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यही हालात रहे तो जिले ही नहीं पूरे प्रदेश में गहरा सकता है खाद संकट
सरकार की रोक के बावजूद खाद कंपनियां खाद डीलरों को युरिया व डीएपी की मांग पर बायो फर्टिलाइजर व केमिकल खरीदने के लिए कर रही मजबूर
टैगिंग से परेशान खाद डीलर भी माल मंगवाने से कतरा रहे, किसानों को नहीं मिल रहा खाद
सिरोही। खेती की सीजन शुरू होने से पहले ही किसानों पर खाद संकट गहराने लगा है। सरकार की स्पष्ट रोक के बावजूद खाद कंपनियां और डीलर युरिया व डीएपी की खरीद पर टैगिंग का खेल जारी रखे हुए हैं। हालात यह हैं कि खाद डीलरों को इनकी मांग पर बायो फर्टिलाइजर, नैनो उत्पाद व केमिकल जैसे अन्य उत्पाद अनिवार्य रूप से खरीदने को मजबूर किया जा रहा है। नतीजा यह कि डीलर अनावश्यक स्टॉक से बचने के लिए माल मंगवाने से कतरा रहे हैं और किसान खाद के लिए भटक रहे हैं।
किसानों पर दोहरी मार
खेती सीजन में किसानों के लिए युरिया व डीएपी अनिवार्य खाद है। लेकिन सहकारी समितियों और निजी डीलरों के पास खाद उपलब्ध ही नहीं हो पा रही। कंपनियों द्वारा थोपे जा रहे अतिरिक्त उत्पाद खरीदने से डीलर पीछे हट रहे हैं, और इसका सीधा खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। कई किसानों को बार-बार चक्कर काटने के बावजूद खाद नहीं मिल पा रहा।
टैगिंग से बढ़ रहा अनावश्यक बोझ
कृषि जानकारों के अनुसार टैगिंग एक गैरकानूनी प्रक्रिया है, जिसमें कंपनियां युरिया व डीएपी के साथ नैनो युरिया, बायो फर्टिलाइजर या कीटनाशक अनिवार्य रूप से बेचती हैं। इससे किसानों पर अनावश्यक खर्च का बोझ पड़ता है। डीलरों का कहना है कि सब्सिडी वाली खाद में पहले ही मुनाफा बेहद कम होता है, ऐसे में अतिरिक्त उत्पाद खरीदना घाटे का सौदा है।
सरकार की सख्ती भी बेअसर
केंद्र और राज्य सरकार ने जून में ही टैगिंग पर रोक लगाते हुए कंपनियों को चेतावनी दी थी कि ऐसा करने पर लाइसेंस रद्द किया जाएगा। हेल्पलाइन नंबर और शिकायत व्यवस्था भी बनाई गई, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से टैगिंग का खेल बेरोकटोक जारी है।
व्यापारियों में मोहभंग, किसानों में रोष
जिले के कई खाद डीलरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि टैगिंग के कारण वे युरिया व डीएपी की खरीद ही नहीं कर रहे। कम मुनाफा, कम शेल्फ लाइफ वाले उत्पाद और बढ़ता आर्थिक बोझ उन्हें पीछे धकेल रहा है। कई डीलरों का कहना है कि हालात ऐसे ही रहे तो वे इस व्यापार को छोड़कर बच्चों को अन्य धंधे की ओर मोड़ देंगे।
खतरे की घंटी
यदि स्थिति पर तत्काल रोक नहीं लगी तो सिर्फ सिरोही ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में खाद संकट गहराने का अंदेशा है। किसानों की फसलें प्रभावित होंगी और उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन और विभाग ने यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए तो आने वाले दिनों में खाद को लेकर हाहाकार मच सकता है