Highlights
- सिरोही सीएमएचओ कार्यालय में 6 साल से चल रही थी फर्जी प्रमाण पत्र बनाने की 'फैक्ट्री'।
- तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार के कार्यकाल में जारी 5177 दिव्यांग सर्टिफिकेट संदिग्ध पाए गए।
- एसओजी कर रही मामले की जांच, सरकारी नौकरी और पेंशन घोटाले का अंदेशा।
- शिकायतों के बाद शुरू हुई जांच में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा।
सिरोही: राजस्थान (Rajasthan) के सिरोही (Sirohi) में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों की 'फैक्ट्री' का खुलासा हुआ है। एसओजी (SOG) की जांच में 5177 सर्टिफिकेट संदिग्ध पाए गए हैं, जिससे सरकारी नौकरी और पेंशन घोटाले का अंदेशा है।
फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा: सिरोही सीएमएचओ कार्यालय में 'फैक्ट्री'
राजस्थान में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल करने के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।
हाल ही में एसओजी की ओर से एसएमएस मेडिकल कॉलेज में गठित बोर्ड ने 43 संदिग्धों की जांच की थी।
इस जांच में 37 सरकारी कर्मचारियों के दिव्यांग प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए थे, जो प्रदेश के 9 सीएमएचओ द्वारा जारी किए गए थे।
अब सिरोही सीएमएचओ कार्यालय में गत 6 साल से चल रही फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने की 'फैक्ट्री' ने सभी को चौंका दिया है।
चिकित्सा विभाग की ओर से गठित टीम की जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ है।
तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार के कार्यकाल में गत 6 साल में जारी किए गए 5177 दिव्यांग सर्टिफिकेट संदिग्ध पाए गए हैं।
इनमें से कई प्रमाणपत्र तो पूरी तरह से फर्जी भी निकले हैं।
ऐसे में अब एसओजी की जांच में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों से सरकारी नौकरी हासिल करने वालों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
इसके साथ ही, बड़ी संख्या में लोगों के फर्जी तरीके से पेंशन लाभ लेने का मामला भी सामने आने की संभावना है।
कैसे सामने आया यह बड़ा घोटाला?
इस पूरे मामले का खुलासा जोधपुर निवासी देवेन्द्र सिंह की शिकायत के बाद शुरू हुआ।
देवेन्द्र सिंह ने तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार पर बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट बनाने की शिकायत जिला कलक्टर से की थी।
इसके बाद आबूरोड निवासी ताराचंद ने भी इसी संबंध में शिकायत दर्ज करवाई।
एक और चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब सिरोही जिले के आबूरोड निवासी एक पति ने अपनी ही पत्नी के फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर अनुचित तरीके से सरकारी योजना का लाभ लेने की शिकायत अधिकारियों से की।
इन शिकायतों से अधिकारी भी हैरान रह गए और मामले की गंभीरता को समझा।
जिला कलक्टर के आदेश पर वर्तमान सीएमएचओ डॉ. खराड़ी ने एक टीम गठित कर जांच करवाई।
प्रारंभिक जांच में ही एक सर्टिफिकेट संदिग्ध पाया गया, जिसके बाद एक के बाद एक कई सर्टिफिकेट संदिग्ध निकले।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सा विभाग तुरंत हरकत में आया और आगे की कार्रवाई शुरू की।
एसओजी की जांच से खुलेगी फर्जीवाड़े की परतें
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि सिरोही सीएमएचओ कार्यालय की ओर से कुल कितने लोगों के फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं।
यह भी पता नहीं चल पाया है कि इनमें से कितने लोगों ने इस फर्जीवाड़े के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की है।
इसके अतिरिक्त, कितने लोग फर्जी पेंशन उठाकर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसकी भी जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
इन सभी सवालों के जवाब एसओजी की विस्तृत जांच के बाद ही सामने आ सकेंगे।
मामला सामने आने के बाद चिकित्सा मंत्री ने एसओजी को इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए लिखा है।
एसओजी की गहन जांच के बाद ही इस बड़े फर्जीवाड़े की सभी परतें खुलेंगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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