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भारत में राइफल की शुरुआत ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान सैनिक बटालियन में की गई। अंग्रेजी सेना में शामिल भारतीय सिपाहियों को राइफल उपलब्ध करवाई जाती थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर आज तक अपने परिवर्तित एवं परिवर्धित रूप में राइफल सदैव भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण भाग रही है
जयपुर। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार खेलों के विकास पर पूरी गंभीरता से ध्यान दे रही है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं को निखारा जा रहा है। राज्य सरकार ने मिशन ओलंपिक के लिए 100 करोड़ रूपए का बजट निर्धारित किया है। इससे प्रदेश में खेलों को गति मिलेगी।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने रविवार को अजमेर जिले के सेन्ट्रल अकादमी स्कूल में 68 वीं राज्य स्तरीय राइफल शूटिंग प्रतियोगिता के समापन समारोह में भाग लिया। उन्होंने कहा कि 15वीं शताब्दी से लेकर आज तक राइफल किसी न किसी प्रकार से उपयोग में अवश्य ली गई है, चाहे फिर यह सैनिक उद्देश्य के लिए उपयोग में आई हो अथवा मनोरंजन के साधनों के रूप में।
भारत में राइफल की शुरुआत ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान सैनिक बटालियन में की गई। अंग्रेजी सेना में शामिल भारतीय सिपाहियों को राइफल उपलब्ध करवाई जाती थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर आज तक अपने परिवर्तित एवं परिवर्धित रूप में राइफल सदैव भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण भाग रही है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान शूटिंग के लिए इतिहास में अपना अलग महत्व रखता है। यहां राजा रजवाड़ो के शासन के समय सदैव हथियारों की उपलब्धता रहती थी। इसके अलावा शिकार के लिए भी वे इसका उपयोग करते थे। बीकानेर के पूर्व शासक करणी सिंह ने स्वयं 1960 से लेकर 1980 तक ओलंपिक में हिस्सा लिया। शूटिंग के प्रति उनके प्रयास, कार्य एवं समर्पण कितने प्रासंगिक है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि दिल्ली स्थित सबसे बड़ी शूटिंग रेंज एकेडमी का नाम महाराजा करणी सिंह के नाम पर ही रखा गया है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राज्यवर्धन राठौड़ जी ने 2004 में ओलंपिक पदक प्राप्त किया, जिसने राजस्थान के युवाओं में भी शूटिंग के लिए कम होते आकर्षण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में राजस्थान में 50 से अधिक शूटिंग रेंज है। यहां से अपूर्वी चंदेला, अवनी लेखरा जैसी नारी शक्तियों ने ओलंपिक व पैरालंपिक खेलों में राजस्थान को ही नहीं अपितु भारत को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है। ये हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। इन्होंने यह साबित किया है कि नारी शक्ति किसी भी प्रकार से, किसी भी क्षेत्र में पुरुष से कम नहीं है। इनसे प्रेरणा लेकर आपको आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि खेल अनुशासन, सम्मान, नेतृत्व, टीमवर्क और प्रतिकूल परिस्थितियों पर काबू पाना सिखाते हैं। शूटिंग जैसी प्रतिस्पर्धाएं आपकी एकाग्र शक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अंडर 17 व अंडर 19 राजस्थान स्टेट राइफल शूटिंग चौंपियनशिप विद्यालय स्तर पर शूटिंग के लिए महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। विद्यालय स्तर पर ही खेल के प्रति आकर्षण व अभिरुचि पैदा होती है तो वह आजीवन व्यक्ति के बहुमुखी विकास का साधन भी बनती है। आज शूटिंग में उज्जवल भविष्य है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत सर्वाधिक पदक शूटिंग चैंपियनशिप में ही प्राप्त करता है । राज्य के बजट में मिशन ओलंपिक के लिए 100 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है जहां टॉप शूटर्स को सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। अंत में उन्होंने खिलाड़ियों को पारीतोषिक प्रदान किए।
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