Rajasthan : मोरीबेड़ा स्टेशन पर नदी बनी मुसीबत, ग्रामीण रोजाना जोखिम में

मोरीबेड़ा स्टेशन पर नदी बनी मुसीबत, ग्रामीण रोजाना जोखिम में
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Highlights

  • बच्चों को रोजाना जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है, जिससे पढ़ाई और सुरक्षा दोनों प्रभावित होती हैं।

  • ग्रामीण वर्षों से पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है।

पाली | बाली तहसील के मोरीबेड़ा स्टेशन क्षेत्र में बरसात के बाद ग्रामीणों की परेशानी कई गुना बढ़ जाती है। गांव के बीच से बहने वाली नदी यहां रहने वाले दर्जनों परिवारों के लिए रोजमर्रा की कठिनाई बन गई है। बरसात खत्म होने के बाद भी इस नदी में करीब छह माह तक घुटनों से ऊपर तक पानी भरा रहता है। पानी में मगरमच्छ जैसे खतरनाक जंतु भी मौजूद रहते हैं, जिससे ग्रामीण हर वक्त दहशत में रहते हैं।

नदी के दोनों किनारों पर बसा ग्रामीण इलाका सीधे तौर पर प्रभावित होता है। लोग मजबूरी में नदी पार करते हैं, क्योंकि गांव के अंदर ही यह रास्ता आता है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार लोगों को चोट लग चुकी है और जानवर भी पानी में फंसकर मर चुके हैं। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है।

बच्चों की पढ़ाई पर असर

इस नदी से सबसे अधिक परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को होती है। छात्र-छात्राओं को रोजाना इसी नदी से होकर जाना पड़ता है। बरसात या ठंड के मौसम में बच्चे भय के माहौल में स्कूल पहुंचते हैं। कई अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं, लेकिन पढ़ाई का नुकसान न हो, इसलिए मजबूरी में बच्चे जोखिम उठाते हैं। ग्रामीण महेंद्र मीणा और कस्तूर मीणा ने बताया कि “हर साल यही हाल होता है, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। बच्चे रोजाना जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने जाते हैं। अगर कोई हादसा हो जाए तो जिम्मेदारी कौन लेगा?”

ग्रामीणों की लगातार मांग

गांव के लोग बताते हैं कि पिछले कई सालों से वे स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत कराते आए हैं। कई बार ज्ञापन भी दिए गए, लेकिन अब तक नदी पर पुल बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। गांव के समाजसेवी अहमद खान ने कहा कि “यह समस्या केवल सुविधा की नहीं बल्कि लोगों की सुरक्षा से जुड़ी हुई है। नदी पर पुल का निर्माण बेहद जरूरी है, वरना किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।”

बरसात में और बढ़ती मुश्किलें

बरसात के मौसम में नदी का पानी कई गुना बढ़ जाता है। तेज बहाव के कारण नदी पार करना और भी खतरनाक हो जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि अक्सर महिलाएं और बच्चे फिसलकर गिर जाते हैं। कई बार तो लोग घंटों तक दूसरी तरफ फंसे रहते हैं। खेत-खलिहान का काम भी प्रभावित होता है। मवेशियों को भी पानी में उतारना पड़ता है, जिससे पशुओं की जान पर भी संकट मंडराता है।

समाधान की उम्मीद

ग्रामीणों का कहना है कि अगर नदी पर पुल बन जाए तो उनकी वर्षों पुरानी समस्या खत्म हो सकती है। न केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित होने से बचेगी बल्कि ग्रामीणों को सुरक्षित आवाजाही का रास्ता भी मिलेगा। समाजसेवी और ग्रामीण नेताओं का मानना है कि प्रशासन को इसे प्राथमिकता के आधार पर लेना चाहिए।

गांव के बुजुर्गों ने कहा कि “हमने दशकों से यह समस्या देखी है। अब वक्त आ गया है कि सरकार हमारी सुनवाई करे।” ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं किया गया तो वे सामूहिक आंदोलन करेंगे।


मोरीबेड़ा स्टेशन की यह नदी वर्षों से ग्रामीणों के लिए मुसीबत बनी हुई है। खतरे के बावजूद लोग मजबूरी में इसे पार करते हैं। बच्चों की शिक्षा, ग्रामीणों की सुरक्षा और आम जीवन को ध्यान में रखते हुए इस समस्या का स्थायी समाधान जरूरी है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस बार उनकी आवाज सुनी जाएगी और जल्द ही नदी पर पुल बनाकर उन्हें राहत दी जाएगी।

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