Highlights
- न्यूनतम कार्य आयु 12 से बढ़ाकर 14 साल की गई।
- 14 से 18 साल के किशोर रात की पारी में काम नहीं कर सकेंगे।
- कार्यकाल में विश्राम की अवधि अब 6 घंटे पर होगी।
- राज्यपाल की मंजूरी के बाद अध्यादेश तत्काल प्रभाव से लागू।
जयपुर: राजस्थान में अब होटल और दुकानों में काम करने वालों की न्यूनतम उम्र 12 से बढ़ाकर 14 साल कर दी गई है। 14 से 18 साल के किशोर रात की पारी में काम नहीं कर सकेंगे। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी हुई।
राजस्थान सरकार ने बाल श्रम पर लगाम लगाने और किशोरों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य में अब दुकान, होटल, रेस्टोरेंट और अन्य वाणिज्यिक संस्थानों में काम करने वाले नाबालिगों की न्यूनतम आयु सीमा में वृद्धि की गई है।
आयु सीमा में महत्वपूर्ण बदलाव
नए अध्यादेश के अनुसार, अब 12 साल की जगह 14 साल से कम उम्र के बच्चे इन प्रतिष्ठानों में काम नहीं कर पाएंगे। यह बदलाव तत्काल प्रभाव से पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है, जिससे बाल श्रम को रोकने में मदद मिलेगी।
इसके साथ ही, 14 से 18 साल की आयु वर्ग के किशोर-किशोरियों के लिए भी नए नियम बनाए गए हैं। अब इस आयु वर्ग के किशोरों से रात की पारी में काम नहीं करवाया जा सकेगा, जो पहले 12 से 15 साल के लिए नियत था।
अध्यादेश लाने की वजह
राज्यपाल की मंजूरी और तत्काल प्रभाव
राजस्थान दुकान एवं वाणिज्य संस्थान (संशोधन) अध्यादेश-2025 को राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की अनुमति मिल गई है। विधि एवं विधिक कार्य विभाग के सचिव सुरेश चन्द बंसल के आदेश से गुरुवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई।
मुख्यमंत्री ने डेढ़ महीने पहले ही इस अध्यादेश का अनुमोदन कर दिया था। राज्य सरकार का कहना है कि वर्तमान में राजस्थान विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है।
ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो गई थीं जिनके कारण तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक हो गया था। भारत के संविधान की शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने बुधवार को इसे मंजूरी दी और गुरुवार को सरकार ने इसे लागू कर दिया।
कार्यकाल और विश्राम के नए नियम
तीन घंटे तक ही काम कर सकेंगे किशोर
प्रचलित राजस्थान दुकान एवं वाणिज्य संस्थान अधिनियम 1958 के अनुसार, पहले 12 से 15 साल तक के किशोर अधिकतम 3 घंटे प्रतिदिन कार्य कर सकते थे। नए अध्यादेश में अब इस आयु सीमा को बढ़ाकर 14 से 18 वर्ष तक कर दिया गया है।
यानी, इस आयु तक के किशोर को अब भी सिर्फ तीन घंटे ही काम करवाया जा सकता है। यह प्रावधान किशोरों की शिक्षा और शारीरिक विकास को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
छह घंटे पर अनिवार्य विश्राम
पहले के कानून में किसी भी प्रतिष्ठान में कर्मचारी के काम की अवधि पांच घंटे से अधिक नहीं हो सकती थी। साथ ही, आधे घंटे के विश्राम के अंतराल के बिना कोई भी व्यक्ति पांच घंटे से अधिक काम नहीं कर सकता था।
नए अध्यादेश में अब इस अवधि को बढ़ाकर छह घंटे कर दिया गया है, जिसके बाद कर्मचारी को विश्राम देना अनिवार्य होगा। यह नियम कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कार्यक्षमता को बनाए रखने में सहायक होगा।
रात में काम करने को बाध्य नहीं
प्रचलित कानून में 12 से 15 साल की उम्र के किशोर-किशोरियों को रात की पारी में काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता था। नए अध्यादेश में अब यह उम्र बढ़ाकर 14 से 18 साल कर दी गई है।
इससे इस आयु वर्ग के किशोरों को रात में काम करने से पूरी तरह छूट मिल गई है। यह कदम किशोरों के स्वास्थ्य और शिक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे उन्हें बेहतर भविष्य मिल सके।
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