संजय सिंह का वंदे मातरम पर सरकार पर हमला: संजय सिंह ने वंदे मातरम की आड़ में सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

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Highlights

  • सरकार पर देशभक्ति के नारों की आड़ में गुनाह छिपाने का आरोप।
  • अडानी को जमीन बेचने और दलितों के अपमान पर सवाल उठाए।
  • आरएसएस के इतिहास और राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति रवैये पर सवाल।
  • अग्निवीर योजना और वोट चोरी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा।

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के संजय सिंह (Sanjay Singh) ने वंदे मातरम (Vande Mataram) पर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने देशभक्ति की आड़ में गुनाह छिपाने का आरोप लगाया। सिंह ने अडानी (Adani) को जमीन देने, दलितों (Dalits) के अपमान और आरएसएस (RSS) के इतिहास पर सवाल उठाए।

संसद में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सरकार पर देशभक्ति के नारों की आड़ में अपने गुनाहों और अपराधों को छिपाने का आरोप लगाया। सिंह ने कहा कि यह अच्छी बात है कि देशभक्ति की भावना का विकास हो और वंदे मातरम के महत्व को देश के सभी लोग समझें, लेकिन इसके पीछे सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए।

सरकार की विफलताओं पर संजय सिंह का हमला

संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की एक घटना का जिक्र करते हुए सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के सामने जब व्यापारी 21 घंटे से बिजली न होने की शिकायत लेकर पहुंचे, तो मंत्री ने 'जय श्री राम' और 'बजरंगबली की जय' कहकर उन्हें टाल दिया। सिंह ने सवाल किया कि क्या भगवान श्री राम ने सरकार को जनता को अंधेरे में रखने और बिजली न देने को कहा है?

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की रैलियों और सभाओं में भी 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे जोर-शोर से लगाए जाते हैं। उन्होंने सरकार को चुनौती दी कि यदि वे देशभक्ति के नारे लगाना चाहते हैं, तो आप के कार्यक्रमों में आएं और देखें कि कितनी तेजी से नारे लगाए जाते हैं।

मातृभूमि की वंदना बनाम निजीकरण

सांसद संजय सिंह ने 'वंदे मातरम' के वास्तविक अर्थ पर जोर दिया, जिसका अर्थ है मातृभूमि की वंदना। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मातृभूमि की वंदना नहीं, बल्कि उसकी बिक्री कर रही है। उन्होंने कहा कि एक रुपये में एक आम भी नहीं मिलता, लेकिन सरकार ने एक रुपये में अडानी को 1050 एकड़ जमीन और 10 लाख आम व लीची के पेड़ दे दिए।

सिंह ने सवाल किया कि क्या यह मातृभूमि की वंदना है? उन्होंने कहा कि मातृभूमि की वंदना हिंदुस्तान के एयरपोर्ट, रेल, सेल, समुद्री तटों, कोयला, गैस और जमीनों को बेचकर नहीं हो सकती। उन्होंने सरकार पर मातृभूमि को बेचने वाले लोग होने का आरोप लगाया, न कि उसकी वंदना करने वाले।

दलितों के प्रति भाजपा का रवैया

संजय सिंह ने सदन में दलितों के मुद्दे पर हुए हंगामे का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब विपक्ष के नेता ने दलित शब्द का प्रयोग किया, तो पूरी भारतीय जनता पार्टी विरोध करने लगी। उन्होंने भाजपा पर दलितों से चिढ़ होने का आरोप लगाया और पूछा कि क्या दलित, पिछड़े और आदिवासी भारत माता के बच्चे नहीं हैं?

