Highlights
अरुण गांधी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वे खुद को शांति का पुजारी कहते थे और उन्होंने अपने दादा महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए शांति, सौहार्द की स्थापना के लिए गांधी वादी मूल्यों का हमेशा प्रचार किया।
कोल्हापुर । Arun Gandhi Passed Away: भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का मंगलवार को निधन हो गया है।
अरुण गांधी ने 89 साल की उम्र में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में अंतिम सांस ली।
अरुण गांधी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वे खुद को शांति का पुजारी कहते थे और उन्होंने अपने दादा महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए शांति, सौहार्द की स्थापना के लिए गांधी वादी मूल्यों का हमेशा प्रचार किया।
आज कोल्हापुर में अंतिम संस्कार
अरुण गांधी काफी समय से उम्र दराज बीमारियों से लड़ रहे थे और बीमार थे। अरुण गांधी का महात्मा गांधी के दूसरे बेटे मणिलाल गांधी के बेटे थे।
अरुण गांधी अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़कर गए हैं। जिनमें उनके बेटे तुषार, बेटी अर्चना, चार पोते और पांच परपोते हैं।
उनके बेटे तुषार गांधी ने उनके निधन की जानकारी देते हुए बताया कि, आज ही दोपहर में उनका अंतिम संस्कार कोल्हापुर में किया जाएगा।
Bereaved. Lost my father this morning????????
— Tushar बेदखल (@TusharG) May 2, 2023
ऐसा रही जीवनी
महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का जन्म 14 अप्रैल 1934 को डरबन में हुआ था। उनके पिता मणिलाल गांधी और माता सुशीला मशरूवाला थे।
तरुण गांधी शुरू से ही अपने दादा महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलते रहे।
अरुण गांधी 1987 में अपने परिवार के साथ अमेरिका में बस गए थे। यहां उन्होंने अपने जीवन के कई साल टेनेसी राज्य के मेम्फिस में गुजारे।
यहां उन्होंने क्रिश्चियन ब्रदर्स यूनिवर्सिटी में अहिंसा से जुड़े एक संस्थान की भी स्थापना की थी।
वे एक लेखक भी थे और उन्होंने अपने दादा-दादी से जुड़ी कई किताबों का लेखन भी किया।
उन्होंने बेथानी हेगेडस और इवान तुर्क के सचित्र कस्तुरबा, द फॉरगॉटन वुमन, ग्रैंडफादर गांधी, द गिफ्ट ऑफ एंगररू एंड अदर लेसन फ्रॉम माई ग्रैंडफादर महात्मा गांधी जैसी किताबें लिखी।
इसी के साथ वे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी कार्य करते रहे और महाराष्ट्र के लोगों की खूब सेवा की।