माउंट आबू : माउंट आबू: सरकारी विद्यालय यथास्थित रखने की मांग, सौंपा ज्ञापन

माउंट आबू: सरकारी विद्यालय यथास्थित रखने की मांग, सौंपा ज्ञापन
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Highlights

  • माउंट आबू के सरकारी विद्यालय को यथास्थित रखने की मांग।
  • विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में स्थानीय नागरिकों ने ज्ञापन सौंपा।
  • भू-माफियाओं द्वारा विद्यालय की जमीन पर पार्किंग बनाने का आरोप।
  • 128 वर्ष पुराना ब्रिटिशकालीन भवन है यह विद्यालय।

माउंट आबू: माउंट आबू (Mount Abu) में सरकारी विद्यालय को यथास्थित रखने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया। भू-माफियाओं द्वारा जमीन पर पार्किंग बनाने की आशंका जताई गई।

सरकारी विद्यालय को यथास्थित रखने की मांग

माउंट आबू शहर के मुख्य बाजार में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय को यथास्थित रखने की मांग की गई है।

विद्यालय के स्थानांतरण के विरोध में विश्व हिंदू परिषद प्रखंड के नेतृत्व में एक बड़ा प्रदर्शन किया गया।

शहर की विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाएं इस प्रदर्शन में शामिल हुईं।

इनमें राजनैतिक एवं गैर राजनैतिक संगठन भी सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहे हैं।

हर धर्म, पंथ और संप्रदाय के जागरूक नागरिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जो इस मुद्दे की व्यापकता को दर्शाता है।

राजस्थान के महामहिम राज्यपाल के नाम उपखंड अधिकारी अंशु प्रिया को उपखंड कार्यालय में एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया।

इस दौरान नागरिकों ने सांकेतिक धरना भी दिया, जो उनकी गहरी चिंता और रोष को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है।

प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में कहा कि विद्यालय को किसी भी कीमत पर स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए।

ऐतिहासिक धरोहर पर संकट

विश्व हिंदू परिषद के प्रखंड अध्यक्ष खुशवंत राज ने ज्ञापन में मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि शहर में नक्की झील मार्ग पर स्थित यह भवन 128 वर्ष पुराना ब्रिटिशकालीन निर्माण है।

इस ऐतिहासिक भवन का पूर्व में नाम सेंट वॉल्टर हाई स्कूल था, जो अपने समय का प्रतिष्ठित संस्थान था।

वर्तमान में इसे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के नाम से जाना जाता है और यह स्थानीय शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।

100 वर्ष से अधिक समय होने के कारण विद्यालय भवन स्वाभाविक रूप से जर्जर हो गया था।

इसी कारण वर्तमान में भी इसका रिपेयरिंग और रिनोवेशन का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है, ताकि इसकी ऐतिहासिकता बनी रहे।

यह विद्यालय न केवल एक शिक्षण संस्थान है, बल्कि आबू की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का भी प्रतीक है।

इसकी पुरानी दीवारों में कई पीढ़ियों की यादें और शिक्षा की विरासत समाहित है।

भू-माफियाओं पर गंभीर आरोप

खुशवंत राज ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ भू-माफियाओं के सहयोग से गिने-चुने जनप्रतिनिधि सक्रिय हैं।

ये लोग भ्रामक तथ्य और झूठी जानकारी देकर जयपुर शिक्षा विभाग के मंत्री एवं अधिकारियों को भ्रमित कर रहे हैं।

उनकी मंशा स्पष्ट रूप से विद्यालय की कीमती जमीन पर पार्किंग बनाकर वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित करना है।

यह कदम सरासर गलत है और शिक्षा के मंदिर को व्यापारिक केंद्र में बदलने का प्रयास है।

इस प्रकार के स्वार्थी उद्देश्यों के लिए एक जनहित संस्थान को बलि चढ़ाना अनैतिक है।

इस अवांछित प्रयास से शहर की समस्त जनता आहत है और उनमें इस विषय पर गहरा रोष व्याप्त है।

नागरिकों का मानना है कि यह विद्यालय आबू की जनता की प्रमुख धरोहरों में से एक है, जिसका हर हाल में संरक्षण होना चाहिए।

इसकी सुरक्षा और यथास्थिति बनाए रखना स्थानीय समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जनता का एकजुट विरोध

विद्यालय को राजनीति की भेंट चढ़ने से रोकने के लिए आबू के समस्त जागरूक नागरिक एकजुट हुए हैं।

उन्होंने विद्यालय को यथास्थित रखने को लेकर दृढ़ता से ज्ञापन सौंपा और अपनी आवाज बुलंद की।

यह प्रदर्शन स्थानीय जनता की अपने ऐतिहासिक संस्थानों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

नागरिकों ने प्रशासन से इस संवेदनशील मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने और विद्यालय को बचाने की पुरजोर अपील की है।

उनकी मांग है कि शिक्षा विभाग और सरकार इस मामले की गंभीरता को समझें और जनभावनाओं का सम्मान करें।

यह एकजुटता दर्शाती है कि आबू के लोग अपनी विरासत की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

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