उन्होंने कहा कि यदि दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों की बात होगी, तो सरकार विरोध करेगी। सिंह ने जोर देकर कहा कि दलित हमारे पूज्य हैं, हमारे भाई हैं और इस तरह के स्वीपिंग स्टेटमेंट देकर देश को गुमराह नहीं करना चाहिए।

क्रांतिकारियों का बलिदान और आरएसएस का इतिहास

संजय सिंह ने देश के महान क्रांतिकारियों के बलिदान को याद किया, जिन्होंने 'वंदे मातरम' का नारा लगाते हुए फांसी के फंदे को चूमा। उन्होंने शहीद खुदीराम बोस, शहीद रोशन सिंह, शहीद राजेंद्र लहड़ी, शहीद अशफाक उल्ला, शहीद राम प्रसाद बिस्मिल, शहीद प्रफुल्ल चाकी, शहीद-ए-आजम भगत सिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरु का नाम लिया।

उन्होंने बताया कि शहीद खुदीराम बोस की राख को बंगाल की माताएं तावीज बनाकर अपने बच्चों को पहनाती थीं, ताकि वे भी हिंदुस्तान के लिए क्रांतिकारी बनें। सिंह ने सरकार से पूछा कि जब ये क्रांतिकारी वंदे मातरम का नारा लगा रहे थे, तब उनके पुरखे क्या कर रहे थे?

उन्होंने आरएसएस पर आजादी के आंदोलन में कोई इतिहास न होने का आरोप लगाया। सिंह ने चुनौती दी कि आरएसएस के चार लोगों के नाम बताएं, जो वंदे मातरम का नारा लगाकर जेल गए हों। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने 52 साल तक अपने मुख्यालय पर तिरंगा झंडा नहीं फहराया।

सिंह ने तीन लोगों (विजय, उन्मत, दिलीप) का जिक्र किया, जिन्होंने आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया था, और आरएसएस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और 13 साल तक मुकदमा लड़ा था। उन्होंने कहा कि जो लोग तिरंगे और राष्ट्रीय ध्वज का विरोध कर सकते हैं, वे भारत माता के सच्चे सपूत नहीं हो सकते।

राष्ट्रीय प्रतीकों का कथित विरोध

संजय सिंह ने 28 दिसंबर 1949 के आरएसएस के मुख्य पत्र 'ऑर्गेनाइजर' का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस पत्र में राष्ट्रगान 'जन गण मन' का विरोध किया गया था। उन्होंने 'ऑर्गेनाइजर' में लिखे एक वाक्य को पढ़कर सुनाया, जिसमें राष्ट्रगान को 'मनोरंजन का एक आइटम' बताया गया था।

सिंह ने आरोप लगाया कि आरएसएस भारत के राष्ट्रगान का विरोध करता है और इसके लिए प्रधानमंत्री और पूरी भाजपा को देश से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह इतिहास देश को पता चलना चाहिए कि किन लोगों ने देश के साथ गद्दारी की और किन लोगों ने तिरंगे और राष्ट्रगान का विरोध किया।

जिन्ना और भारत छोड़ो आंदोलन पर सवाल

सांसद संजय सिंह ने जिन्ना और भारत छोड़ो आंदोलन के संदर्भ में सरकार के नेताओं के इतिहास पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिन्ना का जिक्र किया था, लेकिन देश को यह नहीं पता कि जिन्ना के साथ उनके कितने गहरे और मधुर संबंध थे।

सिंह ने बताया कि जनसंघ के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जो उस वक्त फजलुल हक की सरकार में वित्त मंत्री थे, उन्होंने अंग्रेज गवर्नर को चिट्ठी लिखकर भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने की बात कही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह रिकॉर्डेड हिस्ट्री है कि उनके नेता ने देश की आजादी के आंदोलन को खत्म करने की कोशिश की।

उन्होंने फजलुल हक की सरकार का भी जिक्र किया, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी वित्त मंत्री थे। फजलुल हक बाद में पाकिस्तान बनने के बाद वहां की सरकार के गृहमंत्री बने। सिंह ने कहा कि उनके रिश्ते ऐसे लोगों के साथ थे और इसलिए उन्हें किसी को देशभक्ति का प्रमाण पत्र बांटने का काम नहीं करना चाहिए।

अग्निवीर योजना और लोकतंत्र पर खतरा

संजय सिंह ने अग्निवीर योजना पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि जो जवान -50 डिग्री सेल्सियस में सियाचिन में और +50 डिग्री सेल्सियस में जैसलमेर में भारत की सीमाओं की रक्षा करते हैं, उनकी नौकरी को 4 साल का करके उनकी पीठ में छूरा घोंपा गया है। उन्होंने कहा कि यह मातृभूमि की रक्षा नहीं है।

