सिरोही : सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह व्यवस्था को खोखला कर रहा है। सिरोही जिले के वन विभाग में हाल ही में हुए एक मामले ने विभागीय ईमानदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेंजर स्तर के अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और ट्रक जब्ती जैसे गंभीर आरोप लगे हैं, जो भ्रष्टाचार की गहराई को दर्शाते हैं।
वन विभाग के रेंजर पर रिश्वत का आरोप
जोधपुर जिले के करवड गांव निवासी छैलूसिंह ने पिंडवाड़ा के रेंजर पर अवैध जब्ती और रिश्वत मांगने के आरोप लगाए हैं। छैलूसिंह ने मुख्य वन संरक्षक जोधपुर को लिखित शिकायत में बताया कि उनकी ट्रक (RJ-19-GJ-1550), जिसमें देशी और विलायती बबूल की लकड़ियां थीं, को बिना किसी वैध कारण के धनारी नर्सरी में जब्त करवा दिया गया। ट्रक चालक से पांच हजार रुपये लिए गए और बीस हजार रुपये की मांग की गई।
शिकायत में कहा गया कि यह कार्रवाई राजस्थान वन अधिनियम 1953 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 का उल्लंघन है।
शिकायत के बाद ट्रक छोड़ने में आई जल्दबाजी
22 जनवरी को ट्रक को सुबह से शाम तक नर्सरी में खड़ा रखा गया। शिकायतकर्ता छैलूसिंह द्वारा मुख्य वन संरक्षक को शिकायत दिए जाने के बाद रेंजर ने आनन-फानन में ट्रक छोड़ने का आदेश दिया। ट्रक चालक को ट्रक जल्दी से रवाना करने और किसी होटल पर न रुकने की चेतावनी दी गई।
वन विभाग में भ्रष्टाचार की अमरबेल
वन विभाग में भ्रष्टाचार का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसी महीने की शुरुआत में वनपाल और सहायक वनपाल को रिश्वत के आरोप में निलंबित किया गया था। हालांकि, बाद में राजस्थान उच्च न्यायालय ने निलंबन पर रोक लगा दी थी।
नए साल की शुरुआत में दर्ज हुआ था एसीबी मामला
2025 की शुरुआत में ही सिरोही वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज हुआ था। ठेकेदार अता मोहम्मद ने वनपाल और सहायक वनपाल पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था।
विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
पिंडवाड़ा रेंजर के खिलाफ शिकायत के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जिला वन मण्डल अधिकारी को भी मामले की जानकारी नहीं दी गई, जिससे विभागीय कार्यशैली पर सवाल खड़े होते हैं।
"यदि मेरे पास शिकायत आती है और दोष सिद्ध होता है, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।"
कस्तूरी प्रशांत सुले, वन मण्डल अधिकारी, सिरोही:
"लकड़ियों से भरे ट्रक को रुकवाने का आदेश मैंने दिया था, लेकिन रिश्वत के आरोप निराधार हैं। जांच के बाद ट्रक को छोड़ा गया।
प्रेम प्रकाश, रेंजर, पिंडवाड़ा वन विभाग: