसायन शरीर के लिए बेहद ज़हरीले होते हैं।" उन्होंने आगे बताया कि ये रसायन बच्चों के लिए खास तौर पर 'नेफ़्रोटॉक्सिक' होते हैं, यानी किडनी पर सीधा असर डालते हैं, जिससे शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है और मौत हो जाती है।

पहले भी उठे हैं सवाल, स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर चिंता

भारत के डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ने साल 2023 में चार साल से कम उम्र के बच्चों को सर्दी की कुछ प्रचलित दवाओं के फॉर्मूले दिए जाने पर प्रतिबंध लगाया था। यह प्रतिबंध तब आया था जब 2022 में गाम्बिया और उज़्बेकिस्तान में भारत में बनी खांसी की दवाओं से बच्चों की मौत के मामलों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी थी।

मध्य प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर पहले भी गंभीर सवाल उठे हैं। अगस्त 2024 में राज्यभर में 9 से अधिक ज़रूरी दवाओं और इंजेक्शन की सप्लाई पर रोक लगा दी गई थी क्योंकि वे क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई थीं। जन स्वास्थ्य अभियान से जुड़े पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट अमूल्य निधि ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए कहा, "सरकार बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है।

ज़िम्मेदारों पर कार्रवाई करने के बजाय देरी की रणनीति अपनाई जा रही है।" अमूल्य निधि ने डॉक्टरों को स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट गाइडलाइन्स का पालन करने और दवा खरीद नीति व दवाओं की गुणवत्ता की स्वतंत्र जांच की मांग की है।

मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर देश में सबसे अधिक है, जहां हर 1,000 नवजात में से 40 की मौत हो जाती है। यह आंकड़ा राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की भयावह तस्वीर पेश करता है। छिंदवाड़ा और राजस्थान के पीड़ित परिवार अब बस यही चाहते हैं कि उनके बच्चों को न्याय मिले और भविष्य में कोई और माता-पिता इस तरह की त्रासदी का सामना न करें।

Must Read: राज्य को पहुंचाया राजस्व नुकसान, व्यक्ति विशेष को फायदा

पढें राजस्थान खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :