गहलोत के क्षेत्र में: राजनाथ सिंह की जनसभा के क्या हैं बड़े सियासी मायने, अशोक गहलोत को घर में घेरने की कोशिश तो नहीं ?

राजनाथ सिंह की जनसभा के क्या हैं बड़े सियासी मायने, अशोक गहलोत को घर में घेरने की कोशिश तो नहीं ?
rajnadh singh jodhpur jansabha
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जयपुर | केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र में एक जनसभा को सम्बोधित किया. राजनाथ सिंह की जोधपुर के बालेसर में हुई इस जनसभा के बड़े सियासी मायने निकाले जा रहे हैं और चर्चा है कि भाजपा की अब जोधपुर जिले के राजपूत मतदाताओं को साधने की कोशिश तेज हो चुकी है. 

गौरतलब है कि चुनावी साल में भाजपा की तरफ से राजस्थान की कमान दिल्ली के नेताओं ने थामी हुई है. ना केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बल्कि गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार राजस्थान में सक्रिय बने हुए हैं. 

लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की जनसभा की जगह शेरगढ़ को चुनना साफ़ संकेत दे रहा है कि इस क्षेत्र में भाजपा की नजर राजपूत मतदाताओं पर है. क्योंकि जोधपुर सहित शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र राजपूत बाहुल्य क्षेत्र है और यहाँ की राजनीति को राजपूत मतदाता ही तय करते हैं. 

शेरगढ़ जोधपुर जिले का ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां लगातार राजपूत उम्मीदवार जीतते रहे हैं. चूँकि राजपूत समाज भाजपा का परम्परागत वोटबैंक है इसलिए लम्बे समय तक यहां से भाजपा का उम्मीदवार जीतता रहा लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मीना कंवर ने भाजपा के बाबू सिंह राठौड़ को हराकर कांग्रेस को जीत दिला दी. 

ऐसे में शेरगढ़ सहित जोधपुर जिले में भाजपा के सामने राजपूत मतदाताओं को साधना एक चुनौतीपूर्ण काम बन गया और अब उसे साधने की नए सिरे से कवायद शुरू हो चुकी है जिसे राजनाथ सिंह के सहारे भाजपा साधने की कोशिश कर रही है. 

बीते चुनाव में भाजपा को हुआ नुकसान 

राजस्थान के पिछले विधानसभा चुनाव में यहाँ भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. जब लोवाहट और शेरगढ़ से भाजपा के दो राजपूत क्षत्रप गजेन्द्र सिंह खींवसर और बाबू सिंह राठौड़ चुनाव हार गए.

ऐसे में अभी केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के अलावा इस क्षेत्र में भाजपा के पास कोई मजबूत क्षत्रप नहीं है जो आने वाले विधानसभा चुनाव में इस जिले के राजपूत मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में लामबंद कर सके. 

बीते पांच साल में गजेन्द्र सिंह खींवसर और बाबू सिंह राठौड़ का कमजोर होना भाजपा के लिए चिंताजनक स्थिति हो सकती है. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के क्षेत्र में भाजपा के लिए राजपूत मतदाताओं को साधना सबसे जरूरी हो गया है. 

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