उन्होंने सरकार पर 'वोट चोर' होने का भी आरोप लगाया। सिंह ने कहा कि उन्होंने साइकिल चोर, लॉकेट चोर, स्कूटर चोर सुने थे, लेकिन ये लोग वोट चोर निकल गए। उन्होंने उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ वोट की चोरी करने का आरोप लगाया और कहा कि 17.5% वोट काटे जाएंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐसे लोकतंत्र को मजबूत किया जाएगा और मातृभूमि की सेवा की जाएगी?

जनता के मुद्दों से भटकाव और आर्थिक स्थिति

संजय सिंह ने सरकार पर बेरोजगारी, महंगाई, दलितों के मंदिर प्रवेश पर रोक, पिछड़ों के शोषण जैसे वास्तविक मुद्दों पर बात न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार इन गंभीर समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए देशभक्ति के नारों का इस्तेमाल कर रही है।

उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। सिंह ने कहा कि आज हिंदुस्तान पर 200 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने देश को इस स्तर पर पहुंचाने का काम किया है।

असली देशभक्ति की परिभाषा

संजय सिंह ने असली देशभक्ति की परिभाषा पर भी बात की। उन्होंने कहा कि इस देश में मजदूर, किसान, आदिवासी, दलित, पिछड़े और सवर्ण सभी वर्गों के लोग हैं, जिनमें बड़ी संख्या अनपढ़ लोगों की है, जिन्हें संस्कृत का ज्ञान नहीं है और जो वंदे मातरम नहीं पढ़ सकते।

उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें देशभक्त नहीं मानती, लेकिन वे लोग देश को लूटने वाले अडानी जैसे पूंजीपतियों से कहीं ज्यादा बड़े देशभक्त हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग अपने बच्चों के लिए श्रम करते हैं, मजदूरी करते हैं, कुली का काम करते हैं और अपने बच्चों का पेट पालते हुए देश की सेवा करते हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि उनकी देशभक्ति की परीक्षा ऐसे नारों से न ली जाए।

डिटेंशन सेंटर और दिल्ली की दुर्दशा

संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के डिटेंशन सेंटर बनाने के बयान का भी जिक्र किया। उन्होंने बिहार में 80 लाख लोगों के वोट काटने का आरोप लगाया और सवाल किया कि वहां कितने घुसपैठिए मिले। उन्होंने कहा कि मात्र 315 घुसपैठिए मिले, जिनमें से केवल 78 मुसलमान थे, बाकी नेपाल के लोग थे।

उन्होंने कहा कि सरकार उन हिंदुओं को डिटेंशन सेंटर में रखने की बात कर रही है, जो पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ देश का माहौल बिगाड़ना चाहती है और नकली नारों के पीछे अपने आप को छिपाना चाहती है।

दिल्ली की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना दिया है, जहां जहरीली हवा और जहरीला पानी है। उन्होंने पूर्वांचल के भाइयों पर बुलडोजर चलाने का भी आरोप लगाया।

वफादार कौन, गद्दार कौन

अपने संबोधन के अंत में, संजय सिंह ने कहा कि देश में डाकू लोग 'जय भवानी' कहकर गांव के गांव लूट लेते हैं। उन्होंने कहा कि आप सरकार देश को वंदे मातरम और भारत माता की जय लगाकर देश को लूटने की इजाजत नहीं देगी।

उन्होंने जोर देकर कहा कि वे वंदे मातरम लगाएंगे, भारत माता की जय लगाएंगे, जय हिंद भी कहेंगे और राष्ट्रगान भी गाएंगे, लेकिन देश के साथ गद्दारी और धोखेबाजी नहीं करने देंगे। उन्होंने अपनी बात इन पंक्तियों के साथ समाप्त की: “पहले ये तय करो कि वफादार कौन है, ये वक्त तय करेगा कि गद्दार कौन है।”

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