बैकडेट में निकाले आदेश: सिरोही नगरपरिषद के आयुक्त आशुतोष आचार्य का कुर्सी प्रेम

सिरोही नगरपरिषद के आयुक्त आशुतोष आचार्य का कुर्सी प्रेम
सिरोही नगरपरिषद के आयुक्त आशुतोष आचार्य
Ad

Highlights

सिरोही नगरपरिषद के आयुक्त आशुतोष आचार्य का कुर्सी प्रेम विवादों में, 

सिरोही | सिरोही नगरपरिषद के राजस्व अधिकारी और पूर्व कार्यवाहक आयुक्त आशुतोष आचार्य का कुर्सी प्रेम एक नए विवाद में तब्दील हो गया है। आयुक्त का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी आचार्य पर आयुक्त कक्ष और सरकारी जीप का उपयोग जारी रखने के गंभीर आरोप लगे हैं। इसके लिए उन्होंने कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही बैकडेट में आदेश जारी कर खुद को विशेष सुविधाओं को जारी रखने की अनुमति दे दी। इन आदेशों के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद नगरपरिषद में आक्रोश की लहर दौड़ गई है।

आयुक्त का कार्यकाल खत्म, लेकिन सुविधाओं का उपयोग जारी
सिरोही नगरपरिषद के राजस्व अधिकारी आशुतोष आचार्य, जिन्हें 15-15 दिन के लिए दो बार कार्यवाहक आयुक्त का चार्ज दिया गया था, अब भी आयुक्त के अधिकारों का उपयोग करने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। आचार्य का कार्यकाल 5 नवंबर को समाप्त हो चुका है, लेकिन उससे पहले 4 नवंबर को उन्होंने आदेश जारी किए कि आयुक्त कक्ष और आयुक्त की जीप का उपयोग कर सकते हैं। इन आदेशों को उन्होंने बैकडेट में निकाला ताकि उनकी कार्यशैली पर सवाल उठने पर वे कानूनी सुरक्षा प्राप्त कर सकें।

आदेश विवाद और सोशल मीडिया पर वायरल
बोर्ड बैठक से जुड़ा एक विवाद भी इस पूरे मामले को और गंभीर बना देता है। 11 नवंबर को नगरपरिषद की बोर्ड बैठक में आशुतोष आचार्य ने शामिल होने से यह कहते हुए मना कर दिया कि वे अब आयुक्त नहीं हैं। इस पर पार्षदों ने आपत्ति जताई और पूछा कि यदि आयुक्त का कार्यभार 5 नवंबर को समाप्त हो गया था, तो उन्होंने इतने दिन से आयुक्त कक्ष और सुविधाओं का उपयोग कैसे किया। पार्षदों के इन सवालों के जवाब में बैकडेट में निकाले गए आदेश अब वायरल हो चुके हैं और सवालों के घेरे में हैं।

वरिष्ठ पार्षद ने उठाए सवाल
नगरपरिषद के वरिष्ठ पार्षद और पूर्व उपाध्यक्ष सुरेश सगरवंशी ने इस मामले पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश स्पष्ट रूप से कहते हैं कि आयुक्त का कार्यभार केवल समकक्ष अधिकारी को दिया जा सकता है और वह भी एक बार के लिए। बावजूद इसके, आशुतोष आचार्य को दो बार 15-15 दिन के लिए कार्यवाहक आयुक्त बनाया गया। सगरवंशी ने बताया कि आचार्य ने आयुक्त न होते हुए भी कक्ष और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया है। उन्होंने जिला प्रशासन से इस मामले की गहन जांच कर कार्रवाई करने की मांग की।

हाईकोर्ट और डीएलबी के आदेश की अनदेखी
सुरेश सगरवंशी ने बताया कि सिरोही नगरपरिषद में हाईकोर्ट और डीएलबी के आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है। हाईकोर्ट के आदेश में स्पष्ट निर्देश है कि आयुक्त का चार्ज किसी समकक्ष अधिकारी को दिया जा सकता है, लेकिन सिरोही नगरपरिषद में इस नियम का पालन नहीं किया गया। यही नहीं, डीएलबी ने भी आदेश कर रखे हैं कि कार्यवाहक आयुक्त के चार्ज की अवधि केवल एक बार दी जा सकती है।

आशुतोष आचार्य का फोन रहा 'नॉट रिप्लाई'
इस संबंध में आशुतोष आचार्य से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल फोन 'नॉट रिप्लाई' स्थिति में था। इससे उनके पक्ष को जानने में असमर्थता रही।

सिरोही नगरपरिषद में चल रहे इस विवाद ने प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजस्व अधिकारी आशुतोष आचार्य के बैकडेट में आदेश निकालने और आयुक्त के संसाधनों का उपयोग करने के मुद्दे पर अब जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार है। मामले ने सिरोही नगरपरिषद के अंदर पारदर्शिता और प्रशासनिक ईमानदारी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

Must Read: Uttarakhand: कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास का निधन, अचानक तबीयत बिगड़ी, बागेश्वर अस्पताल में कराया था भर्ती

पढें राजनीति खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :