Highlights
- पिण्डवाड़ा में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना का विरोध।
- हजारों ग्रामीणों ने शांतिपूर्वक रैली निकालकर SDM कार्यालय का घेराव किया।
- राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर परियोजना रद्द करने की मांग।
- परियोजना से कृषि भूमि, पर्यावरण और वन्यजीवों को खतरा।
सिरोही: पिण्डवाड़ा (Pindwara) क्षेत्र में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना (limestone mining project) को रद्द करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी (SDM) कार्यालय का घेराव किया। उन्होंने राष्ट्रपति (President) के नाम ज्ञापन सौंपकर परियोजना वापस न लेने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।
खनन परियोजना के विरोध में जनसैलाब
राजस्थान के सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना के विरोध में ग्रामीणों का गुस्सा अब उबाल पर है।
मंगलवार को हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने शांतिपूर्वक रैली निकालकर उपखंड अधिकारी (एसडीएम) कार्यालय का घेराव किया।
यह प्रदर्शन प्रस्तावित खनन परियोजना को तत्काल निरस्त करने की मांग को लेकर किया गया।
ग्रामीणों ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें चेतावनी दी गई कि यदि इस परियोजना को वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
दर्जनों गांवों से उमड़े ग्रामीण
वाटेरा, भीमाना, भारजा, रोहिड़ा, तरुँगी, स्वरूपगंज सहित आसपास के दर्जनों गांवों से हजारों ग्रामीण इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पिण्डवाड़ा पहुंचे।
सुबह से ही इन गांवों में रैली के लिए जबरदस्त उत्साह का माहौल देखने को मिला।
महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी हाथों में बैनर और तख्तियां लिए हुए थे।
वे नारेबाजी करते हुए हाइवे मार्ग से गुजरते हुए एसडीएम कार्यालय तक पहुंचे।
ग्रामीण ट्रैक्टर-ट्रॉली और अन्य वाहनों के काफिले के रूप में पिण्डवाड़ा पहुंचे, जिससे सड़कों पर एक विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा।
जनप्रतिनिधियों और किसान नेताओं का समर्थन
एसडीएम कार्यालय के पास सभा स्थल पर एक जनसभा का आयोजन किया गया।
इस जनसभा में क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और किसान नेताओं ने भी मंच साझा किया।
वक्ताओं ने ग्रामीणों के संघर्ष का पुरजोर समर्थन किया और उनकी मांगों को जायज ठहराया।
उन्होंने बताया कि मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड को चार ग्राम पंचायतों—वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा—की करीब 800 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन चुना पत्थर खनन के लिए देने का प्रस्ताव है।
वक्ताओं ने इस परियोजना को ग्रामीणों के जीवन, पर्यावरण और खेती के लिए एक गंभीर खतरा बताया।
पर्यावरण और वन्यजीवों पर खतरा
जनप्रतिनिधियों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यह परियोजना सिर्फ कृषि भूमि को ही नहीं, बल्कि क्षेत्र की जल, जंगल और जमीन को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी।
उन्होंने विशेष रूप से वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन और सरकार ने जनभावनाओं की अनदेखी की, तो आने वाले समय में यह आंदोलन जिला मुख्यालय तक पहुंचाया जाएगा।
यह स्पष्ट संकेत है कि ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
राष्ट्रपति से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से यह मांग की है कि खनन की इस प्रस्तावित योजना को तत्काल निरस्त किया जाए।
उन्होंने क्षेत्र की कृषि भूमि, पर्यावरण तथा ग्रामीण जीवन को सुरक्षित रखने का आग्रह किया।
यह ज्ञापन क्षेत्र के लोगों की गहरी चिंता और उनकी एकजुटता को दर्शाता है।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन और सुरक्षा व्यवस्था
कार्यक्रम के दौरान पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
रैली और धरना प्रदर्शन पूर्णतः शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ।
यह ग्रामीणों की अनुशासनबद्धता और उनके शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया था।