Highlights
- पूर्व CIA अफसर जॉन किरियाकू ने दावा किया कि मुशर्रफ ने परमाणु हथियारों का नियंत्रण अमेरिका को सौंपा।
- किरियाकू के अनुसार, अमेरिका ने मुशर्रफ को लाखों डॉलर की मदद देकर 'खरीद' लिया था।
- उन्होंने बताया कि 2002 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के कगार पर थे।
- ओसामा बिन लादेन महिलाओं के कपड़े पहनकर तोरा बोरा से भागा था।
वॉशिंगटन डीसी: पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने अपने देश के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अमेरिका (America) को सौंप दिया था, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के पूर्व अफसर जॉन किरियाकू (John Kiriakou) ने यह दावा किया है।
मुशर्रफ को 'खरीद' लिया था अमेरिका ने
किरियाकू ने कहा कि अमेरिका ने मुशर्रफ को लाखों डॉलर की सैन्य और आर्थिक मदद के जरिए 'खरीद' लिया था।
उनके शासनकाल में अमेरिका को पाकिस्तान की सुरक्षा और सैन्य गतिविधियों तक लगभग पूरी पहुंच थी।
किरियाकू ने यह बयान न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि मुशर्रफ ने दोहरे खेल खेले।
एक तरफ उन्होंने अमेरिका के साथ दिखावा किया और दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना और चरमपंथियों को भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां जारी रखने दिया।
2002 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के कगार पर
किरियाकू ने बताया कि 2002 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार पर थे।
उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद से अमेरिकी अधिकारियों के परिवारों को निकाल लिया गया था।
हमें लगा कि भारत और पाकिस्तान युद्ध में उतर सकते हैं।
उन्होंने 2001 में संसद हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन पराक्रम का जिक्र किया।
किरियाकू ने दावा किया कि अमेरिकी उप विदेश मंत्री ने दिल्ली और इस्लामाबाद का दौरा कर दोनों देशों के बीच समझौता करवाया।
मुंबई हमलों पर पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह
2008 मुंबई हमलों पर बात करते हुए किरियाकू ने कहा कि उन्हें नहीं लगता था कि यह अल-कायदा था।
उन्हें हमेशा लगता रहा कि ये पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह थे और ऐसा ही साबित हुआ।
असली कहानी यह थी कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैला रहा था और किसी ने कुछ नहीं किया।
किरियाकू ने कहा कि भारत ने संसद और मुंबई हमलों के बाद संयम दिखाया।
परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को सऊदी ने बचाया
पूर्व सीआईए अधिकारी ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को अमेरिकी कार्रवाई से बचाने में सऊदी अरब का अहम रोल था।
सऊदी ने अमेरिका को कहा कि खान को न छेड़ा जाए, जिससे अमेरिका ने अपने प्लान को छोड़ दिया।
अमेरिकी विदेश नीति पर सवाल और वैश्विक संतुलन में बदलाव
किरियाकू ने अमेरिकी विदेश नीति पर भी सवाल उठाया और कहा कि अमेरिका लोकतंत्र का ढोंग करता है, लेकिन वास्तव में अपने स्वार्थ के अनुसार काम करता है।
उन्होंने यह भी बताया कि सऊदी और अमेरिका का रिश्ता पूरी तरह लेन-देन पर आधारित है।
अमेरिका तेल खरीदता है और सऊदी हथियार बेचता है।
किरियाकू ने कहा कि वैश्विक ताकतों का संतुलन बदल रहा है।
सऊदी अरब, चीन और भारत अपनी रणनीतिक भूमिका को नया आकार दे रहे हैं।
ओसामा बिन लादेन महिलाओं के कपड़े पहनकर भागा था
किरियाकू ने खुलासा किया है कि 9/11 आतंकी हमले का जिम्मेदार और अल कायदा का लीडर ओसामा बिन लादेन तोरा बोरा की पहाड़ियों से महिलाओं के कपड़े पहनकर भागा था।
किरियाकू ने बताया कि उस समय उन्हें यह भी नहीं पता था कि सेंट्रल कमांड के कमांडर के लिए काम करने वाला ट्रांसलेटर असल में अल-कायदा का एजेंट था।
उस एजेंट ने अमेरिकी सेना में घुसपैठ की थी।
उन्होंने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान पर बमबारी शुरू करने से पहले एक महीने से अधिक इंतजार कर रहा था।
अक्टूबर 2001 में उन्हें लगा कि उन्होंने बिन लादेन और अल-कायदा के नेताओं को तोरा बोरा में फंसा लिया है।
अमेरिकी सेना उन्हें पहाड़ी से उतरने के लिए कह रही थी।
ट्रांसलेटर ने जनरल फ्रैंक्स को आश्वस्त किया कि उन्हें सुबह तक इंतजार करने दिया जाए ताकि महिलाएं और बच्चे सुरक्षित बाहर निकल सकें।
उसी दौरान बिन लादेन महिला के वेश में पिक-अप ट्रक में पाकिस्तान भाग गया।
सुबह जब सूरज उगा, तोरा बोरा में कोई नहीं था।
सभी भाग चुके थे और इसके बाद की लड़ाई पाकिस्तान में आगे बढ़ी।
बाद में अमेरिका ने मई 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में बिन लादेन का पता लगाया और मार गिराया।
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